मामला सिर्फ अमेरिका का ही नहीं है, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति कौन होगा इस पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई हैं. आखिर सुपर पावर होने का इतना असर तो स्वभाविक ही है! देखा जाए तो अमेरिका में प्रेसिडेंशियल इलेक्शन हमेशा से चर्चा का विषय रहा है, किंतु इस बार चर्चित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने इस चुनाव को पिछले तमाम चुनावी मुकाबलों से कहीं ज्यादा दिलचस्प बना दिया है. इस क्रम में कई ऐसे अवसर भी आए, जब डोनाल्ड ट्रंप बैकफुट पर दिखे, किंतु इसे अमेरिका का संयोग कहिए या दुर्योग (यह बाद में पता चलेगा) कि बैकफुट पर होने के बावजूद उन्होंने अपने चुनावी अभियान को और भी ताकत से आगे बढ़ा दिया. वह कहते हैं ना कि 'जितना दबाओगे उतना ही ऊंचा उठूंगा' और इसी तर्ज पर चुनाव प्रचार की आखिरी घड़ी तक डोनाल्ड ट्रंप मुकाबले में न केवल बने हुए हैं बल्कि कुछ सर्वेक्षणों में डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन से आगे भी नजर आ रहे हैं. एबीसी न्यूज़ के एक पोल में रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप अपनी विपक्षी हिलेरी से 1% ज्यादा समर्थन हासिल करते नजर आ रहे हैं. हालांकि दूसरे सर्वेक्षणों में हिलेरी क्लिंटन ट्रंप से आगे नज़र आई हैं, पर चुनाव आते-आते मामला बेहद नजदीकी हो गया है, इस बात में दो राय नहीं! यदि क्रमवार इस चुनाव अभियान का आंकलन करते हैं तो डोनाल्ड ट्रंप शुरू से ही बेहद चर्चित रहे हैं. उन्हें रोकने की कोशिश अमेरिका में तमाम लोगों ने की, लेकिन अपनी अजीब पर्सनालिटी और अजीब बयानों के बावजूद ट्रंप धुआंधार तरीके से आगे बढ़ते चले गए. इस क्रम में, रिपब्लिकन पार्टी में अपने एक-एक विरोधियों को उन्होंने धूल चटाई और अमेरिकी प्रेसिडेंट की कुर्सी से वह कुछ कदम दूर ही खड़े थे कि महिलाओं के संबंध में उनकी कई गलत टिप्पणियां एक-एक करके उजागर होने लगीं. निश्चित रुप से डोनाल्ड ट्रंप के प्रचार अभियान का यह सबसे बुरा दौर था और इसके लिए उन्होंने माफी भी मांगी, पर इस से एकबारगी हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में माहौल झुकता नजर आने लगा था. पर जैसा कि हम सब जानते हैं कि राजनीति में कुछ भी अंतिम नहीं होता और ऐसा ही कुछ अमेरिकी चुनाव प्रचार में भी हुआ. Presidential Election in USA, 2016, Hindi Article, New, Hillary Clinton, Donald Trump, Election Analysis, Topics, Pre Poll Surveys, Effect on World Politics
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हिलेरी क्लिंटन के तथाकथित अनसेफ ईमेल विवाद की जांच एफबीआई ने दोबारा शुरू की और ट्रंप फिर से उत्साह से दौड़ में शामिल हो गए. चुनाव से लगभग 3 हफ्ते पहले जहां हिलेरी क्लिंटन 7 पॉइंट से आगे चल रही थीं वहीं उनकी बढ़त का फासला कम होने लगा है. देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिकी प्रेसिडेंट की कुर्सी पर इतिहास में पहली बार एक महिला आसीन होती है अथवा तमाम विवादित बयानों के जरिए नाकारात्मक चर्चा बटोरने वाले डोनाल्ड ट्रंप आगे बढ़ जाते हैं. देखा जाए तो डोनल्ड ट्रंप का चुनाव अभियान उनकी पर्सनालिटी की ही तरह उतार-चढ़ाव भरा रहा है. सभी जानते हैं कि इस्लामिक आतंकवाद पर उनके बयान ने उनको सर्वाधिक फायदा पहुंचाया तो उनके कम अनुभव और अपरिपक्व नीतियों की चर्चा ने उनकी लोकप्रियता में कुछ हद तक लगाम भी लगाई. हालांकि अमेरिकी चुनाव में शायद ही कोई ऐसा हथकंडा बचा हो जिसे ट्रंप ने आजमाया न हो! यहां तक कि भारतीय समुदाय को लुभाने के लिए भाजपा के नारे "अबकी बार मोदी सरकार" की तर्ज पर वह "अबकी बार ट्रंप सरकार" तक बोलते दिखे. भारतीय समुदाय का वोट हासिल करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव अभियानों में हिंदुओं और भारत के प्रति कुछ ज्यादा ही झुकाव प्रदर्शित किया है, जबकि इसमें हिलेरी थोड़ी पीछे नज़र आयी हैं. हालाँकि, परंपरागत रुप से भारतीय समुदाय के अधिकांश लोग डेमोक्रेट्स के पक्ष में वोट देते रहे हैं किंतु डोनाल्ड ट्रंप के असाधारण लुभावने प्रचार से यह उम्मीद जगी है कि भारतीय समुदाय रिपब्लिकन उम्मीदवार के पक्ष में भी पहले से ज्यादा झुकाव दिखला सकता है. बात जहां तक हिलेरी क्लिंटन की है, तो महिला उम्मीदवार और राजनीतिक जगत में शानदार अनुभव होने का उनको लाभ मिला है, तो कहीं ना कहीं बिल क्लिंटन के राजनीतिक कैरियर में कुछ महिलाओं से पूर्व राष्ट्रपति के स्कैंडल की बात ने उन्हें नुकसान भी पहुंचाया है. इसके अतिरिक्त अमेरिका में नौकरियां घटी हैं तो वैश्विक हालातों के मुताबिक अर्थव्यवस्था की रफ़्तार भी बेहद धीमी हो गई है. ऐसे में जाहिर है कि बराक ओबामा के प्रति एंटी इनकंबेंसी का नुकसान भी हिलेरी क्लिंटन को उठाना पड़ सकता है. Presidential Election in USA, 2016, Hindi Article, New, Hillary Clinton, Donald Trump, Election Analysis, Topics, Pre Poll Surveys, Effect on World Politics
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इस बात को तो तमाम लोग मान ही रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के सामने शुरुआती लोकप्रियता में हिलेरी कुछ कमतर साबित हुई हैं, किंतु महिलाओं के प्रति डोनाल्ड ट्रंप के अपमानजनक बयान हिलेरी क्लिंटन के प्रचार अभियान में सर्वाधिक मददगार साबित हुए हैं, इस बात में दो राय नहीं! महिलाएं अब तक खुलकर हिलेरी के पक्ष में दिखी हैं और अगर महिलाओं का हिलेरी के पक्ष में रूझान मतदान के समय तक कायम रहा तो हिलेरी इतिहास रच सकती हैं. हिलेरी के पक्ष में मिशेल ओबामा और बराक ओबामा भी जी जान से जुटे हुए हैं. अब जब चुनाव की घड़ी बेहद पास आ चुकी है, तो देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिकी वोटर किस तरफ झुकते हैं. कुछ सर्वेक्षणों की बात करें तो पीयू रिसर्च के अनुसार इस बार के अमेरिकी चुनाव में अर्थव्यवस्था काफी अहम मुद्दा है. डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने भी इसे खूब उछाला है और यहाँ हिलेरी क्लिंटन थोड़ी कमजोर पड़ी हैं. अमेरिकी मिडिल क्लास ऐसे में ट्रम्प की ओर स्वभाविक रुप से झुका हुआ नज़र आता है. सीधी सी बात है ट्रम्प रोजगार की बातें करते हैं, आतंक के खिलाफ सीधी लड़ाई की बात करते हैं, रोजी-रोटी उत्पन्न न होने के लिए बराक ओबामा और डेमोक्रेट्स को जिम्मेदार ठहराते हैं और इस तरह 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का उनका नारा चर्चित हो जाता है. जब ट्रंप चीन और मेक्सिको से नौकरियां वापस लाकर अमेरिका के कारखानों को फिर से शुरू करने की बात करते हैं, तो उनकी सभाओं में तालियों की गूंज थमती नहीं है. यह बात अलग है कि आज की दुनिया में ट्रंप जो ख्वाब दिखा रहे हैं उसे पूरा करना इतना आसान भी नहीं है, बल्कि नामुमकिन की हद तक कठिन है. अर्थव्यवस्था की अगर बात करें तो भारत को छोड़कर शेष विश्व की अर्थव्यवस्थाएं औंधे मुंह गिरी हुई हैं अथवा बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं. पर ट्रम्प की सोच के अनुसार, सवाल तो वोट हासिल करने तक है, बाद में जो होगा सो देखा जाएगा! Presidential Election in USA, 2016, Hindi Article, New, Hillary Clinton, Donald Trump, Election Analysis, Topics, Pre Poll Surveys, Effect on World Politics
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यही हाल कमोबेश आतंकवाद पर भी है जिस से लड़ने का जोरदार नारा ट्रंप लगा रहे हैं. हालाँकि, साधारण से साधारण व्यक्ति भी जानता है कि आतंकवाद से लड़ाई लड़ना, इस्लामिक स्टेट या अलकायदा जैसे संगठनों को झटके में समाप्त कर देना 'दिवास्वप्न' ही है. पर लोगों के कानों को जो अच्छा लगता है वह बखूबी बोल रहे हैं. इन सब आंकलनों के बीच आने वाले समय में बेहद दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है. बेशक, ट्रम्प की जीत की आशंका से लोगबाग आशंकित हों या दुनिया भर के शेयर मार्किट में गिरावट दर्ज हुई हो, किन्तु अगर अमेरिकी जनता ने यही 'ठान' रखा है तो फिर कोई कर भी क्या सकता है? लेकिन क्या पता, अमेरिकी वोटर्स 'यही' की बजाय 'उसे' चुनने का मन बना चुके हों? जो भी, कुछ दिनों में परिणाम आपके सामने होगा, और फिर तब सभी सर्वेक्षण / आंकलन की हकीकत भी सामने होगी! आखिर, लोकतंत्र में जनता के अंदर ही वह 'ताकत' है, जो किसी को भी गलत साबित कर सकती है.
- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
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