नए लेख

6/recent/ticker-posts

Ad Code

अखंड भारत की परिकल्पना - Mithilesh hindi article on Akhand bharat, India, Pakistan and Bangladesh

कोर्ट के न्यायाधीश रह चुके मार्कण्डेय काटजू के उस बयान को मीडिया में कवरेज मिली थी, जिसमें कश्मीर मुद्दे का हल सुझाते हुए उन्होंने कहा था कि सेक्युलर, मजबूत, और आधुनिक सोच वाली सरकार के नेतृत्व में भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश एकीकृत हों. काटजू ने यह भी कहा था कि ऐसा तभी हो सकता है जब इसका नेतृत्व धार्मिक कट्टरता से मुक्त सरकार करे और इस तरह की चीजों को खत्म कर सके. इसके अलावा इस समस्या का सामना करने का कोई रास्ता नहीं है. बयान के समय काटजू ने पाकिस्तान के देश होने पर ही सवाल उठाते हुए कहा था कि पाकिस्तान एक फर्जी देश है जिसे अंग्रेजों द्वारा हिंदू और मुस्लिमों को लड़ाने के लिए बांटा गया था. उन्होंने साथ में यह भी कहा कि अंग्रेजों ने ऐसा इसलिए किया ताकि भारत चीन की तरह औद्योगिक रूप से मजबूत देश न बन सके. खैर, तत्कालीन परिदृश्य में काटजू के बयान को बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया था, किन्तु वर्तमान में भाजपा के राममाधव के 'अखंड भारत' बयान ने हलचल मचा दी है.सवाल यह नहीं है कि पाकिस्तान जिन पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और उत्तर-पश्चिमी सीमांत राज्योंराज्यों से मिलकर बना है वो कभी अशोक, अकबर और ब्रिटिश के समय तक भारत में शामिल थे, बल्कि इससे बड़ा सवाल यह है कि धर्म के नाम पर अलग हुए या अलग किये गए दो राष्ट्रों के बीच आज क्या बदल गया है, जिसके पीछे इस सुगबुगाहट को हवा दी जा रही है. नरेंद्र मोदी की लाहौर-यात्रा से कुछ और कितना असर होगा, यह तो भविष्य के गर्त में है, किन्तु संघ के राम माधव जैसे लोग बड़े सपनों का दृश्य रचने में जुट गए हैं. वस्तुतः यह कोई नया विचार नहीं है, बल्कि  उस अखंड भारत के विचार का हिस्सा है जिसकी कल्पना और वकालत हिन्दू महासभा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी जैसी संस्थाएं करती आई हैं. इस अखंड भारत की प्रेरणा 'कथित' प्राचीन काल से ली जाती है, जिसमें वर्तमान समय के भारत के साथ पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के अलावा श्रीलंका, भूटान, नेपाल, बर्मा और तिब्बत भी शामिल हैं. 

देखा जाय तो आकार में वर्तमान भारत 'कल्पना' के अखंड भारत के आधे से भी कम है. हिन्दू राष्ट्रवादी दीनानाथ बत्रा अखंड भारत की परिकल्पना बड़े बिस्तार से करने के लिये जाने जाते हैं. खैर, भाजपा के प्रखर राष्ट्रीय प्रवक्ता माने जाने वाले राम माधव ने अपनी बात को संतुलित करने का खूब प्रयास भी किया और कहा अगर दो जर्मनी एक साथ आ सकते हैं अगर दो वियतनाम एक साथ आ सकते हैं तो भारत-पाकिस्तान एक साथ क्यों नहीं हो सकते! राम माधव ने अपने वक्तव्य में यह भी क्लियर करते हुए कहा कि यह किसी की ज़मीन हड़पने और जोर-जबरदस्ती के बजाय अखंड भारत की कल्पना पॉपुलर गुडविल पर यानी बड़ा तादाद में लोग क्या चाहते हैं इस निर्भर करती है. मतलब, अगर बहुमत में लोग राजी हो जाएँ तो यह संभव हो सकता है. आरएसएस के प्रचारक रह चुके माधव ने बयान में बाकायदा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पक्ष रखते हुए कहा कि आरएसएस का मानना है कि ऐतिहासिक कारणों से तीनों देश अलग हुए थे. और कुछ असहमतियों से परे हटकर अखंड भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप में लाया जा सकता है. आईआईएम से जुड़े एक प्रोफ़ेसर वैद्यनाथन ने इस मामले में एक बेहद दिलचस्प ट्वीट किया कि 'उम्मीद है कि राम माधव पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश के फिर से एक होने के अपने विचार को लेकर गंभीर नहीं हैं. अगर ऐसा हुआ तो जनसांख्यकीय रूप से एक इस्लामिक गणराज्य उभरेगा. क्या वह और भाजपा यह चाहते हैं? सच ही तो है, आखिर भारत के 18 करोड़ मुसलमान, पाकिस्तान के भी 18 करोड़ मुसलमान और बांग्लादेश के लगभग 15 करोड़ मुसलमान मिलकर 50 करोड़ से ज्यादे हो जायेंगे. ऐसे में धर्म के नाम पर ही अलग हुए राष्ट्रों के जुड़ने से किस प्रकार के असंतुलन पैदा हो सकते हैं, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है. एक मित्र ने मजाक में कहा कि सबसे बड़ी दिक्कत तो गिरिराज सिंह और साक्षी महाराज जैसे लोगों को होगी कि वह बात-बेबात पर भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने को तैयार रहते हैं. ऐसे में 50 करोड़ मुसलमानों को इंडोनेशिया भेजना थोड़ा बेतुका सा लगेगा... इसलिए अखंड भारत की सियासी सोच को फिलहाल डब्बे में ही रखना उचित रहेगा. 

हालाँकि, राम माधव के बयान पर विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि यह जाकर अगर पाकिस्तान और बंगलादेश में कहें तो वहां के लोग बहुत नाराज होंगे. आरेजडी नेता मनोज सिन्हा ने कहा कि पहले भारत को तो खंडित होने से बचाएं. वहीं बीजेपी ने राम माधव के बयान का बचाव करते हुए कहा कि लोग इसे गलत तरीके से ले रहे हैं. अब सही सोच क्या यह राम माधव के बयान के पीछे, ये तो पार्टी के प्रवक्ता और हाईकमान ही बता सकते हैं. उन्हें आखिर, ऐसे मसलों से मसखरापन करने की क्या जरूरत आ पड़ी, यह उन्हें जरूर क्लियर करना चाहिए. जहाँ तक जर्मनी के एकीकरण का मुद्दा राममाधव ने उठाया है, तो यहाँ यह समझा जाना चाहिए कि जर्मनी को बाहरी ताकतों ने अलग किया था तो वर्तमान जर्मनी में लगभग एक-तिहाई लोग प्रोटेस्टेंट ईसाई हैं, एक-तिहाई कैथोलोक ईसाई और एक-तिहाई नास्तिक हैं. यह भी कहा जा सकता है कि अधिकांश ईसाई भी केवल नाममात्र ही ईसाई हैं. पाकिस्तान, बांग्लादेश और खुद भारत अभी आज भी धर्मान्धता की जकड़ में इस हद तक धंसे हुए हैं कि अगर ये कल्पना ही कर ली जाय कि तीनों मिल जाते हैं तो कल्पना में ही कुछ पलों में यह तीन की बजाय 13 भागों में बंटे दिखते हैं. खुद संघ की अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी कट्टर धार्मिक संगठन की ही बनी है. हालाँकि कई बार ईसाई मिशनरीज जानबूझकर संघियों को बदनाम करती हैं, किन्तु इसके विहिप जैसों आनुषंगिक संगठनों के तोगड़िया महोदय के ऐसे बयानों का क्या कीजियेगा जिसमें जबलपुर में वीएचपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में इन महाशय ने दावा कर दिया कि अगर 'भारत में आतंकी संगठन आईएसआईएस के प्रसार को रोकना है और देश का विकास करना है तो अयोध्या में राम मंदिर का बनना जरूरी है.' इसके पीछे तोगड़िया न तर्क दिया कि इससे आईएस की विचारधारा कमजोर होगी और देश का आर्थ‍िक विकास होगा. वाकई, तोगड़िया जी के इस तर्क से बड़े से बड़ा तर्कशास्त्री भी विस्मृत हो जायेगा. उधर, राममाधव के बयान पर असद्दुदीन ओवैसी की त्योरियां चढ़ गयीं और आरएसएस को तत्काल लताड़ लगा दी. आखिर, देश में कहीं दंगे हो तो सेक्यूलर खेमे के लोग आरएसएस को निशाने पर ले लें और विहिप जैसी विंग मुसलमानों को निशाने पर ले लें तो फिर 'अखंड भारत' बना कर क्या करना है. मुश्किल यह है कि शिक्षा के स्तर पर भारत अभी बेहद पिछड़ा हुआ है तो पाकिस्तान और बांग्लादेश में धर्मान्धता की बात न ही की जाए तो बेहतर है. हालाँकि, इस पूरी जद्दोजहद को अगर तीन देशों का कोई क्षेत्रीय संगठन बना कर सुलझा सकें तो भविष्य की राह से थोड़ी रौशनी जरूर आती दिखेगी. वैसे अभी इसके लिए भी दिल्ली दूर है, क्योंकि 'अफीम' का नशा होता ही ऐसा है. किसी विचारक का कथन है शायद कि धर्मान्धता भी 'अफीम' जैसी ही होती है.

Mithilesh hindi article on Akhand bharat, India, Pakistan and Bangladesh,

भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अखंड भारत, मोदी पाकिस्तान में, मोदी-नवाज़, राम माधव, आरएसएस, India, pakistan, Bangladesh, Akhand Bharat, modi in pakistan, Modi-Nawaz Meet, Ram Madhav, Ram Madhav RSS, katju, markandey, owaisi, togadiya, isis, afeem, religion is bad, ashiksha,

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ