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फ्लिपकार्ट और #MeToo: बिछड़ गए 'इस ई-कॉमर्स' से दोनों संस्थापक



हाल फिलहाल भारत में मीटू (#MeToo) अभियान ने जोर पकड़ा हुआ है. कई सारे लोगों को अपनी चपेट में लेता यह अभियान भारत की जायंट ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है.
जी हां! भारतीय ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में अमेज़न जैसी बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ने वाली फ्लिपकार्ट अपने दोनों सह-संस्थापकों को एक तरह से खो चुकी है.

पिछले दिनों वालमार्ट ने जब फ्लिपकार्ट में बड़ी साझेदारी खरीदी तो इस कंपनी के फाउंडर सचिन बंसल को कंपनी से इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि कंपनी के नए प्रमोटर्स बोर्ड में दो को-फाउंडर्स की भूमिका नहीं देख रहे हैं. ऐसे में फ्लिपकार्ट के दूसरे को-फाउंडर बिन्नी बंसल को वॉलमार्ट ने अपने साथ जोड़े रखने का फैसला किया. जाहिर तौर पर बिन्नी बंसल को प्राथमिकता देने के पीछे वालमार्ट का अपना लक्ष्य और आंकलन रहा होगा.

हालांकि सचिन को जब फ्लिपकार्ट छोड़ना पड़ा था तो उन्होंने काफी भावुक होकर यह फैसला लिया था और यह फैसला उन्होंने कंपनी के हित में बताया था क्योंकि वह बिन्नी बंसल के साथ एक लंबे समय तक काम कर चुके थे. जाहिर तौर पर बिन्नी के काम करने के तरीकों और सुलझे हुए व्यक्तित्व से वह भलीभांति परिचित रहे हैं, लेकिन कौन जानता था कि ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में अपनी सफलता से कईयों को प्रेरित करने वाली फ्लिपकार्ट इतनी जल्दी मुसीबतों में गिर जाएगी.

जी हां जुलाई में फ्लिपकार्ट की किसी पूर्व कर्मी ने जब बिन्नी बंसल पर यौन दुराचार का आरोप लगाया, तो वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट ने इसकी जांच की और यह बड़ी अजीब बात है कि उस जांच में प्रथम दृष्टया बिन्नी बंसल को दोषी पाने के तमाम सुबूत नज़र आये होंगे और इसके कारण उनको अपने पद से त्यागपत्र तक देना पड़ा है. हालांकि वह अभी भी मजबूती से अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर रहे हैं और वह अपनी लड़ाई आगे भी जारी रखेंगे लेकिन सवाल हाल-फिलहाल का है. और फिलहाल की सच्चाई तो यही है कि यौन दुराचार के मामले में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा है और अब फ्लिपकार्ट अपने दोनों महत्वपूर्ण संस्थापकों से महरूम हो गई है.

मनुष्य का व्यवहार, उसका मन मस्तिष्क समझना किसी के लिए इतना आसान नहीं है और जिस प्रकार मीटू अभियान में एक के बाद एक बड़े छोटे मामले सामने आ रहे हैं उससे कम से कम इतना तो अवश्य ही साबित हुआ है कि आदमी चाहे छोटा हो या बड़ा, लेकिन कई बार वह अपनी छोटी हरकतों के कारण बड़ी सफलताओं पर भी दाग लगा जाता है. यही बंसल-द्वय हैं, जिनकी सफलता की बड़ी कहानियां लिखी गयीं और हज़ारों युवाओं ने उनसे प्रेरित होकर स्टार्टअप किया और सफलता की राह पर आगे भी बढे.

उम्मीद की जानी चाहिए कि पहले सचिन बंसल और बाद में बिन्नी बंसल के फ्लिपकार्ट छोड़ने के बावजूद यह कंपनी सफलता की एक के बाद दूसरी कहानियां लिखती रहेगी. वैसे भी अब वह वालमार्ट जैसे मजबूत वैश्विक खिलाड़ी के हाथ में है और भारतीय कंज्यूमर्स को अपने तमाम इनोवेशंस के साथ रूबरू कराने की क्षमता भी रखती है. जाहिर तौर पर फ्लिपकार्ट के माध्यम से भारतीय खरीददारों को बढ़िया अनुभव मिला और ई-कॉमर्स सेगमेंट में जिस तरह का कम्पटीशन है, उससे आगे भी उन्हें उनके पैसे की बेस्ट वैल्यू मिल सकेगी, इसकी उम्मीद की जा सकती है.

देखना दिलचस्प होगा कि फ्लिपकार्ट अपने सामने आई इस मुसीबत को किस प्रकार डील करता है, लेकिन यह बड़ी बात है आरोप सामने आने के बाद ना केवल इसकी प्राथमिक जांच की गई बल्कि बिन्नी बंसल को इस्तीफा देना पड़ा, बावजूद इसके कि वह फ्लिपकार्ट के सबसे ताकतवर एग्जीक्यूटिव थे. इससे निश्चित रूप से स्वस्थ परंपरा विकसित होगी क्योंकि यौन दुराचार किसी के साथ भी हो उसको किसी स्तर पर जायज नहीं ठहराया जा सकता है!

गलत तो फिर गलत है, वह चाहे किसी ताकतवर शख्स के द्वारा किया गया कृत्य हो या फिर किसी साधारण शख्स के द्वारा. उसके खिलाफ उचित नैतिक एवं कानूनी कार्रवाई करनी ही चाहिए और फ्लिपकार्ट के मामले में ऐसा होता दिख रहा है. जहाँ तक बात बिन्नी के पक्ष की है तो वह हर तरीके से सक्षम हैं अपना पक्ष रखने और अगर निर्दोष हैं तो उसे साबित करने में भी!

वह अपनी लड़ाई लड़ सकते हैं लेकिन उन पर लगे आरोप की प्राथमिक एवं आतंरिक जांच के बाद उनके इस्तीफे को अच्छा उदाहरण माना जाना चाहिए और उम्मीद की जानी चाहिए कि फ्लिपकार्ट पर इस संकट का कुछ ख़ास प्रभाव नहीं पड़ेगा और मार्केट में एक के बाद दूसरा कीर्तिमान रचती रहेगी.

हाँ, उन पर अवश्य प्रभाव पड़ेगा जिन्होंने दशक भर से 'बिन्नी' जैसे लोगों को अपना आदर्श मान रखा है... खासकर तब, जब वह 'दोषी' साबित हो जाएँ!

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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Pic: BusinessInsider
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