नए लेख

6/recent/ticker-posts

Ad Code

येन, केन, प्रकारेण के सिद्धांत को मानता है कारपोरेट जगत! Corporate sector and corruption, Hindi Article, Mithilesh

जाने माने फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर की 2006 में एक फिल्म आयी थी 'कॉर्पोरेट'! कहा जाता है कि मधुर भंडारकर की तमाम फिल्में 'यथार्थ' पर आधारित होती हैं और बिपाशा बसु, के.के. मेनन जैसे अभिनेताओं के अभिनय से सजी यह फिल्म देखने के बाद यह यकीन हो जाता है कि 'भारतीय कॉर्पोरेट का यथार्थ', उसका सिद्धांत 'येन, केन, प्रकारेण' के रास्ते से ही होकर जाता है. यूं तो आप, आज कल यह नहीं बता सकते कि कहाँ भ्रष्टाचार हो रहा है, और कहाँ नहीं! आखिर, इसी भ्रष्टाचार को मिटाने की मुहीम लेकर तो आगे आये थे आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के वर्तमान सीएम अरविन्द केजरीवाल और सिर्फ केजरीवाल ही क्यों, भ्रष्टाचार और काले धन के नाम पर तो कांग्रेस सरकार की जो हालत खराब हुई है, उससे आज तक नहीं उबर पाई है. खैर, नेताओं और राजनीति के भ्रष्टाचार पर खूब बातें हुई हैं और अब निश्चित तौर पर समय है 'कॉर्पोरेट सेक्टर' के भ्रष्टाचार पर चर्चा करने का. यूं तो कई आंकड़े पहले भी इस सम्बन्ध में आते रहे हैं, और इसी तरह के भारतीय कॉरपोरेट में हो रहे अप्रत्यक्ष भ्रष्टाचार की चर्चा अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) ग्‍लोबल फ्रॉड सर्वे 2016 में की गई है, जिसमें भारतीय कॉरपोरेट जगत के उन पहलुओं को दिखाने की कोशिश की गयी है, जहां धोखाधड़ी, रिश्‍वत और भ्रष्‍टाचार से जुड़े मामले व्‍यक्तिगत होने पर सबकी हरकतों को उजागर कर देती है. कॉरपोरेट में 'टारगेट' आम बात है और इसके प्रत्येक क्षेत्र में टारगेट होता ही है, जिसका पूरा होना ही एम्प्लोयी का परफॉरमेंस को दर्शाता है. यह बात आम है कि इस टारगेट को पूरा करने के लिए कम्पनिया क्या-क्या  हथकंडे अपनाती हैं, खासकर बात जब सरकारी ठेकों और अफसरों इत्यादि को खुश करना हो! कई कारणों से कंपनियों के 'मुखबिर' सामने नहीं आ पाते हैं, जिससे लाख कोशिश के बाद भी कंपनी के अंदर की बातों को जान पाना बेहद कठिन कार्य हो जाता है और यह एक बड़ा फैक्टर है, जो अंदर की धोखाधड़ी और रिश्‍वत के मामलों को दबाने में कारगर साबित होता है. 
जाहिर है, इस तरह का संरक्षण पाकर इनको और बढ़ावा ही मिलता है और यह क्रम अनवरत चलता जाता है. यह बात भी जगजाहिर ही है कि भारत में  बिज़नेस की औपचारिकता पूरी करना हो या कॉन्‍ट्रैक्‍ट लेना हो, आप बिना रिश्‍वत नहीं ले सकते! अगर आपको कॉन्‍ट्रैक्‍ट लेना है, तो आपको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रिश्‍वत देना ही होगा. केंद्र में, नयी सरकार के गठन के बाद भ्रष्टाचार के कई स्तरों पर लगाम की बात कही गयी है, किन्तु तथ्य यही है कि यह बदस्तूर जारी है. हाँ, अब रिश्वतखोरी का रेट जरूर बढ़ गया है, क्योंकि इसके आस पास पकड़े जाने के डर से सुरक्षा घेर और मजबूत कर दिया गया है, किन्तु इस पर रोक कतई नहीं लग पायी है, इस बात में दो राय नहीं! आंकड़ों के लिहाज से देखा जाय तो, ग्‍लोबल स्‍तर पर कॉन्‍ट्रैक्‍ट के लिए भारत में रिश्वतखोरी 11 फीसदी है, जो दूसरे देशों में सिर्फ 4 फीसदी है. भारत में वैसे भी रिश्‍वत और भ्रष्‍टाचार बड़े लेवल पर कुछ ज्यादा ही होता है. यह भी एक आश्चर्य ही है कि 70% से ज्यादे कॉर्पोरेट पर्सन अपने फाइनेंशियल टारगेट को गलत तरिके से अचीव करते हुए अपने तरीके को सही ठहराते है. यह केवल वाह्य ठेकों में ही नहीं है, बल्कि आंतरिक संरचना में भी भ्रष्टाचार घुस गया है. जैसे कि मासिक सूचना पीरिएड को आगे करना, फ्लेग्जिबल प्रोडक्‍ट रिटर्न पॉलिसी अपनाने के लिए मूल्यांकन या आरक्षित तय करने में ऊपर-नीचे करना, किसी औपचारिक समझौता को पिछली तारीख में दिखाने से लेकर तय तारीख से पहले रेवेन्‍यू बुक करना आदि. जाहिर है, ऐसी कारगुजारियों से हमारी नैतिकता तो जो प्रभावित होती है, वह होती ही है, किन्तु घूम फिरकर इन लापरवाहियों की गाज हमारी जनता पर ही गिरती है. ईवाई इंडिया के फ्रॉड इन्‍वेस्टिगेशन एंड डिस्‍प्‍यूट सर्विसेज मामलों के पार्टनर मुकुल श्रीवास्‍तव इस सम्बन्ध में कहते हैं कि "भ्रष्‍टाचार और फ्रॉड के खिलाफ अपनी जंग को असरदार बनाने के लिए भारत को व्‍यक्तिगत जवाबदेही तय करने की जरूरत है". 

बताते चलें कि ग्‍लोबल सर्वे में 29 देशों के कुल 2825 लोगों में भारत से काम करने वाले लगभग 50 सीईओ, लीगल हेड और कम्‍पलायंस हेड ने भी हिस्सा लिया था. इन 29 देशों में 17वे स्थान पर भारत है, जिसका मानना है कि 'रिश्‍वत और भ्रष्‍टाचार' की जंग बहुत लम्बी है. इन रिपोर्ट्स के अतिरिक्त अगर कुछ बातों पर गौर किया जाय तो 'कॉर्पोरेट सेक्टर' के तेज-तर्रार एक्जीक्यूटिव्स सरकारी अधिकारियों की लोलुपता का बखूबी फायदा उठाते हैं. बल्कि, कई मामलों में तो यह 'हनी ट्रैप' जैसे स्थित तक पहुँच जाता है. सरकारी अधिकारियों से गलत लाभ लेने के अतिरिक्त, कॉर्पोरेट्स एक दुसरे प्रतिद्वन्दियों को नीचे गिराने का भी कोई मौका नहीं छोड़ते हैं और इस प्रक्रिया में वह धन, बल, राजनीतिक संपर्क तक का प्रयोग करने में हिचकिचाते नहीं हैं. यह अपने आप में अजूबा ही है कि देश में भ्रष्टाचार को लेकर सरकारी कर्मचारी और नेताओं तक के खिलाफ खूब आंदोलन होते हैं, उनको खूब कठघरे में खड़ा किया जाता है, किन्तु जब बात आती है 'कॉर्पोरेट्स' की, तब इन मामलों पर चुप्पी साध लिया जाता है. आज के समय में देश के प्रत्येक क्षेत्र में कॉर्पोरेट हावी होता जा रहा है, यहाँ तक कि रक्षा-निर्माण जैसे संवेदनशील क्षेत्र भी इसकी झोली में गिरने को तैयार हो चुके हैं, ऐसे में अगर सरकारी कानूनों की सख्ती और उनसे बढ़कर जनता में कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता की मुहीम नहीं छेड़ी जाती है, तो आने वाले समय में यह हमारे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ भी जा सकता है, जबकि जनता के स्वास्थ्य एवं उसके हितों की अनदेखी, कॉर्पोरेट जगत, भ्रष्टाचार का सहारा लेकर तो पहले ही कर रहा है. 
Corporate sector and corruption, Hindi Article, Mithilesh, 
Economy, Higher Degree of Loyalty, Loyalty, , Company, Colleagues, Prevent, Whistle - blowing, Corruption, Indian Corporate, bribe, Officers , Contract, bad competition, honey trap, public health, political hippocracy, bhrashtachari, corporate movie, madhur bhandarkar, best hindi article, public awareness

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

  1. यु तो भ्र्ष्टाचार हर क्षेत्र में है लेकिन हम कॉर्पोरेट की बात करें तो भ्र्ष्टाचार और रिश्वत का एक अलग ही चेहरा दीखता है . यह की अंदरूनी बाते सिर्फ उन्ही को पता होती है जो वह रेगुलर और तेजतर्रा लोग है . कॉर्पोरेट में कोई भी काम करवाने से पहले बॉस या हायर अथॉरिटी को कुश करना होता है जिससे की काम आसानी से निकल जाये . इस काम को करने के लिए वहां के पिउन से लेकर डायरेक्टर तक मिले होता है . इस तरह के सिस्टम में इन सारी प्रॉब्लम को दूर करने के लिए इनके लेवल पर ही काम करना पड़ेगा जिससे आपको इनकी पूरी जानकारी मिले क्योकि यहाँ को कोई भी खबर बहार किसी हालत में नहीं आता है.

    जवाब देंहटाएं
  2. यु तो भ्र्ष्टाचार हर क्षेत्र में है लेकिन हम कॉर्पोरेट की बात करें तो भ्र्ष्टाचार और रिश्वत का एक अलग ही चेहरा दीखता है . यह की अंदरूनी बाते सिर्फ उन्ही को पता होती है जो वह रेगुलर और तेजतर्रा लोग है . कॉर्पोरेट में कोई भी काम करवाने से पहले बॉस या हायर अथॉरिटी को कुश करना होता है जिससे की काम आसानी से निकल जाये . इस काम को करने के लिए वहां के पिउन से लेकर डायरेक्टर तक मिले होता है . इस तरह के सिस्टम में इन सारी प्रॉब्लम को दूर करने के लिए इनके लेवल पर ही काम करना पड़ेगा जिससे आपको इनकी पूरी जानकारी मिले क्योकि यहाँ को कोई भी खबर बहार किसी हालत में नहीं आता है.

    जवाब देंहटाएं
Emoji
(y)
:)
:(
hihi
:-)
:D
=D
:-d
;(
;-(
@-)
:P
:o
:>)
(o)
:p
(p)
:-s
(m)
8-)
:-t
:-b
b-(
:-#
=p~
x-)
(k)