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बाबा बर्फानी अमरनाथ की दुर्गम यात्रा, भक्तों के बुलंद हौंसले! Shri Amarnath Yatra, Bholenath Stories, Hindi Spiritual Article, Mithilesh



विश्व के सर्वाधिक दुर्गम और ऊँचे तीर्थ-स्थानों में से एक बाबा बर्फानी की अमरनाथ-यात्रा (Shri Amarnath Yatra) भला कौन सनातनी नहीं जाना चाहता है. तमाम आतंकी खतरों के बावजूद त्रिदेवों में एक भोले शिवशंकर के धाम अमरनाथ जाने की इच्छा सबके दिल में पलती रहती है, लेकिन कहते हैं कि बाबा बर्फानी के धाम वही भक्त पहुँचता है जिसे बाबा का बुलावा आता है. श्रीनगर से लगभग 130 किलोमीटर दूर भगवान शिव की गुफा, जिसमें हर साल स्वनिर्मित बर्फ का शिवलिंग बनता है. मान्यता है कि यहाँ खुद भगवान शिव साक्षात अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. इनका दर्शन करने हजारों शिव-श्रद्धालु देश-विदेश के कई जगहों से आते हैं. यह जगह समुद्र-तल से 3888 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और एक अंदाजे के अनुसार अमरनाथ गुफा लगभग 5000 साल से भी पुरानी है. इस गुफा की लम्बाई 60 फीट, चौड़ाई 30 फीट तथा ऊंचाई 15 फीट है.स्वनिर्मित-शिवलिंग बनने को अभी वैज्ञानिक तो नहीं ही पकड़ पाए हैं, किन्तु इस स्थान का आध्यात्मिक महत्त्व कहीं बढ़कर है. एक पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से अमरत्व के रहस्य को प्रकट करने का हठ करने लगीं, तब भगवान भोले यह रहस्य बताने के लिए पार्वती को हिमालय की इसी गुफा में ले गए, ताकि उनका यह रहस्य कोई दूसरा ना सुन पाए, और यहीं भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया. इस तीर्थ की सबसे खास बात है बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना, जो २१वीं सदी में भी आश्चर्य का विषय बना हुआ है. 

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प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है. इस आध्यात्मिक स्थान की महिमा की बात आगे करें तो शिवलिंग सावन मास की पूर्णिमा को अपने पूरे आकार में आ जाता है. आश्चर्य की बात यह है कि जहाँ पूरी गुफा में कच्चा बर्फ रहता है, वहीं यह शिवलिंग ठोस बर्फ का निर्मित होता है. अमरनाथ यात्रा पर जाते हुए रस्ते में आपको और भी कई छोटे-छोटे स्थान दर्शन को मिलेंगे जिनका सम्बन्ध भी अमरनाथ से है. जैसे अनन्तनाग, पिसु घाटी, पंचतरणी, बैववैल टॉप, महागुणास दर्रा, शेषनाग झील आदि. जाहिर है, अडवेंचर टूर पर जाने वाले आधुनिक युवा भी इसी कारण से इस यात्रा पर (Shri Amarnath Yatra) जाने की मंशा पाले रहते हैं. कहते हैं कि अमरनाथ-गुफा की सर्वप्रथम जानकारी सोलहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में एक मुसलमान गड़रिए को प्राप्त हुई थी. इसी कारण मंदिर के चढ़ावे का एक चौथाई भाग आज भी मुसलमान गड़रिए के वंशजों को दिया जाता है. आज भारत की संस्कृति को सहिष्णुता-असहिष्णुता के खांचे में बाँधने वालों को अगर इन वाकयों का ज़रा भी ज्ञान होता तो उन्हें पता चलता कि हमारा देश गंगा-जमुनी तहज़ीब का हमेशा से स्वाभाविक पैरोकार रहा है. हाँ, कुछ स्वार्थी लोग जान-बूझकर फ़िज़ा में ज़हर घोलते रहते हैं. अभी हाल ही में, कोई ज़ाकिर नाईक नाम का बन्दा खूब चर्चा में आया है, जो मुस्लिम युवाओं को इस कदर भड़काता है कि वाह आतंकवादी बन जाते हैं. ऐसे में गंगा-जमुनी तहज़ीब का स्वाभाविक है बिगड़ जाना, क्योंकि समझदार और पढ़े-लिखे लोग भी ज़ाकिर जैसे ज़हरीले इंसानों को बढ़ावा देते हैं. 
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खैर, इस क्रम में आपको बताते चलें कि अमरनाथ-यात्रा का पंजीकरण श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा विभिन्न बैंकों के माध्यम से किया जाता है जो कि 3-4 महीने पहले से शुरू हो जाता है. इस आध्यात्मिक अमरनाथ-यात्रा पर जाने के लिए दो रास्ते हैं. एक रास्ता पहलगाम से होकर जाता है, जबकि दूसरा रास्ता सोनमर्ग बालटाल से होकर जाता है. पहलगाम और बालटाल तक तो आपको सवारी मिलेगी लेकिन यहां से आगे का रास्ता पैदल ही तय करना पड़ेगा. भारत सरकार अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते ही दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराती है, क्योंकि अपेक्षाकृत यह आसान और सुरक्षित है. इसी के साथ गैर-सरकारी संस्थाए भी यहां अहम भूमिका निभाती हैं और दर्शन के लिए आए यात्रियों को तमाम सुविधा उपलब्ध कराती हैं. पूरी यात्रा (Shri Amarnath Yatra) के दौरान आपको लगभग 40 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है. इसलिए अगर आप भी अमरनाथ की आध्यात्मिक यात्रा की सोच रहे हैं तो कुछ महीने पहले से आपको पैदल चलने का अभ्यास शुरू कर देना चाहिए. चूंकि यह स्थान ऊंचाई पर है इसलिए स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ सावधानियाँ भी बरतनी चाहिए. यहाँ ऑक्सीजन की कमी होती है, तो यहाँ जाने वाले श्रद्धालुओं को शरीर की ऑक्सीजन संबंधी दक्षता को बेहतर बनाने के लिए गहरे सांस लेने का अभ्यास और योग, विशेषकर प्राणायाम शुरू करना चाहिए. 

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यात्रा पर जाने से पहले  अपने चिकित्सक से जांच भी कराएं कि कहीं आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी तो नहीं. इस क्रम में विशेषज्ञों द्वारा जो और सलाह दी जाती हैं, उसके अनुसार ऊंचाई पर चढ़ते समय धीमे चलें और ढलान आने पर कुछ देर आराम करने के लिए रूकें. विविध स्थानों पर आवश्यक तौर पर आराम के लिए रुकिए, टाइम लॉगिंग सुनिश्चित कीजिए और अगले स्थान की ओर बढ़ते समय डिस्प्लै बोडर्स पर अंकित चलने के आदर्श समय जितना ही वक्त लगाइये. जाहिर है, इन मामलों में आपको बेहद सावधानी बरतनी पड़ेगी, जिसके तहत पानी की कमी और सिरदर्द से बचने के लिए खूब पानी पीना (एक दिन में लगभग 5 लीटर पानी), ऊंचाई पर होने वाली तकलीफों के लक्षण दिखते ही फौरन निचले स्तर पर उतर आना और हाँ सबसे जरुरी बात अपने साथ पोर्टेबल ऑक्सीजन ले जाना न भूलना प्रमुख सावधानियों में आता है. साफ़ है कि इससे सांस लेने में तकलीफ होने पर आपको मदद मिलेगी. इस बार की यात्रा (Shri Amarnath Yatra) 2 जुलाई से शुरू हो चुकी है और लगभग 48 दिनों तक चलेगी. जो श्रद्धालु इस यात्रा पर हैं, उन्हें भगवान भोलेनाथ लम्बी आयु प्रदान करें तो बाकी लोग टेलीविजन और इंटरनेट पर इस यात्रा की कुछ बूँदें तो जरूर प्राप्त कर सकते हैं. अमरनाथजी श्राइन बोर्ड की आफिशियल वेबसाइट से आपको कुछ और जानकारी मिल सकती है, इसे देखने के लिए इस यूआरएल पर जाएँ: http://www.shriamarnathjishrine.com/

- मिथिलेश कुमार सिंहनई दिल्ली.



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