tag:blogger.com,1999:blog-728187649426693443.post7664286181024153813..comments2024-02-25T12:58:15.963+05:30Comments on Hindi Editorial, हिंदी लेख | Writer, Editor, Entrepreneur Mithilesh: 9990089080: बढ़ती सेलरी और प्रदूषण समस्या - Delhi MLA salary hike and pollution level in city, hindi article by MithileshUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-728187649426693443.post-59586482304928777592015-12-20T10:42:26.376+05:302015-12-20T10:42:26.376+05:30Yah bhi thik kaha Ghanshyam ji :)Yah bhi thik kaha Ghanshyam ji :)मिथिलेश - Mithileshhttps://www.blogger.com/profile/03256201949659219493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-728187649426693443.post-16422652917281361202015-12-15T12:35:09.940+05:302015-12-15T12:35:09.940+05:30माननीय केजरीवाल जी के सारे कदम तो ठीक नहीं हो सकते...माननीय केजरीवाल जी के सारे कदम तो ठीक नहीं हो सकते, परन्तु उन्हें साथ ही इस बात का भी ध्यान देना चाहिए था कि आखिर लोगों के पास इतनी कारें और वाहन कहाँ से आ रहे हैं। क्या आम आदमी के पास कार व बड़े-बड़े वाहन उपलब्ध हैं, शायद इसका उत्तर ना में ही मिलेगा। हमारे कहने का मतलब यह है कि यदि प्रदूषण कम करना है तो सरकार तथा सरकारी तंत्र का वेतन भी कम करना होगा तभी प्रदूषण कम हो सकता है, यदि इतनी बड़ी-बड़ी राशि के वेतन प्राप्त होंगे तो जाहिर सी बात है कि लोग कई वाहन खरीदेंगे और यही नही वे तो सम और विषम संख्या की भी कारें रख लेंगे, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। अधिक पैसे वाले तो मद में पागल हो रहे हैं जिसका श्रेय सरकार को ही जाता है। सरकार और सरकारी तंत्र बनाम प्राइवेट तंत्र से मिलान करके आप स्वयं देख सकते हैं, किसके पास प्रदूषण के यन्त्र हैं।<br>Ghanshyam Murarihttps://www.blogger.com/profile/05935054025907708591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-728187649426693443.post-66855744028296356612015-12-07T18:54:58.086+05:302015-12-07T18:54:58.086+05:30केजरीवाल के सम और विषम नंबर की खूब खिंचाई की जा रह...केजरीवाल के सम और विषम नंबर की खूब खिंचाई की जा रही है, किन्तु इसके फायदे पर जरा गौर करें:<br>1.सबसे बड़ी बात, अगर यह फैसला महीने भर लागू हो जाय तो दिल्ली वाले परेशान हो जायेंगे और जब वह परेशान होंगे तो समस्या पर चर्चा तभी शुरू होगी. सच यही है कि हम इतने आलसी हैं कि लगातार 'ज़हर' सूंघने के बावजूद समस्या को लेकर हम तब तक गंभीर नहीं हो सकते, जब तक हमें तकलीफ न हो!<br>2.अगर 15 दिन, कोई व्यक्ति कार नहीं चलाएगा और उन दिनों में उसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करने की आदत पड़ गयी तो बहुत सम्भावना है कि बाकी के 15 दिन भी वह गाड़ी इस्तेमाल करने से परहेज करे. आखिर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट लोग इसलिए नहीं इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह कुछ ऐसा ही है कि उनके 'स्टेटस' से मैच नहीं करता... यह नियम उनके स्टेटस की ऐसी की तैसी कर देगा और वह ज़मीन पर आकर साधारण रूप से 'घमंड से रहित' हो जायेंगे!<br>3.चूँकि, सम-विषम को अव्यवहारिक बताया जा रहा है तो उसके लागू होने के बाद ही दुसरे विकल्प खुलेंगे, मसलन साइकिल-ट्रैक, घोड़ागाड़ी, आपस की गाड़ी में साझेदारी, प्रदूषण विरोधी नियम पर सख्ती, सरकारी दफ्तरों और स्कूलों के समय में परिवर्तन, जिससे ट्रैफिक से कुछ राहत मिले, सार्वजनिक बसों के लिए बीआरटी इत्यादि, इत्यादि.... लेकिन, यह सब होगा तभी जब 1 महीने, इस 'गैस-चेंबर रुपी दिल्ली के प्रदूषण' पर आम-खास और खासमखास लोग चर्चा करें.<br>इसलिए, केजरीवाल की इस कदम के लिए शुरुआत में खूब तारीफ़ करें और लागू होने के बाद, दुसरे उपाय लागू न करने के लिए खूब खिंचाई करें... जिससे उनका आईआईटीयन टाइप दिमाग काम करने लायक हो जाए... !!!<br>- मिथिलेश www.mithilesh2020.comMithilesh singhhttps://www.blogger.com/profile/03256201949659219493noreply@blogger.com