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रिलायंस जिओ से असुरक्षा महसूस करने की बजाय शोध पर ध्यान दें दूसरे सेलुलर ऑपरेटर्स! Reliance Jio Business Model, Hindi Article, New, New age business rules, Hindi Essay, Google, Facebook Business Models, Idea, Airtel, Vodafone Policy



मुकेश अंबानी यूं ही मुकेश अंबानी नहीं कहे जाते है, बल्कि उनके बिजनेस जितनी बड़ी उनकी सोच भी है. सेलूलर बिजनेस में रिलायंस जिओ से पहले भी वह ₹500 के फोन और 40 पैसे STD कर तहलका मचा चुके हैं. यह तकरीबन 2002 की बात है, जब रिलायंस कम्युनिकेशंस की एंट्री ने इस सेक्टर के तमाम खिलाड़ियों को अपना नियम बदलने पर मजबूर कर दिया था. 2016 में एक बार फिर रिलायंस जियो की धमाकेदार सफलता ने दूसरे सर्विस प्रोवाइडर्स की नींद उड़ा दी है. रिलायंस जिओ की लांचिंग के बाद से ही अन्य ऑपरेटर्स छटपटा रहे हैं, किंतु जिस तरह उन्होंने रिलायंस जिओ की राह रोकने की कोशिश की उसे कारपोरेट एथिक्स में कतई शामिल नहीं किया जा सकता है. आखिर कौन कल्पना कर सकता था कि रिलायंस जिओ की सभी कॉल दूसरी कंपनियां ब्लॉक कर देंगी, ताकि जियो की बदनामी हो और उससे ग्राहक छिटक जाएं. हालिया इवेंट के दौरान मुकेश अंबानी ने इस सम्बन्ध में यह दावा किया है कि रिलायंस जियो से किए जाने वाले लगभग 900 करोड़ कॉल्स को दूसरी टेलीकॉम कंपनियों ने ब्लॉक किया है. हालाँकि, उन्होंने सरकार और TRAI का शुक्रिया अदा करते हुए कहा है कि, 'पिछले दिनों कॉल ब्लॉक रेट 90 फीसदी से कम हो कर अब सिर्फ 20 फीसदी ही रह गए हैं और रिलायंस जिओ इसे 0.2 फीसदी तक लाने के लिए ऑपरेटर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. जाहिर तौर पर यह तथ्य देखने पर एकबारगी विश्वास नहीं होता है, पर मुकेश अंबानी तो माहिर बिजनेसमैन हैं और इस स्थिति की कल्पना बिजनेस शुरु करने से पहले ही उन्होंने कर ली होगी. यही वजह है कि रिलायंस जियो में ढाई लाख करोड़ से ज्यादा इन्वेस्टमेंट उन्होंने कर डाली, तो ग्राहक जोड़ने के लिए फ्री सर्विसेस का उन्होंने खजाना ही खोल दिया. शहरों में तो ब्राडबैंड या दूसरी इंटरनेट सेवाएं कमोबेश उपलब्ध थीं, किंतु ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में रिलायंस जियो ने अपनी मजबूत पैठ बनाई है. आप यूपी के किसी जिले के गांव में चले जाइए या बिहार के बक्सर के किसी गांव में चले जाइए, वहां 4जी फोन पर यूट्यूब वीडियो देखते हुए युवा आपको आसानी से दिख जाएंगे. यह वही युवा हैं, जो पेड 2g से सीधे फ्री 4जी की रफ्तार का स्वाद ले रहे हैं. 3g नेटवर्क तो शहरों तक ही सीमित रह गया था और इसकी मार्केट खत्म करने की राह पर रिलायंस जियो आगे बढ़ चुका है. Reliance Jio Business Model, Hindi Article, New, New age business rules, Hindi Essay, Google, Facebook Business Models, Idea, Airtel, Vodafone Policy


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इसकी सफलता से मुकेश अंबानी खुश हैं, तभी तो गाहे-बगाहे वह फेसबुक व्हाट्सएप्प और स्काइप जैसी कंपनियों की ग्रोथ से रिलायंस जियो की तुलना करते हैं और गर्व से उसका बखान करते हैं. आखिर बखान करें भी क्यों ना, जिस माइलस्टोन को आईडिया एयरटेल और वोडाफोन जैसी कंपनियों ने 10 साल से ज्यादा समय में अचीव किया उसे रिलायंस जिओ ने 3 महीने से कम समय में ही प्राप्त कर लिया है. 5 करोड़ से ज्यादा ग्राहक एक झटके से रिलायंस जिओ ने बना डाला है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. लोग कहते फिर रहे हैं कि रिलायंस जिओ अभी तो फ्री दे रही है सर्विसेज, बाद में उस पर चार्ज लगाएगी तो तब क्या होगा, लेकिन मुकेश अंबानी फ्री की आदत को और भी मजबूत करते जा रहे हैं. पहले 31 दिसंबर तक उनका फ्री ऑफर था जो अब बढ़कर, हैपी न्यू ऑफर के नाम से 31 मार्च 2017 तक हो गया है. जाहिर है वह अपनी सर्विसेज को बेहतर तरीके से जड़ पकड़ा देना चाहते हैं. मुकेश अंबानी के रिलायंस जिओ जैसे दुनिया में जितने भी बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान खड़े हुए हैं, उन्होंने कहीं ना कहीं ऐसी ही पॉलिसी अपनाई है. जरा कल्पना कीजिए अगर फेसबुक ने शुरू में ग्राहक जोड़ने के लिए अपनी सर्विसेज फ्री नहीं दी होती तो क्या होता? है क्या वाकई वह दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्क कंपनी होती? शायद नहीं! ऐसे ही जीमेल जैसी सर्विस जिसने मेल की दुनिया में अपना मुकाम बनाया है, वह भी फ्री है, तो गूगल सर्च भी फ्री ही है. मुकेश अंबानी की पॉलिसी समझने के लिए हमें आधुनिक बिजनेस मॉडल को समझना होगा. आज जिस प्रकार नई तकनीकों का विकास हुआ है, उसने आम जनों तक किसी भी चीज को बेहद तेजी से पहुंचाने में सक्षमता हासिल की है. आप एक वेबसाइट बनाते हैं, और उसे पूरी दुनिया में एक यूआरएल टाइप करके देखा जा सकता है. जाहिर तौर पर टेक्नोलॉजी के जमाने में जो चीज सबसे इंपोर्टेंट हुई है, वह है यूजर बेस! आपके पास कितने यूजर हैं और उनके आपके साथ बने रहने की कितनी संभावना है, यह बात सर्वाधिक महत्त्व की है. इसी बात पर फेसबुक, गूगल या रिलायंस जियो का बिजनेस मॉडल खड़ा है. हां, उसी यूजर बेस को बनाए रखने के लिए आपको शोध और विकास लगातार करना होता है, तो मार्केट में कंपटीशन से कहीं आगे खड़ा होना पड़ता है. Reliance Jio Business Model, Hindi Article, New, New age business rules, Hindi Essay, Google, Facebook Business Models, Idea, Airtel, Vodafone Policy


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गूगल, फेसबुक और रिलायंस जिओ में एक समानता यह भी है कि इन प्रतिष्ठानों ने खेल के नियम ही बदल डाले और बेहतर से बेहतर सर्विस देने के अपने वादे पर अमल करने की कोशिश की, उसने मार्केट में इनकी मोनोपोली बना दी. कहीं ना कहीं रिलायंस जिओ से अन्य मोबाइल ऑपरेटर्स इसी डर के कारण विरोध पर उतर आए हैं कि कहीं इस कंपनी की मोनोपोली न हो जाए! किसी भी कंपनी का मोनोपोली होना अच्छी बात तो नहीं है और अन्य ऑपरेटर्स को अपनी सर्विसेज दुरुस्त कर के इसे रोकना चाहिए, न कि रिलायंस जिओ की कॉल ब्लॉक करके! एयरटेल, वोडाफोन, आईडिया या फिर दूसरे सर्विस ऑपरेटर्स को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि टेक्नोलॉजी बदलती रहती है और अगर आप उससे कदमताल नहीं कर पाते हैं, तो निश्चित रुप से आपके ग्राहक आपसे दूर जाएंगे और अंततः आप मार्केट से बाहर हो जाएंगे. आखिर एसएमएस की मार्केट व्हाट्सएप्प या दूसरे मैसेजिंग ऐप आने से खत्म ही तो हो गई. अब ले देकर ट्रांजैक्शनल और कुछ प्रमोशनल एसएमएस ही किये जाते हैं. ऐसे में कोई शिकायत तो नहीं कर सकता कि व्हाट्सएप्प का विकास क्यों हुआ? वस्तुतः आपके बिजनेस मॉडल को आपको स्वयं ही बचाना होता है और उसका एक ही मंत्र है, कम खर्च में बेहतर से बेहतरीन सुविधाएं आप अपने ग्राहकों को आज भी दें और लगातार देते रहें! अगर इस कंपटीशन में आप खड़े हो पाते हैं तब तो ठीक अन्यथा आप लाख असुरक्षा अपने मन में लाएं, किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं होने वाला. जहां तक बात रिलायंस जिओ की है, तो अब तक की अपनी रणनीति से उसने निश्चित तौर पर बड़ी लीड हासिल कर ली है. एमएनपी सर्विस शुरू होने से दूसरी कंपनियों के यूजर्स भी इस ओर मूव कर सकते है. वैसे भी, 31 मार्च 2017 तक सभी जियो यूजर्स को एक बार फिर डाटा वायस और जियो एप्स की एक्टिवेशन फ्री मिलेगी, जिसे 'हैप्पी न्यू ईयर आफर' का नाम दिया गया है. हालांकि अब पहले की तरह हर दिन 4 gb डाटा की बजाय 1 gb डाटा ही लोगों को दिया जाएगा, जिसके पीछे मुकेश अम्बानी का अपना तर्क है. खैर 1 gb डाटा भी पर्याप्त होता है और अगर वीडियो की भाषा में बात करें तो लगभग 3 घंटे की मूवी 700 mb में आ जाती है और फिर भी आपका 300 mb बचा रहता है. मतलब अगर 4g स्पीड से यूज़र एक पूरी फिल्म भी देखता है, तब भी 1gb उसके लिए पर्याप्त है. खास बात यह भी है कि मुकेश अंबानी रिलायंस जिओ को यहीं तक सीमित नहीं रखना चाहते हैं, बल्कि फाइबर टू होम के जरिए 1 GBPS इंटरनेट स्पीड देने की बात कही गई है, जिसकी टेस्टिंग दिल्ली और मुंबई में किया जा सकता है. जाहिर तौर पर इतनी तेज स्पीड से लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव हो सकते हैं, तो उसी रफ्तार से रिलायंस जियो भी मार्केट लीड करने की स्थिति में आ जाएगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि रिलायंस जिओ से असुरक्षा महसूस करने की बजाए दूसरी कंपनियों को शोध, विकास एवं सर्विसेज पर ध्यान देना चाहिए, ताकि कॉर्पोरेट एथिक्स का पालन करते हुए रिलायंस जिओ को टक्कर दी जा सके, न कि किसी और नाजायज़ राह से!

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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