नए लेख

6/recent/ticker-posts

Ad Code

क्रोध, प्रेम, घृणा, दया, मानवता की मिसाल है मेट्रो ... !!

आखिर कैसे होगी 'न्यूज-पोर्टल' से कमाई? देखें वीडियो...



बैठ गया मेट्रो पर
सुबह-सुबह जाना था कहीं
पहुंचे स्टेशन पर भागे-भागे
लम्बी लाइन थी
सबको जल्दी भी थी
टोकन के लिए आगे बढ़ते, तभी
लाइन में खड़े लोग भड़के!

मजबूरी में दस मिनट लगाया
फिर चेकिंग के बाद एंट्री पाया
सोचा लिफ्ट में घुस जाता हूँ
बिना मेहनत प्लेटफॉर्म पर चढ़ जाता हूँ
लिफ्ट में कुछ बुजुर्ग आये
मुझे दो-चार जुमले सुनाये
कहा, तुम तो हो अभी जवान
सीढ़ियों से जाओ और हमें न करो परेशान
ओवरलोड थी लिफ्ट, मन मसोस उतर गया
सीढ़ियों से जाकर प्लेटफॉर्म पर अकड़ गया
Poem on Delhi Metro in Hindi, Humanity, Kindness and much more in Metro Rail
बेमिसाल टेक्नोलॉजी और थी साफ़-सफाई
दिल्ली में सबकी तरह मेट्रो मुझे भी भाई
ट्रेन आयी, मैंने पहले ही डब्बे में छलांग लगाई
ये लेडीज डब्बा है, औरतें चिल्लाई
दरवाजे पर खड़े जोड़ों के बीच से 
मैंने जल्दी राह बनाई

फिर धक्कम-धुक्की के बीच हो गया खड़ा
इधर उधर, हिलते डुलते गाड़ी आगे बढ़ी
अगले स्टेशनों पर भीड़ और भी चढ़ी
बीच-बीच में आती रही आटोमेटिक आवाज
लोग आते रहे, जाते रहे जैसे पंछी करें परवाज

तभी मेरा पर्स - मेरा पर्स, कोई जोरों से चिल्लाया
किसी जेबकतरे ने उसका बटुआ उड़ाया
कोई दांव चलते न देखकर उसने गुहार लगाई
पर्स के पैसे रख लो, उसमें पड़े डॉक्युमेंट्स दे दो भाई
पर वह बिलबिलाता रहा लगातार
आस-पास के चेहरों को घूरता ही रहा
बार - बार, लगातार!
Poem on Delhi Metro in Hindi, Humanity, Kindness and much more in Metro Rail
मेट्रो अपनी रफ़्तार से चलती रही
एक के बाद दूसरे पड़ावों को पार करती रही
मैं भी अपने स्टेशन पर उतर गया
काम निबटाते-निबटाते शाम का पहर गुजर गया

लौटने की अब बारी थी
फिर मेट्रो की सवारी थी
ऑफिस से थके लौटते लोग
बात-बेबात पर भिड़ते लोग
मुंह से विशेष 'गन्ध' फैलाते लोग
सुख-दुःख की बतियाते लोग

कुछ कम भीड़ होने पर एक कोने में नजर गई
खुलेआम दृश्य, इमरान हाशमी की याद ताज़ा कर गई
एक दूसरी सीट पर प्रेमिका का थामे हाथ
मनुहार कर रहे प्रेमी के चेहरे पर 
थे कई भाव साथ-साथ
बेपरवाह दुनिया से जैसे पंछी
करते हों बात

अगले स्टेशन की आई अनाउंसमेंट, मैं उतर गया
उतरते ही हाथ अपने पर्स और मोबाइल की तरफ गया
सब सलामत था! 
लाखों की तरह मंजिल पर लाई मेट्रो
ऐसा लगा मानो हर सुख दुःख की गवाह है मेट्रो
क्रोध, प्रेम, घृणा, दया, मानवता की मिसाल है मेट्रो!

- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'.





Poem on Delhi Metro in Hindi, Humanity, Kindness and much more in Metro Rail
Poem on Delhi Metro in Hindi, Humanity, Kindness and much more in Metro Rail, chor, delhi lifeline, Delhi metro, dilli metro par kavita, DMRC, hard work, jebkatre, labor, love birds in metro, metro, poem on metro, senior citizens in metro, thief, travel, yatra
मिथिलेश  के अन्य लेखों को यहाँ 'सर्च' करें... (More than 1000 Hindi Articles !!)

Disclaimer: इस पोर्टल / ब्लॉग में मिथिलेश के अपने निजी विचार हैं, जिन्हें पूरे होश-ओ-हवास में तथ्यात्मक ढंग से व्यक्त किया गया है. इसके लिए विभिन्न स्थानों पर होने वाली चर्चा, समाज से प्राप्त अनुभव, प्रिंट मीडिया, इन्टरनेट पर उपलब्ध कंटेंट, तस्वीरों की सहायता ली गयी है. यदि कहीं त्रुटि रह गयी हो, कुछ आपत्तिजनक हो, कॉपीराइट का उल्लंघन हो तो हमें लिखित रूप में सूचित करें, ताकि तथ्यों पर संशोधन हेतु पुनर्विचार किया जा सके. मिथिलेश के प्रत्येक लेख के नीचे 'कमेंट बॉक्स' में आपके द्वारा दी गयी 'प्रतिक्रिया' लेखों की क्वालिटी और बेहतर बनाएगी, ऐसा हमें विश्वास है.
इस लेख से जुड़े सर्वाधिकार इस वेबसाइट के संचालक मिथिलेश के पास सुरक्षित हैं. इस लेख के किसी भी हिस्से को लिखित पूर्वानुमति के बिना प्रकाशित नहीं किया जा सकता. इस लेख या उसके किसी हिस्से को उद्धृत किए जाने पर लेख का लिंक और वेबसाइट का पूरा सन्दर्भ (www.mithilesh2020.com) अवश्य दिया जाए, अन्यथा कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ