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भारत से 'शांति के मार्ग' पर एक साथ क्यों आए हैं 'चीन और पाकिस्तान'?

China and Pakistan Strategy with India, Hindi Article


एक लंबे समय से तनाव के बाद चीन का इस बात पर सहमत होना, कि उसके सैनिक जिद्द छोड़ कर एलएसी बॉर्डर से पीछे हटेंगे, भारत और चीन, दोनों देशों के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है.

तमाम किंतु-परंतु, शंकाओं-कुशंकाओं के बीच अंत में यही सच्चाई सामने आनी है कि विश्व के 2 बड़े और ताकतवर मुल्कों में शुमार भारत और चीन को शांति के मार्ग पर ही बढ़ना होगा.

हालाँकि, इसमें शह और मात का खेल चलता रहेगा और इसके लिए दोनों देश जोर शोर से तैयारी भी करते रहे हैं. सैन्य ताकत की तैयारी से भारत को जरा भी परहेज नहीं करना चाहिए और सच्चाई पूछो तो शक्ति का संतुलन भी इसी से बनता है. 
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अगर शांति चाहते हो, तो युद्ध के लिए तैयार रहो!

सच्चाई यही है कि आप युद्ध से भागते हैं तो आपके ऊपर सामने से चढ़ाई होने लगती है और आप को कुचलने का प्रयास किया जाता है. हर स्थिति में आप से उम्मीद की जाती है कि आप पिछलग्गू बनकर चलते रहें और इसकी कोई लिमिट नहीं होती है. लगातार आपको नीचे की तरफ धकेलने की प्रक्रिया जारी रहती है, किंतु ज्योंही आप अपने लिए खड़े होते हैं, तो आप ताकतवर होते जाते हैं. फिर शांति के मार्ग पर भी चर्चा होने लगती है.
आप इसे कुछ यूं समझ लें कि एक ताकतवर व्यक्ति, एक कमजोर व्यक्ति के साथ संधि नहीं कर सकता, किंतु अगर आप सक्षम हैं, तो वह संधि करने पर मजबूर हो जाएगा.

भारतीय सेना ने जिस तरीके से अपना पराक्रम दिखाया, उससे चीन भी मजबूर हुआ, शांति के मार्ग पर बढ़ने के लिए!
अन्यथा उसकी विस्तार वादी नीतियां तो हम जानते हैं, एक दिन से नहीं, बल्कि कई दशकों से!
किस प्रकार साउथ चाइना सी में उसने जबरन समुद्र तक में कब्जा जमा लिया है, जिससे उसके पड़ोसियों के साथ-साथ समूचा विश्व परेशान है.



खास बात यह भी है कि चीन के सैनिकों के पीछे हटने के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान भी संघर्ष-विराम करने को राजी हो गया है. कहा जा रहा है कि इसके लिए बैक डोर डिप्लोमेसी जोर-शोर से चल रही थी, किंतु एक ही समय पर दोनों देशों का पीछे हटना एक रणनीति भी हो सकती है.
चीन और पाकिस्तान के सैन्य-संबंध, खासकर भारत को लेकर हाईएस्ट लेवल की अंडरस्टैंडिंग रखते हैं.

भारत को लेकर दोनों देशों के बीच सैन्य संबंध बेहद मजबूत हैं और अगर उन दोनों देशों को यह समझ आ गया है कि भारत के साथ शांति के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए, तो इसे निश्चित तौर पर एक सकारात्मक सोच माना जाना चाहिए. हालांकि दोनों देशों की कुटिल नीतियों से भारत काफी पहले से सुपरिचित है. दोनों देशों के साथ न केवल छोटी मोटी झड़पें, छोटे-मोटे तनाव, बल्कि बड़े युद्ध तक हो चुके हैं. 

ऐसे में आंख बंद करके उन पर भरोसा करना किसी लिहाज से उत्तम मार्ग नहीं कहा जा सकता, परंतु अपनी तरफ से युद्ध भड़काना भी एक जिम्मेदार और सकारात्मक कदम नहीं है और भारत अपनी जिम्मेदारी को हमेशा से समझता आया है.

दक्षिण एशिया में इस तरह की शांति को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका दोनों ही तारीफ की मुद्रा में आ गए हैं, और वैश्विक पॉलिटिक्स की खूबसूरती भी यही है कि बड़े देश अपनी जिम्मेदारी समझते हुए विश्व को प्रभावित करने वाली तमाम घटनाओं पर अपनी नजर बनाए रखते हैं. हालाँकि, यह काफी पेचीदा होता है और कई बार अपने हित को साधने भर से ही इनका मतलब होता है.
पर आप इन्हें पसंद कर सकते हैं, नापसंद कर सकते हैं, किन्तु इन्हें अनदेखा नहीं कर सकते हैं. 

बहरहाल, अगर हम अपने देश की बात करें, तो भारत को अथक उद्यम करना होगा और आत्म निर्भर भारत के संकल्प को कागजों से निकालकर जमीन पर उतारना होगा. वस्तुतः शांति के मार्ग में यह ऐसा 'पुरुषार्थी शस्त्र' होगा, जो कभी परास्त नहीं किया जा सकेगा. 

अर्थ को सिर्फ चंद सिक्कों में नहीं तोला जा सकता, बल्कि यह समृद्धि का द्योतक है. आज अमेरिका, यूरोप जैसे तमाम देशों में भारतवंशी अपना परचम लहरा रहे हैं. अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस हैं. और वही क्यों, उन जैसे हजारों भारतवंशी तमाम ताकतवर देशों में महत्वपूर्ण पदों पर हैं. बेशक इसका डायरेक्ट कोई असर न दिखे, क्योंकि यह भारतवंशी अपनी नागरिकता के प्रति समर्पित हैं, किन्तु अगर आप यह सोचते हैं कि भारत के इस प्रभाव का असर वैश्विक पॉलिटिक्स पर नहीं पड़ेगा तो यह आंकलन अधूरा ही कहा जायेगा. 

इस तरह के प्रभाव को हमें बढाते रहना होगा, साथ ही किसी कॉलेज के एलुमनाई की तरह उन सभी पुरुषार्थी लोगों को इंडिया से जोड़े रखना होगा. सैन्य मजबूती के साथ-साथ दीर्घकालीन शान्ति में निश्चित तौर पर यह सभी सहायक होने वाले हैं.



बहरहाल, अभी नीति-निर्माताओं को चीन-पाकिस्तान की चाल पर नजर बनाए रखना ज़रूरी है, और चाहे बैक चैनल से या सीधी बात से, संबंधों को पटरी पर लाने का यत्न करते रहना है, क्योंकि यही वक्त की मांग भी है और सकारात्मक सोच का प्रदर्शन भी.

 कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं कि दोनों देशों चीन और पाकिस्तान द्वारा भारत से हालिया समझौते को आप किस नजर से देखते हैं?

Web Title: China and Pakistan Strategy with India, Hindi Article, Mithilesh Kumar Singh

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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