नए लेख

6/recent/ticker-posts

Ad Code

एक बार फिर विवादों में है 'जेएनयू' - JNU, Jawahar lal university, Controversy, New Hindi Article

21वीं सदी के दुसरे दशक में अगर सर्वाधिक विवादित मुद्दों की लिस्ट बनाई जाए तो निश्चित तौर पर 'जेएनयू'' उनमें से एक होगा. विवाद दर विवाद, बवाल दर बवाल होने से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय पर सवाल दर सवाल खड़े होने ही थे. कल तक जेएनयू में पढ़ने का ख्वाब देखने वाले छात्र आज उसी जेएनयू कैंपस का नाम लेने से भी कतराते होंगे, तो जेएनयू कैंपस में हो रही देश विरोधी गतिविधियों के फलस्वरूप छात्रों को वहां जाने से हिचक भी पैदा हुई है, इस बात में 'दो राय' नहीं! पिछले कई सालों से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानि जेएनयू शिक्षण संस्थान न रह कर विवादों का गढ़ बनता जा रहा है. विवादों से घिरे रहने वाले इस जेएनयू कैंपस में इस साल के फरवरी महीने में ऐसा विवाद छिड़ा जिसने एक बार समूचे देश को झकझोर कर रख दिया और लोग यह सोचने को विवश हो गए कि जनता की गाढ़ी कमाई के दम पर मिलने वाली सब्सिडी क्या 'राष्ट्रविरोधी' कार्यों के लिए ही दी जा रही है? उसके बाद भी लगातार चर्चा में रहने से एक एक कर इसके अंदर की सच्चाई सामने आने लगी है. जेएनयू कैंपस को शर्मसार करने वाली इस बात को जानकर कोई भी हैरान हो सकता है. जी हाँ, स्वयं जेएनयू के शिक्षकों के एक समूह ने कैंपस को 'सेक्स रैकेट चलाने वालों का अड्डा' बताया है , और इसके साथ जानने वाली बात यह भी है कि इसके लिए उन्होंने '200 पृष्ठों का अच्छा खासा आंकड़ा' तैयार किया है. कुछ तो ऐसी बात है कि जेएनयू कैंपस की व्यवस्था लचर हो गयी है अथवा कर दी गयी है और अब ऐसे-ऐसे वाकये सामने आ रहे हैं, जो किसी को भी शर्मसार करने के लिए पर्याप्त हैं. 

जेएनयू में तमाम गतिविधियों में यह बात सामने आयी है, जिसमें इस कैंपस के छात्रों और अध्यापकों का नक्सलवादी हिंसा का समर्थक होना और दुसरे भारतविरोधी कार्यों में संलिप्त रहने की पुष्टि हुई है. इतना ही क्यों, भारतीय जनमानस को भड़काने में भी इस संस्थान से जुड़े लोग पीछे नहीं रहे हैं. इस संस्थान में नवरात्री में महिषासुर दिवस मना कर बहुसंख्यक हिन्दुओं को भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है. विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के डेटा के अनुसार दलित और महिला उत्पीड़न के मामलो में भी जेएनयू 104 संस्‍थानों में सबसे आगे है, और यह बात मानव संसाधन विकास मंत्री स्‍मृति इरानी ने लोकसभा में बताया था. जाहिर है, आज़ादी के अनर्गल नारों के पीछे 'काली करतूतें' सामने आ रही हैं. जेएनयू कैम्पस पर गम्भीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करने वाली रिपोर्ट को तैयार करने वाले शिक्षकों के संगठन का नेतृत्व कर रही सेंटर फॉर लॉ एंड गवर्नेंस की प्रोफेसर अमिता सिंह का कहना है कि "जेएनयू हॉस्टल की मेस में सेक्स वर्करों का आना आम बात है." अमिता सिंह ने यह भी कहा कि 'एक हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं पर शराब पीने और दूसरी अनैतिक गतिविधियों के लिए 2 हजार से लेकर 5 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जा चुका है. जाहिर है ऐसी बातें पहले भी उठी हैं, किन्तु संस्थान के भीतर से यह बातें सामने आने पर कोई भी चौंक सकता है. वैसे भी, हॉस्टल के गेटों पर कोई भी शराब की सैंकड़ों बोतलें देख सकता है. हॉस्टल की मेस में आने वाले तमाम सेक्स वर्कर अपना सेक्स रैकेट चलाने के लिए जेएनयू की लड़कियों को लालच देती हैं और लड़कों का दिमाग भी गंदा करती हैं.' अमिता सिंह द्वारा यह सवाल उठाया जाना अपने आप में चिंताजनक है कि 'हॉस्टल के आसपास, खास तौर पर रात को कैसे बड़ी और महंगी गाड़ियां घूमती रहती हैं.' 

इस रिपोर्ट के अनुसार यह भी बेहद निंदनीय बात सामने आयी है कि इस रैकेट में सिक्योरिटी स्टाफ के कुछ लोग भी शामिल हैं. जाहिर है कि भारतीय संस्कृति जहाँ स्कूल, कॉलेज विद्या के मंदिर माने जाते रहे हैं, वहीं जेएनयू जैसे संस्थानों में नए स्टूडेंट पैसे, सेक्स, ड्रग्स और शराब के चक्कर में  फंसते जा रहे हैं. पिछले दिनों के एक अन्य खबर के अनुसार, जेएनयू में रोजाना शराब की 4000 बोतलें, सिगरेट के 10 हजार फिल्टर, बीड़ी के 4000 टुकड़े, हड्डियों के छोटे-बड़े 50 हजार टुकड़े, चिप्स के 2000 रैपर्स और 3000 इस्तेमाल किए गए कंडोम मिले थे. यह आंकड़ा अपनी जगह सही या गलत हो सकता है, किन्तु 'दाल में काला' तो है ही और अब यह बात पूरे देश के सामने आ चुकी है. लंबे समय से चले आ रहे ‘देश विरोधी गतिविधियों’ में शामिल  विनाशकारी ताकतों को रोकने के लिए जनता सरकार पर दबाव डाल रही है कि इस संस्थान को दी जा रही भारी सब्सिडी पर विचार किया जाए, क्योंकि 'फ्री की सब्सिडी' से अक्सर 'हरामखोरी' ही जन्म लेती है. आरएसएएस जैसे संगठन इस तरह के कृत्यों पर खासे नाराज हैं और उनका साफ़ कहना है कि देश को तोड़ने वाले नारों को सहन नहीं किया जाएगा. देश के नीति-निर्धारकों को इस बात के प्रति कृत संकल्प होना ही पड़ेगा कि वह चाहे जेएनयू हो या कोई और संस्थान, वहां शिक्षा के नाम पर देशविरोधी कृत्यों की इजाजत न दी जाए, अन्यथा विद्या का मंदिर 'ड्रग, सेक्स, अनैतिक पैसे' का हब ही बनेगा और इसका परिणाम भुगतेंगी हमारी आने वाली पीढ़ियां!

JNU, Jawahar lal university, Controversy, New Hindi Article,
Jawaharlal nehru university, ABVP, Afzal Guru, JNU, left wing, जवाहर लाल यूनिवर्सिटी, जेएनयू, सेक्स रैकेट, जेएनयू टीचर, जेएनयू विवाद, एमएलए, ज्ञानदेव आहूजा, राजस्थान, अलवर, कंडोम, बीजेपी, विधायक, JNU, JUN Teachers, Sex Racket, Dossier, JNU Row, Gyandev Ahuja, JNU, Condoms, BJP, rajasthan, alwar, controversy, condoms, cigrette, abortion injections, controversial, school college motto, stop subsidy, daal me kaala, drug, sex, morality, anaitik, new students in trap

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ