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'एटॉमिक फियर' से मुक्ति ... | विज्ञापन खर्च पर फंसी ...| जीतकर भी हारे 'शिवपाल ... | 'नरभक्षी जानवरों' को ... More Hindi Articles by mithilesh2020! Must Read for everyone ...

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1. भारत के वर्तमान सैन्य विकल्प एवं 'एटॉमिक फियर' से मुक्ति! Uri attack Hindi Article
कश्मीर स्थित उरी में आतंकियों के माध्यम से एक बार फिर पाकिस्तान ने हमारे 17 निर्दोष जवानों को मौत के मुंह में धकेल दिया है. सारा देश क्रोध से उबल रहा है, तो सरकार सहित तमाम मीडिया संस्थान घटना का विभिन्न स्तर पर लेखा-जोखा कर रहे हैं. इस हमले के बाद लगातार मैंने भी तमाम भारतीय नागरिकों की तरह विभिन्न अपडेट्स पर नज़रें जमाएं रखीं, ऐतिहासिक सन्दर्भ में वर्तमान विश्लेषण पढ़े, देश-विदेश के जिम्मेदार पदाधिकारियों के बयान सुने, किन्तु दुर्भाग्य से कुछ ऐसा 'ठोस' दिखा नहीं, जिससे आश्वस्त हुआ जा सके! शायद ही किसी भारतीय नागरिक की 'बुद्धि' उसे कहेगी कि ऐसे मामलों का हल तुरंत निकल सकता है, किन्तु आज नहीं, बल्कि आज के दस साल बाद ही हमारे हालात किस प्रकार भिन्न होंगे, इस बाबत प्रयास तो होना ही चाहिए. चूंकि, ऐसे समय संस्थानों की आलोचना उचित नहीं है पर कुछ बातें हैं जिनसे हमें अपनी आँखें नहीं चुरानी चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय देश के लिए किसी भी अन्य विषय से महत्वपूर्ण है और इसलिए हम कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार करने का प्रयत्न इस लेख में करने की कोशिश की गयी है.


पाकिस्तानी आतंक के सन्दर्भ में वर्तमान भारतीय विकल्प: उरी अटैक के बाद, यूं तो कहने को हमारे पास सीमित क्षेत्र में 'स्पीडी एक्शन' करने से लेकर, पाकिस्तान से राजनयिक-सम्बन्ध तोड़ने तक का विकल्प है, किन्तु सच्चाई यही है कि एक तो सरकार इन्हें आजमाने के मूड में अभी दिख नहीं रही है और अगर इन्हें आजमाया भी गया तो कुछ खास फायदा नहीं ही होगा. न तो तात्कालिक और न ही दीर्घकालिक, बल्कि यह 'खिसियानी बिल्ली, खम्बा नोचे' वाला एक्शन होगा. तो सवाल है कि तात्कालिक रूप से किया क्या जाय? कई जगह ऐसी खबरें दिखीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षामंत्री को रूखे स्वर में सलाह दी है कि वह गोवा में कम और सीमा-सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दें. बताते चलें कि आने वाले गोवा चुनाव में हमारे रक्षामंत्री साहब कुछ ज्यादा ही रुचि दर्शा रहे थे. खैर, पीएम की इसी सलाह के सहारे आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं तो ...

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2. इंडिया न्यूज लाइव, रेस्पोंसिव पोर्टल... India News Live, Responsive Web Portal

... पूर्वांचल से खबरों की दुनिया में दखल रखने वाले एक मित्र के लिए न्यूज / व्यूज पोर्टल ( India News Live, Responsive Web Portal, Views Website) कस्टमाइज किया "इंडिया न्यूज लाइव" के नाम से! बेहद सुन्दर एवं रिस्पांसिव! खासकर मोबाइल पर बेहद सुन्दर लगता है यह पोर्टल. फोटो/ विडियो, पोल, ईमेल सब्सक्रिप्शन (Photo, Video, Poll, Email Subscription etc.) इत्यादि सभी फीचरों से सुसज्जित यह न्यूज पोर्टल आपको अवश्य ही पसंद आएगा. ऐसे ही बेहतरीन पोर्टल ...

3. विज्ञापन खर्च पर फंसी 'केजरीवाल सरकार'! Aam Aadmi Party & ...
... अगर साफगोई से कहा जाए तो ताकत और हनक वाले मामलों में दिल्ली या फिर किसी भी दुसरे केंद्रशासित क्षेत्र की कुछ खास अहमियत है नहीं. हालाँकि, यह केजरीवाल और उनकी टीम की बुद्धिमानी होती कि वह 'गंभीरता' से कार्य करते रहते ताकि एलजी केंद्रीय गृहमंत्री पर एक विशेष जन दबाव रहता. आखिर 'मुख्यमंत्री' नाम अपने आप में एक बड़ा सिंबल है, किन्तु सबसे बड़ा सच तो ये है कि जो कुछ भी इस पद की थोड़ी बहुत इज्जत या ताकत थी, उसकी छीछालेदर खुद केजरीवाल ने कर दी है. मोदी-विरोध करना केजरीवाल का हक हो सकता है, किन्तु क्या वह दावा कर सकते हैं कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार या बंगाल (पहले प. बंगाल) की सीएम ममता बनर्जी से ज्यादा बड़े मोदी-विरोधी हैं? वस्तुतः केजरीवाल पर 'भेड़िया आया, भेड़िया आया' वाली कथा पूरी तरह चरितार्थ होती है. यह कहानी तो हम सब जानते ही हैं कि जंगल में गए चरवाहे ने ... 

4. जीतकर भी हारे 'शिवपाल यादव', मगर ... !! Akhilesh Yadav
... . राजनीतिक जगत के पहलवान कहे जाने वाले मुलायम सिंह ने बड़ी खूबसूरती और चतुराई से पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय तक समाजवादी पार्टी और अपने परिवार का संगठन बनाये रखा है, किन्तु 2012 में जब पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तबसे ही इस पार्टी में पारिवारिक खींचतान शुरू हो गयी जो 2017 का चुनाव आते-आते फटने की स्थिति में पहुँच गयी है. राजनीति के क्षेत्र में ऐसे मौके दुर्लभतम ही हैं जो कई शक्ति-केंद्रों पर निर्भर हों, बल्कि बहुधा यही देखा जाता है कि एक ताकतवर व्यक्ति (या शक्ति-केंद्र) के इर्द-गिर्द ही राजनीति घूमती है. मुलायम सिंह यादव जैसा जो व्यक्ति ज़मीनी स्तर से उठा रहता है तो उसके पास स्वाभाविक रूप से ताकत निहित होती है, किन्तु अगर अखिलेश जैसे किसी व्यक्ति को बनी बनाई ताकत मिल जाए तो उस पर सर्वसम्मति बनना व्यवहारिक रूप से बेहद... 

5.नीतीश कुमार जी! 'नरभक्षी जानवरों' को खुला न छोड़िये... 
... वैसे भी, शहाबुद्दीन पर 39 हत्या और अपहरण केस थे, जिसमें से 38 में पहले ही उन्हें जमानत मिल चुकी है. 39वां केस राजीव रौशन का था जो अपने दो सगे भाईयों की हत्या का चश्मद्दीद गवाह था. अब ऐसे में कौन पंगा लेगा ऐसे 'शहाबुद्दीन' से? यूं भी आरजेडी ने उसे राष्ट्रीय कार्यकारणी का सदस्य बना रखा है और लालू यादव का उस पर शुरू से ही हाथ रहा है, तो असहज होने के बावजूद वह अपना हाथ शहाबुद्दीन से अचानक हटा लेंगे, यह मानना नादानी हो होगी. खैर, 'अपराध और डर' से थोड़ा आगे बढ़कर यदि हम शहाबुद्दीन के जेल से बाहर निकलने पर राजनीतिक दृष्टि डालते हैं तो नीतीश कुमार पर पहले से हमलावर विपक्ष को बड़ा मौका हाथ लगा है और वह इस अवसर को छोड़ने की ज़रा भी गलती नहीं करेगा. इसकी शुरुआत भी हो गयी, जब बिहार में विपक्षी ...
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6.एक बेहतरीन हिंदी न्यूज पोर्टल कैसा हो?... Need a  News Portal!

... अगर आप सच में कंटेंट बेस्ड ऑनलाइन पोर्टल बनाने की ठान चुके हैं तो विषय का चुनाव सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है. ध्यान रहे, इंटरनेट अपने आप में एक बहुत बड़ा संसार है, जहाँ प्रत्येक चीज पहले से ही उपलब्ध है, तो जब तक आप के दिमाग में स्पेसिफिक सब्जेक्ट नहीं है, अलग प्रजेंटेशन नहीं है, तब तक आगे की राह कठिन ही नहीं, बल्कि खुद को भ्रम में रखने जैसी ही है. आप किसी अंग्रेजी की वेबसाइट पर आर्टिकल पढ़ जरूर सकते हैं, उससे आईडिया भी ले सकते हैं, किन्तु हूबहू कॉपी-पेस्ट आपको नीचे ले जाएगा. अपने सब्जेक्ट की समझ लगातार विकसित करना यहाँ बेहद आवश्यक है. इसी तरह अगर आप न्यूज पोर्टल बना रहे हैं तो यह न सोचें कि ...


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