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बाल कविता: नीली पेंसिल, पीली पेंसिल

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नीली पेंसिल, पीली पेंसिल
इनसे मिलती सबको मंज़िल
कोरा कागज़ काला करतीं
ना हैं रूकती, न कभी थकतीं।।

ग़लती करने पर ना चिढ़तीं
उसे मिटाकर सही है करतीं।
माँ जैसा दिल बड़ा है इनका
ख़ुद है घिसतीं, कुछ ना कहतीं।।

बड़े जो होंगे हम सब इतने
पेंसिल सा बन जाएंगे।
जिन्हें नहीं आता है सब कुछ
लिखना उन्हें सिखाएंगे।।

लिखना उन्हें सिखाएंगे
कभी नहीं घबराएंगे
घिस जाएंगे गर्दन तक पर
चलते चले हम जाएंगे।।

- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'








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Web Title: Children Poem on Pencil in Hindi, Quality of Pencil in Hindi

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