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जयललिता की विरासत पर कलह जनता के साथ विश्वासघात! Controversy in AIDMK, Jaylalithaa Lagacy, Hindi Article, New, Shashikala Natrajan, O Panneerselvam, Tamilnadu, Chief Minister, Amma Relatives, Politics



पहले फिल्म अभिनेत्री और फिर राजनीति की महान नेत्री बनकर जयललिता ने यह बात बार-बार साबित किया कि जनता की सेवा किस प्रकार की जाती है. तीन दशकों के सफल राजनीतिक सफर में जयललिता न कभी रुकीं, न कभी झुकीं और ना ही उनके कदमों को कोई विवाद ही रोक पाया. दबे-कुचलों के लिए जिस प्रकार अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता ने संघर्ष किया, वह अपने आप में एक मिसाल है. जनता ने भी अपनी 'अम्मा' की शान में कभी गुस्ताखी नहीं की और जिसे कहते हैं 'एक टांग पर खड़ा होना', वैसे वह जान समुदाय के लिए खड़ी भी रहीं! हालिया बीमारी के पश्चात जब जयललिता का देहावसान हुआ तो उनके दुख में तमिलनाडु की जनता रोती-बिलखती नजर आई. इतना ही नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों ने तो (तकरीबन 250) अम्मा के सदमे में अपनी जान तक दे दी! कम से कम आधुनिक समय में तो ऐसा उदाहरण मिलना मुश्किल है कि किसी जननेता के सदमे में लोगबाग वास्तव में अपनी जान दे दें! पर ऐसा हुआ और यह अपने आप में बताने के लिए पर्याप्त है कि जयललिता किस स्तर की नेत्री थीं. दुर्भाग्य से जयललिता की राजनीतिक विरासत को लेकर कलह की खबरें लगातार छप रही हैं. छन-छनकर बातें बाहर आ रही हैं, जिससे अम्मा के समर्थकों के मन का स्वाद कसैला होता जा रहा है. निश्चित रूप से अम्मा का स्थान अन्नाद्रमुक की राजनीति में इतनी जल्दी कोई नहीं ले सकता, किंतु कम से कम कुछ दिन तो शांति बरती ही जा सकती थी, किंतु नहीं, नेताओं को तो कुर्सी की जल्दी पड़ी रहती है और ऐसे में समस्या और बढ़ जाती है. जयललिता के राजनीतिक कैरियर में एक नाम उनके साथ चिपका रहा और वह नाम था शशिकला नटराजन का! दुर्भाग्य से इस नाम के साथ कई विवाद भी जुड़े, किंतु जिस प्रकार जयललिता की अंतेष्टि के समय, शव के इर्द-गिर्द शशिकला और उनका परिवार छाया रहा उसके पश्चात कुछ कहने समझने की गुंजाइश नहीं रह गई कि शशिकला का प्रभाव अन्यों की अपेक्षा कहीं ज्यादा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अम्मा को श्रद्धांजलि देने गए तो उन्होंने शशिकला के सर पर हाथ फेरा और उनसे बातें भी कीं. Controversy in AIDMK, Jaylalithaa Lagacy, Hindi Article, New, Shashikala Natrajan, O Panneerselvam, Tamilnadu, Chief Minister, Amma Relatives, Politics

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हालांकि कहने को तो ओ पनीरसेल्वम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन गए हैं, किंतु तमाम विश्लेषणों और लेखों में शशिकला को ही पावर का केंद्र बताया जा रहा है. निश्चित रूप से शशिकला के बारे में तमाम नकारात्मक बातें जानबूझकर भी गढ़ी जा रही होंगी, किन्तु जिस प्रकार शशिकला के पावर में आते ही जया की भतीजी परिदृश्य से गायब हो गई है, तो इसलिए भी मामले में और नमक-मिर्च लगाया जा रहा है. दरअसल जयललिता की भतीजी दीपा ने खुलेआम शशिकला को नापसंद करने वाली बात बोली थी. दीपा एआईडीएमके के मंत्रियों से भी नाराज थी क्योंकि मंत्रियों ने पार्टी की कमान संभालने का अनुरोध शशिकला से किया था. जाहिर है मामले में पेंच बढ़ता जा रहा है, साथ ही साथ समर्थकों के मन में संदेह भी! इसी कड़ी में, दीपा की चचेरी बहन अमृता ने इस बात का समर्थन किया है कि जयललिता की मौत से उनकी प्रॉपर्टी शशिकला और उनके समर्थकों द्वारा हड़पी जा रही है. हालाँकि, इसके साथ यह बात भी उतनी ही सच है कि जयललिता का अपने परिवार वालों से जीते जी कोई खास रिश्ता नहीं रहा और शशिकला का रोल कोई आज ही महत्वपूर्ण नहीं हुआ है, बल्कि पहले से ही वह इस रोल में कार्य करती रही हैं. कहा तो यहाँ तक जाता रहा है कि कभी जयललिता से वगैर शशिकला की मर्जी के मिला तक नहीं जा सकता था. खैर, जो भी हो उनकी विरासत पर इस जंग ने बेहद निराशा का वातावरण कायम कर दिया है. रही सही कसर जयललिता की अंतेष्टि पर हो रहे दुसरे बड़े विवाद ने पूरी कर दी है. द्रविड़ आंदोलन की परंपरा के मुताबिक जयललिता को उनके राजनीतिक गुरु एमजीआर की समाधि के बगल में दफनाया गया था, किंतु उनकी मौत को कुछ ही दिन हुए थे कि कुनबे से तमाम तरह की खबरें आना शुरू हो गई. Controversy in AIDMK, Jaylalithaa Lagacy, Hindi Article, New, Shashikala Natrajan, O Panneerselvam, Tamilnadu, Chief Minister, Amma Relatives, Politics



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एक खबर के अनुसार जयललिता को 'मोक्ष' की प्राप्ति हो इसके लिए उनके रिश्तेदारों ने उनका हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार दुबारा किया है. पुजारी रंगनाथ लंगर ने डाह संस्कार की रस्में पूरी करवाई हैं, जिसमें जया के शव की जगह एक गुड़िया की प्रतिकृति रख कर सारा कर्मकांड किया गया है. बताते चलें कि जयललिता के सौतेले भाई वरदराजू मुख्य तौर पर इन रस्मों में शामिल रहे हैं और उन्होंने शशिकला और एआईडीएमके पर सवाल उठाया है कि उनकी बहन यानि जयललिता नास्तिक नहीं थी, बल्कि वह हिंदू त्योहारों और मान्यताओं को मानती थीं. इसलिए हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार उनका दाह संस्कार किया जाना चाहिए था जो कि राजनीतिक लाभ लेने की खातिर नहीं किया गया! जाहिर तौर पर यह पूरा मामला झमेले में फंसता जा रहा है. हालांकि अन्नाद्रमुक में शशिकला की खासी पकड़ है और इसलिए हाल फिलहाल तो पार्टी में उन्हीं की चलने वाली है. पार्टी के तमाम नेता और वरिष्ठ मंत्रियों ने भी शशिकला में ही विश्वास व्यक्त किया है, किंतु अन्नाद्रमुक को शशिकला किस तरह विवादों से बचाकर आगे लेकर जाती हैं, यह अवश्य ही देखने वाली बात होगी. आने वाली चुनौतियों को शशिकला भी बखूबी समझ रही हैं, तभी तो पार्टी की अनौपचारिक कमान हाथ में आते ही शशिकला ने अपने परिवार को राजनीति से दूर रहने की निर्देश जारी कर दिया है. यह बात अलग है कि उनका यह निर्देश कितना अमल में लाया जाएगा यह जरूर देखने वाली बात होगी, क्योंकि अन्नाद्रमुक का भविष्य काफी कुछ इस पर भी निर्भर करने वाला है, इस बात में दो राय नहीं!

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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