हमारे संविधान में कहा गया है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, लेकिन क्या यह सच में है? शायद नहीं! बल्कि, इस देश में सरकारी नीतियां धर्म से सर्वाधिक प्रभावित होती हैं तो यहाँ की राजनीति तो इसके लिए बदनाम है ही. इतिहास पलटने का कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि शाहबानो से लेकर दुसरे प्रकरण हमारे ज़ख्मों को उधेड़ेंगे ही. हाल के विवाद की बात करें तो, सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के उस फ़ैसले पर दो महीनों के लिए रोक लगा दी है जिसके तहत राज्य में गोमांस की बिक्री को प्रतिबंधित किया गया था. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि वो गोमांस की ब्रिकी और इस पर प्रतिबंध से जुड़े विवाद को सुझलाने के लिए तीन जजों की एक बेंच बनाएं. देश के उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय को सरसरी तौर पर आप देखेंगे तो जान जायेंगे कि यह शीर्ष अदालत ने भी इस मामले में डिप्लोमेटिक जैसा निर्णय सुनाया है. गौरतलब है कि इस मुद्दे पर न केवल जम्मू काश्मीर में, बल्कि देश भर में विवाद की स्थिति बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बारे में दो बेंचों के विरोधाभासी आदेशों से असमंजस की स्थिति हो पैदा रही है. हाई कोर्ट की जम्मू बेंच ने जहां पुलिस से गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध को लागू करने का आदेश दिया, वहीं श्रीनगर बेंच ने गोमांस को प्रतिबंधित करने वाले प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी थी. अब यह कहना बेहद अजीब है कि भारत के लोग आज भी उसी समस्या से जूझ रहे हैं, जो समस्या अंग्रेजी शासनकाल या उससे पहले से ही विद्यमान रही है. आखिर कौन नहीं चाहता है कि आज इक्कीसवीं सदी में लोग विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करें और अपने बच्चों को शुद्ध भारतीय मूल्यों की शिक्षा दें, लेकिन यह अफ़सोस की बात है कि कभी मुज़फ्फरनगर तो कभी दादरी जैसी घटनाएं हो जाती हैं. ऐसे में मीडियाकर्मियों, तथाकथित बुद्धिजीवियों और तमाम धार्मिक संगठनों द्वारा बड़ी आसानी से एक दूजे पर यह आरोप लगा दिया जाता है कि उनके कारण ही इस प्रकार की घटनाएं हुई हैं, मगर क्या वास्तव में यही सच है? क्या इसके लिए कानून और सरकारी लचरता बिलकुल भी जिम्मेदार नहीं है. अगर गाय के ऊपर एक सख्त सरकारी आदेश आ जाय और उसे लागू किया जाय तो फिर विवाद की जगह ही नहीं बचेगी! वह निर्णय चाहे पक्ष में हो या विपक्ष में, शर्तों के साथ हो या शर्तों के बिना! दादरी कांड पर हो रही राजनीति पर एक नजर डालिये.
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