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पुलिस, अपराध और राष्ट्रद्रोह का कॉकटेल

अपराध की दुनिया सदा से ही रहस्यमय रही है और उससे भी ज्यादा रहस्य रहा है पुलिस से इसके संबंधों को लेकर. इस विषय पर कई बेहतर फिल्में भी बनी हैं, जो इस काली दुनिया के कई रहस्यों से परदा उठाने की कोशिश करती नज़र आती हैं. कई कथानकों में हमें अपराधियों के अपराध की दुनिया में जाने की मजबूरी देखने को मिलती है तो कई जगह राजनेता और पुलिस अपराधियों या उनके समूहों को एक दुसरे के खिलाफ इस्तेमाल भी करती दिखती है. इसके पीछे यह तर्क बड़ी आसानी से दिया जाता है कि 'लोहे को लोहा' ही काटता है, मतलब एक अपराधी को समाप्त करने के लिए दुसरे अपराधी का इस्तेमाल एक बेहतर तकनीक है! हालाँकि, इस राह पर कितना चलना है, कहाँ रूकना है और कहाँ सफर ख़त्म करना है, इसके बारे में कोई निश्चित राय नहीं है, इसलिए कई बार सीमा-रेखा का उल्लंघन बेहद आम बात है. अपराध की मानसिकता को समाप्त करते-करते, कब कानून के रक्षक भी उसी मानसिकता के हो जाते हैं, यह खुद उन्हें भी पता नहीं चलता है! अगर छोटा राजन द्वारा मुंबई पुलिस पर लगाए गए आरोपों में जरा भी सच्चाई है तो दाऊद के मामले में यह सीधा 'देशद्रोह' का मामला भी माना जायेगा! छोटा राजन की गिरफ्तारी से दाऊद इब्राहिम और उसके आपराधिक साम्राज्य के ऊपर कितना असर पड़ेगा यह तो बाद में पता चलेगा, किन्तु देश में सबसे तेज-तर्रार कही जाने वाली मुंबई पुलिस की साख पर गहरा असर जरूर पड़ने लगा है. मुंबई पुलिस के पास छोटा राजन से सम्बंधित 70 से ज्यादे केस दर्ज हैं, लेकिन जिस प्रकार उसे अनदेखा करते हुए छोटा राजन को सीबीआई ने अपनी गिरफ्त में लिया और उससे भी ज्यादे गंभीर बात यह हुई कि इंडोनेशिया में अपनी गिरफ्तारी के बाद से छोटा राजन की मुंबई पुलिस से सम्बंधित बयानबाजियां! अपनी जान को खतरा बताते हुए छोटा राजन ने जिस प्रकार दाऊद इब्राहिम से मुंबई पुलिस के सीनियर अधिकारियों के संबंधों के बारे में सार्वजनिक बयान दिए हैं, उससे पुलिस प्रशासन के ऊपर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गया है. 

अब जबकि उसे बाली से नई दिल्ली स्थित सीबीआई ऑफिस लाया जा चुका है और सीबीआई के साथ रॉ और आईबी के अधिकारियों का समूह उससे लगातार पूछताछ में जुटा हुआ है, ऐसे में दाऊद से सम्बन्ध रखने वाले मुंबई पुलिस के अधिकारियों के नाम भी सामने आने की पूरी सम्भावना है. हालाँकि, अब तक प्राप्त  जानकारी के मुताबिक राजन ने अधिकारियों के सामने बड़ा खुलासा करते हुए दाऊद के मीडिल ईस्ट कनेक्शन के बारे में विस्तार से बताया है तो दाऊद के दुसरे बिजनेस कनेक्शन के बारे में भी जांच एजेंसियों को विस्तार से जानकारी मिलने की सम्भावना है. हालाँकि, छोटा राजन से सीधी पूछताछ में दाऊद के खिलाफ कोई अफ़लातून जानकारी हाथ लग जाएगी और उसे सलाखों के पीछे डाल दिया जायेगा, यह मानना अव्यवहारिक ही होगा, क्योंकि दाऊद के खिलाफ छोटा राजन द्वारा भारतीय एजेंसियों की मदद करने की बात पहले भी कही जाती रही है. हाँ! छोटा राजन की गिरफ्तारी से दाऊद के हमारे देश में फैले नेटवर्क के बारे में विश्वसनीय जानकारी जरूर हाथ लग सकती है, विशेषकर पुलिस, राजनीति और प्रशासन में! जाहिर है, बाहर रहकर राजन इस आतंरिक नेटवर्क को तितर-बितर करने का रिस्क नहीं ले सकता था, मगर अब केंद्रीय एजेंसियों के सुरक्षा-चक्र में वह इसका खतरा उठा सकता है. छोटा राजन की जिस स्तर पर सुरक्षा की जा रही है, उतनी सुरक्षा केंद्रीय मंत्रियों तक की नहीं. ज़रा गौर करें, राजन के डुप्लीकेट की बीते तीन दिन से तलाश चल रही थी, क्योंकि राजन के ऊपर न केवल अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम, बल्कि अपने ही गैंग के कुछ लोगों से भी खतरा है. ये वे लोग हैं जो राजन के दुश्मन छोटा शकील से मिल गए हैं या पेमेंट और दूसरे मुद्दों की वजह से राजन से बेहद नाराज बताए जाते हैं. माना तो यह भी जा रहा है कि कुछ राजनेताओं और सिक्युरिटी अफसरों से भी राजन को खतरा हो सकता है, इसलिए राजन को दिल्ली या मुंबई ले जाए जाने के दौरान उसका डुप्लीकेट चौबीसों घंटे उसके साथ रहेगा. यहां तक कि हाई सिक्युरिटी जेल के अंदर भी वो मौजूद रहेगा. उसकी सिक्युरिटी का आलम यह है कि एसपीजी से सुरक्षा पाने वाले लोगों के जैसा 'मॉक ड्रिल' छोटा राजन के लिए भी अपनाया जा रहा है. अब इतने तामझाम के बाद भी अगर कुछ ठोस हासिल नहीं किया जा सका तो पाकिस्तानी फ़ौज की गोंद में बैठा दाऊद और ज़ोर से हमें मुंह चिढ़ाएगा कि देख लो, मैं कहीं भी रहकर, तुम्हारे ही लोगों की मदद से, तुम्हारे ही देश में आतंक फैला रहा हूँ और अंडरवर्ल्ड पर मेरा निर्विवाद राज है! 

हालाँकि, जिस आसानी से छोटा राजन गिरफ्तार हुआ और भारत में उसकी सुपर-सिक्योरिटी को देखकर प्रथम दृष्टया साफ़ नज़र आता है कि अजीत डोवाल ने दाऊद के भारतीय नेटवर्क को हर हाल में समाप्त करने को लेकर ठोस तैयारी कर ली है! अब किसी योजना के तहत मुंबई पुलिस पर छोटा राजन ने निशाना साधा है या फिर यह उसका तात्कालिक दांव है, यह तो समय आने पर ही पता चलेगा. वैसे भी उसके पास इसके सिवा कोई दूसरा चारा था भी नहीं! हालाँकि, इससे पहले मुंबई पुलिस राजन से पूछताछ करना चाहती थी, लेकिन राजन के आरोपों के बाद उसे उनके सुपुर्द किए जाने की संभावना कम ही रह गई थी. गौरतलब है कि, मुंबई पुलिस ने राजन के खिलाफ जो 70 मामले दर्ज कर रखे हैं, उसमें हत्या के 20 मामले, आतंकवाद और विध्वंसक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत चार मामले और मकोका कानून के तहत 20 मामले शामिल हैं. इतने गंभीर आरोपों के बाद भी मुंबई पुलिस अगर बैकफुट पर आ गयी और अपना बचाव नहीं कर सकी तो जाहिर है दाल में कुछ न कुछ काला जरूर है. वैसे भी, यह बात जगजाहिर है कि वगैर पुलिस के सहयोग के कोई गैर कानूनी धंधा चल नहीं सकता! छोटे-मोटे अपराधों की बात और है, मगर इसमें अगर दाऊद जैसे राष्ट्रद्रोहियों का सहयोग करने की बात सामने आती है तो मामला गंभीर हो जाता है. मुंबई पुलिस की छवि पर जो असर पड़ना है वह तो पड़ेगा, मगर यह भी सच है कि सीबीआई और आईबी अगर वास्तव में दाऊद के भारतीय नेटवर्क को ध्वस्त करना चाहती हैं तो छोटा राजन से बेहतर कोई दूसरा शस्त्र नहीं! आखिर, एक व्यक्ति पाकिस्तान में बैठा हुआ भारत में उगाही करता है, अपने तमाम आपराधिक कृत्य करता है तो इस बात से कोई मुर्ख ही इंकार करेगा कि उसके नेटवर्क में पुलिसवाले सक्रीय रूप में शामिल न हों! देखना दिलचस्प होगा कि छोटा राजन, दाऊद को बड़ा नुक्सान पहुँचाने में भारतीय एजेंसियों के कितने काम का साबित होता है और इससे भी बड़ी बात यह कि कितने दागी पुलिसवालों के नाम सामने आते हैं दाऊद जैसे राष्ट्रद्रोहियों को मदद करने के आरोप में! सबसे बड़ी आशा की किरण यही दिखती है कि अगर दाऊद का भारतीय कारोबार समेटने में हमारी एजेंसियां सफल हो गयीं तो वह पाकिस्तान के भी किसी काम का नहीं रह जायेगा, फिर क्यों आईएसआई और पाक फ़ौज उसका खर्च उठाएगी? 

जाहिर है, भारत-पाकिस्तान की राजनीति में अभी वजीर की भूमिका में दिखने वाला दाऊद, कल शतरंज के प्यादे से भी कम अहमियत का होगा. फिर उसका शिकार करने के लिए हमें अमेरिका जैसे किसी आपरेशन की जरूरत भी नहीं पड़ने वाली! उम्मीद की जानी चाहिए कि अजीत डोवाल के नेतृत्व में इस बड़ी कूटनीति पर एक बड़ी और कामयाब चाल चली गयी है, जिसमें शह और मात भी जल्द नज़र आएगी!

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