नए लेख

6/recent/ticker-posts

Ad Code

गूगल की 'एनुअल डेवलपर कॉन्फ्रेंस' एवं ऐडसेंस पर आतंकी सहयोग के आरोप! Google Annual Developer Conference, Terror connection of adsense, Hindi Article

*लेख के लिए नीचे स्क्रॉल करें...


पिछले दिनों गूगल की 'एनुअल डेवलपर कॉन्फ्रेन्स' पर उन तमाम लोगों की निगाहें गड़ी हुईं थीं, जिनको तकनीकी दुनिया में ज़रा भी रुचि है. इस कॉन्फ्रेंस में गूगल ने उन सबकी आशा से कहीं आगे बढ़कर घोषणाएं भी कीं, जो भविष्य में इस कंपनी की महत्वाकांक्षाओं को तो विस्तार देंगी ही, इसके साथ साथ लोगों के जीवन में तकनीक और तकनीकी कंपनियों का दखल भी पहले से कहीं अधिक बढ़ जायेगा. इन नयी घोषणाओं में एंड्रॉइड का नया वर्जन 'एंड्रॉइड एन' की घोषणा की गयी, जिससे मोबाइल पर गेम खेलना और आसान होगा तो तस्वीरें ज्यादा क्लियर होंगी. इसी क्रम में, बिना ऐप खोले नोटिफिकेशन का जवाब देना या साइलेंट करने का फीचर भी शामिल किया गया है तो अब ऐप तीन चौथाई तेज स्पीड से इन्स्टॉल होंगे. सिर्फ गूगल के लोकप्रिय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्राइड के नए वर्जन की बात ही नहीं हुई यहाँ, बल्कि इसमें सर्वाधिक चर्चा जिस प्रोडक्ट की हुई, वह है 'गूगल होम'. इस साल के अंत तक लॉन्च की सम्भावना वाला यह प्रोडक्ट आपके अपने सिस्टम के वर्चुअल असिस्टेंट के तौर पर कार्य कर सकता है, वहीं वॉइस एक्टिवेटेड इस डिवाइस से आप मोबाइल के पास नहीं होने पर भी गूगल को एक्टिवेट कर पाएंगे. हालाँकि, आने वाले दिनों में इस प्रोडक्ट की खूबियों और खामियों के बारे में और खुलकर बातें सामने आएँगी, किन्तु कंपनी इस डिवाइस को काफी स्मार्ट बना रही है, इस बात में दो राय नहीं! इसी तरह, 'गूगल असिस्टेंट' आपकी रिक्वेस्ट पर सजेशन भी देगा, जो आपकी जरूरत की चीजों को ढूँढ़ने में बेहद मददगार साबित होगा, आज से कहीं ज्यादा! इसी क्रम में, 'आलो' नामक प्रोडक्ट की घोषणा भी गूगल के 'एनुअल डेवलपर कॉन्फ्रेंस' में की गयी, जो आपके कन्वर्सेशन पर नजर रखेगा और आपको जरूरी सूचना भी देगा. मसलन, अगर आप कहीं घूमने जा रहे हैं तो यह आपको आसपास की उन जगहों के बारे में सटीकता से बताएगा! इसी तरह, 'डेड्रीम' की घोषणा भी टेक्नोलॉजी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है, जिसके जरिए एंड्रॉइड डिवाइस के लिए हाई-क्वालिटी वर्चुअल रियलिटी को और आसान बनाने की बात कही गयी. इसके लिए गूगल मोबाइल बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलकर काम करेगी, तो इसके बेहतरीन फ़ंक्शंस के लिए कुछ सेंसर्स भी जोड़े जाएंगे. 
डेड्रीम को गूगल का कंट्रोलर डिजाइन भी कहा जा सकता है. गूगल ने इस बहुप्रतीक्षित कॉन्फ्रेंस में 'एंड्रॉइड वियर अपडेट्स' के बारे में भी ज़िक्र किया, जो वियरेबल टेक्नोलॉजी से सम्बंधित है. मतलब अब स्मार्टवॉच, एंड्रॉइड से चलेगी तो वॉचेज को वाई-फाई या सेल्युलर नेटवर्क से कनेक्ट किया जा सकेगा. जाहिर है, इन तमाम प्रोडक्ट्स के सहारे गूगल मार्किट में अपनी बादशाहत को कायम रखने में सफल रहेगी, इस बात में दो राय नहीं, पर सवाल इंटरनेट कंपनियों की बादशाहत से आगे का है, जिसने आम-ओ-खास को कड़ी चिंता में डाल दिया है. अगर आपसे कहा जाए कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी गूगल पर भी आतंकियों की मदद करने के आरोप लगे हैं तो शायद ही आपको विश्वास हो! किन्तु, यह बात पूरी तरह झूठ भी नहीं है. अनजाने में ही सही पर गूगल के एक प्रोडक्ट 'ऐडसेंस' पर ऐसे आरोप लगे हैं, जिससे इस बड़ी कंपनी की सुरक्षा सम्बन्धी चिंताओं पर बात करना आवश्यक हो जाता है. मैंने पहले भी अपने कई लेखों में कहा है कि गूगल जैसी उपयोगी कंपनियां, खासकर ऑनलाइन वर्ल्ड में गिनी चुनी ही हैं और जिस प्रकार उसकी तमाम सर्विसेज पर करोड़ों लोगों की निर्भरता है, उससे स्थिति की गम्भीरता और बेहतर तरीके से समझी जा सकती है. गूगल ने अपनी 'एनुअल डेवलपर कॉन्फ्रेंस' में कई ऐसी घोषणाएं की हैं, जो आने वाले समय में टेक्नोलॉजी पर हमारी आपकी निर्भरता को और भी बढ़ा देंगे तो इंसानी ज़िन्दगी में सहूलियतें भी काफी आएँगी. किन्तु, जरा गौर करें अगर तमाम टेक्नोलॉजी का एक्सेस आतंकियों को मिल जाए तो... ?? ऐसे में, क्या गूगल समेत अन्य कंपनियों को इस दिशा में नहीं सोचना चाहिए, जिससे लोगों की ज़िन्दगी में दखल दिए बिना कम से कम 'आतंकियों' पर लगाम लगाया जा सके, उनके खिलाफ सरकारों को सूचित किया जा सके अथवा पब्लिक को भी जागरूक करने की जिम्मेदारी उठायी जा सके.

Read this article too >> ब्राउजर्स के बादशाह गूगल 'क्रोम' को जानिए और नजदीक से!

पिछले दिनों फेसबुक, ट्विटर जैसी कई सोशल मीडिया कंपनियों पर यह आरोप लगा कि उनके माध्यम से आतंकवादी न केवल नयी रिक्रूटमेंट कर रहे हैं, बल्कि संदेशों का आदान-प्रदान और दूसरी तमाम योजनाओं का कार्यान्वयन करने में भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहे हैं. आलोचना होने पर इन इंटरनेट कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए और कहना शुरू किया कि करोड़ों यूजर्स में यह ढूंढना मुमकिन नहीं है कि कौन 'आतंकी' नहीं है और कौन 'आतंकी' है? प्रथम दृष्टया इन कंपनियों की बात सही लग सकती है, किन्तु बात यहाँ सिर्फ 'वाचडॉग' की ही नहीं है, बल्कि 'कमाई' और 'व्यूअर्स' को खोने का डर भी तमाम इंटरनेट कम्पनीज को सताता है, जिसके कारण वह इस तरह के प्रयासों को शुरू ही नहीं करना चाहती हैं, जिससे आतंक पर लगाम लगाया जा सके. आखिर, ऐसे 'एल्गोरिदम' क्यों नहीं विकसित किये जाने चाहिए, जो यह डिसीजन कर सके कि 'अमुक कंटेंट, अमुक तस्वीर, अमुक वीडियो या ऑडियो' आतंक से सम्बंधित हो सकता है और अगर उस आईपी से या फिर उस लोकेशन से बार-बार आपत्तिजनक कंटेंट आता है तो फिर उसकी मैनुअल चेकिंग की जा सकती है. आखिर, आज गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां हॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म सीरीज 'आयरनमैन' जैसी टेक्नोलॉजी विकसित करने पर जोर दे रही हैं. गूगल के सुन्दर पिचाई ने जहाँ 'एनुअल डेवलपर कॉन्फ्रेंस' में आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस पर ज़ोर दिया, वहीं फेसबुक के मार्क ज़करबर्ग तो खुलकर आयरमैन के 'जार्विस' को डेवलप करने की मंशा जाहिर कर चुके हैं. ऐसे में, क्या इन वैश्विक कंपनियों की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वह आतंक के बढ़ते दुश्चक्रों को रोकने पर भी अनिवार्य रूप से शोध करें? 
बताते चलें कि इंडोनेशिया के जकार्ता में 2009 में हुए बड़े आत्मघाती हमले के जिम्मेदार संगठन की वेबसाइट द्वारा गूगल ऐडसेंस से करोड़ों की कमाई की बात सामने आयी है. खबरों के अनुसार, यह संगठन अलकायदा के दक्षिण पूर्व एशिया में सक्रीय आतंकी संगठन जेमाह इस्लामिया का प्रमुख सदस्य है. यह बेहद आश्चर्य का विषय है क्योंकि गूगल ऐडसेंस के बारे में जानने समझने वाले यह बात बखूबी जानते हैं कि ऐडसेंस का अकाउंट बेहद मुश्किल से अप्रूव होता है तो उसमें ऐडसेंस की पॉलिसी के खिलाफ बात मिलने पर ऐडसेंस अकाउंट ब्लॉक भी कर दिया जाता है. ऐसे में आखिर, गूगल जैसी बड़ी कंपनी से चूक कैसे हो गयी? या फिर, यह कार्य भारी भरकम रेवेन्यू आने के कारण नजरअंदाज कर दिया गया. फेसबुक के पेजों पर आतंकी संगठनों का अपना प्रचार करना और रिक्रूटमेंट करने की बातें भारत जैसे देशों में भी सामने आ चुकी हैं. जो भी हो, यह मामले बेहद गम्भीर प्रवृत्ति के हैं और तमाम बड़ी कंपनियों को टेक्नोलॉजी विकसित करते समय उसकी सुरक्षा और उसके उन एल्गोरिदम पर कड़ाई से कार्य करना चाहिए, जिससे उसका दुरूपयोग होने की सम्भावना न्यून होती चली जाए. आखिर, आज पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे देशों के पास 'एटम बम' है तो पूरी दुनिया परेशान है कि नहीं? ऐसे ही अगर आप व्यापक तौर पर देखें तो गूगल या फेसबुक के प्रोडक्ट्स आतंकियों के हाथ लगने पर किसी 'एटम बम' से कम विनाश थोड़े ही फैलाते हैं? ऐसे में सरकारों को भी इस मामले में कानून की सख्ती सुनिश्चित करनी चाहिए तो गूगल जैसी बड़ी कंपनियों को भी अपनी 'एनुअल डेवलपर कांफ्रेंस' में हर बार और बार-बार सुरक्षा चिंताओं की ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि यह विश्व टेक्नोलॉजी के प्रयोग से सुविधाजनक हो, न कि तमाम देशों के नागरिक और आने वाली पीढ़ियां आतंक के घातक जाल में उलझ जाएँ और उलझती ही चली जाएँ!

यदि आपको मेरा लेख पसंद आया तो...
f - फेसबुक पर 'लाइक' करें !!
t - ट्विटर पर 'फॉलो'' करें !!

Breaking news hindi articles, Latest News articles in Hindi, News articles on Indian Politics, Free social articles for magazines and Newspapers, Current affair hindi article, Narendra Modi par Hindi Lekh, Foreign Policy recent article, Hire a Hindi Writer, Unique content writer in Hindi, Delhi based Hindi Lekhak Patrakar, How to writer a Hindi Article, top article website, best hindi article blog, Indian blogging, Hindi Blog, Hindi website content, technical hindi content writer, Hindi author, Hindi Blogger, Top Blog in India, Hindi news portal articles, publish hindi article free, Google ,   Search Engine ,   Google Office ,   Goat ,   Google Image ,   Jenifer Lopez ,   Backrub , adsense, terror and technology article, terrorist group Indonesia, android n, day dream, google home, google new products, jemah islamia, facebook and terror, twitter and terrorism, islamia jemah, strong algorithm for stopping terrorism, android wear updates, aalo, 
Google Annual Developer Conference, Terror connection of adsense, Hindi Article

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ