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विराट कोहली की असल परीक्षा अब होगी

The Actual Captaincy Test of Virat Kohli has Yet to Come (Pic: IndiaToday)
गर भारत 2019 का वर्ल्ड कप जीत जाता, तो इतिहास में यही लिखा जाता है कि "विराट कोहली की कप्तानी में भारत के रणबांकुरों ने कमाल किया. अब जबकि न्यूजीलैंड से बेहद कम स्कोर के मैच में भारत हार गया है तो लॉजिकली यही कहा जाना चाहिए कि "विराट कोहली की कप्तानी में भारत के मिडिल ऑर्डर ने परफॉर्म नहीं किया."

हालांकि यह खेल है और किसी भी मैच में किसी न किसी की हार और किसी की जीत होना स्वभाविक ही है, किंतु हार से सबक लिया जाना भी उतना ही आवश्यक है.
इस बात को भूल पाना असंभव है कि विश्व कप जीतने के प्रति आत्मविश्वासी (शायद 'अति-आत्मविश्वासी) भारतीय टीम-प्रबंधन मिडिल-आर्डर में ठीक विकल्प नहीं ढूंढ पाए!
भारतीय क्रिकेट में क्रांति ला देने वाले पूर्व कप्तान गांगुली ने इस हार पर स्पष्ट कहा कि 'पिछले डेढ़ साल में भारतीय चयनकर्ताओं की यह सबसे बड़ी ग़लती है कि मध्य क्रम में कोई मज़बूत खिलाड़ी नहीं तलाश सके.'
वह भी तब जब कोच से लेकर बाकी हर चीज कप्तान विराट कोहली के अनुरूप है!

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि विराट कोहली विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से हैं, लेकिन बात जब कप्तानी की आती है तो अभी तक उनकी कप्तानी बैसाखी पर ही रही है!

उन्हें धोनी के द्वारा बनी बनाई एक सर्वश्रेष्ठ टीम मिली है और उस टीम को उन्होंने ठीक ढंग से कैरी भी किया है, पर उन्हें एक कप्तान के तौर पर यह कड़वी सच्चाई स्वीकार करनी होगी कि वह धोनी के द्वारा बनाए गए खिलाड़ियों पर ही अभी निर्भर हैं. रोहित शर्मा, रविंद्र जडेजा जडेजा हों, शिखर धवन हों या फिर खुद धोनी ही क्यों ना हों... यह सभी 'धोनी-युग' के खिलाड़ी हैं.

जब मिडिल ऑर्डर से युवराज सिंह को रिप्लेस किया गया और धोनी के भी 'स्लो' होने की बात कही जा रही है तो मध्यक्रम में इनका विकल्प ढूंढने की जिम्मेवारी किसकी है?

युवराज सिंह ने इस बाबत ट्वीट किया कि 'प्रेसर के दौरान एक-एक रन जोड़ना मध्यक्रम को सीखना होगा और यही वह जगह है जहाँ अनुभव काम आता है, शायद माही यह कर सकेंगे.'

युवी का यह ट्वीट मध्यक्रम की लड़खड़ाहट के बीच आया था!

प्रश्न यह है कि अपनी टीम की इस कमजोरी को अगर विराट कोहली नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा?और अगर उन्होंने इसे समझ लिया है तो अपने प्रिय कोच रवि शास्त्री के साथ मिलकर उन्होंने इसे दूर क्यों नहीं किया?

कप्तान को हमेशा ही अच्छे खिलाड़ियों की पहचान करनी होती है और उन्हें लंबे समय तक बैक करने की जरूरत होती है. हालाँकि, मैच के बाद विराट कोहली ने बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी और अपने किसी खिलाड़ी पर सीधा इल्जाम नहीं लगाया. यह दिखलाता है कि वह परिपक्वता की ओर बढ़ रहे हैं. पत्रकारों द्वारा कुरेदे जाने के बावजूद भी उन्होंने गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलकर आउट हुए ऋषभ पंत पर भरोसा जताया तो दिनेश कार्तिक और महेंद्र सिंह धोनी की धीमी पारी की भी आलोचना करने से पूरी तरह से बचे.

Mahendra Singh Dhoni Should help Kohli to prepare better Middle Order before his retirement (Pic: dawn)

खासकर पत्रकारों द्वारा धोनी की धीमी पारी पर सवाल पूछने पर विराट कोहली ने जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि "धोनी ने वही किया जो उन्हें करने के लिए कहा गया था. उन्हें एक छोर पर मजबूती से खड़ा रहने के लिए कहा गया था और दूसरी तरफ जब अजय जडेजा तेज खेल रहे थे ऐसे में धोनी की धीमी पारी इस हार की बिल्कुल जिम्मेदार नहीं है."

विराट कोहली का यह रवैया दिखलाता है कि वह एक जिम्मेदार खिलाड़ी से एक जिम्मेदार कप्तान बनने की ओर अग्रसर हैं और उम्मीद की जानी चाहिए कि वह जल्द ही टीम की कमियों को हर ओर से दुरुस्त करेंगे और भविष्य के खिलाड़ियों में निवेश करेंगे.

आप जरा धोनी की कप्तानी को याद कीजिए. कई लोगों ने उन पर इल्जाम लगाया कि उन्होंने वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर और ऐसे ही कई खिलाड़ियों का कैरियर जल्दी समाप्त करा दिया, लेकिन धोनी को अपनी टीम खड़ी करनी थी और अपनी टीम जब आप खड़ी करते हैं तो उन खिलाड़ियों में आपका भरोसा लाजवाब होता है. 

इसका मतलब यह कतई नहीं है कि अगर रोहित शर्मा, धोनी की कप्तानी में डिवेलप हुए हैं, तो उन पर विराट कोहली को भरोसा नहीं करना चाहिए! करना चाहिए, अवश्य करना चाहिए, लेकिन आपके पास खिलाड़ियों की एक लंबी फेहरिस्त भी होनी चाहिए और आपके खेल का जो डिपार्टमेंट कमजोर है, उस कमजोरी पर तो आपका बेहद सटीक ध्यान होना चाहिए.

सच कहा जाए तो विराट कोहली की असली परीक्षा अब होगी और खासकर तब जब धोनी अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर देंगे. फील्ड पर अब तक ऐसे तमाम निर्णय हुए हैं, जब धोनी का सपोर्ट कोहली को मिलता रहा है और यह एक सकारात्मक बात है, किंतु टीम की जरूरत के हिसाब से धोनी बहुत लंबे समय तक नहीं खेल सकते.

कई लोग महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास की अटकलें लगा रहे हैं और वह शायद संन्यास ले भी लें, किंतु मिडिल ऑर्डर में जो कमजोरी है इसे तत्काल अनदेखा किया जाना टीम इंडिया का आत्मविश्वास हिला सकता है. हालांकि विराट कोहली अकेले दम पर कई मैचों का रुख पलटने में सक्षम हैं, किंतु हर बार उन्हीं पर डिपेंड रहना किसी भी मजबूत टीम का लक्षण नहीं हो सकता. इस बाबत मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने स्पष्ट कहा है कि 'हर बार आप विराट और रोहित शर्मा पर निर्भर नहीं रह सकते हैं और मध्यक्रम को अपनी जवाबदेही लेनी ही होगी.'

इसीलिए तो जब मैच के बाद पत्रकारों ने धोनी के संन्यास पर सवाल उठाया तो इसे सिरे से नकारते हुए विराट कोहली ने कहा कि उन्हें धोनी के संन्यास की कोई जानकारी नहीं है और धोनी ने उनसे ऐसी कोई बात नहीं कही है.
जाहिर तौर पर आगे के सफर के लिए टीम इंडिया का यही सकारात्मक रवैया उसे विश्व चैंपियन बनाएगा और क्रिकेट कोई ऐसा तो खेल है नहीं कि वर्ल्ड कप ही इसमें एक मात्र आयोजन हो!

बल्कि हर साल कई द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय सीरीज होती हैं, इसके अलावा चैंपियंस ट्रॉफी से लेकर T20 वर्ल्ड कप में जौहर दिखाने का टीम-इंडिया को भरपूर मौका मिलेगा ही, पर सवाल यही उठता है कि क्या हर मौके की खूबसूरती और चुनौती को विराट कोहली समझेंगे?

देखना शेष है!

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

Virat Kohli and Mahendra Singh Dhoni (Pic: bhaskar)

Web Title: The Actual Captaincy Test of Virat Kohli has Yet to Come. New Zealand vs India Cricket Match, Semi Final Defeat in England, World Cup 2019



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