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सोना कितना सोना है... !!

Gold scheme launched by Narendra Modi, RBI, new hindi article - gold coinसोना सदैव से मानव इतिहास में महत्वपूर्ण रहा है. अर्थव्यवस्था में तो इसका रोल रहा ही है, व्यक्तिगत सम्पन्नता के मामले में भी सोने का रोल अद्वितीय रहा है. हमारे भारतीय घरों में तो सोने के लिए क्या-क्या महाभारत नहीं होता है. सच कहा जाय तो नारी सशक्तिकरण के दौर से पहले, सोना ही औरतों की एकमात्र थाती रही है. नरेंद्र मोदी की जो एक आदत उनके विरोधियों और समर्थकों को निश्चित रूप से पसंद आती है, वह उनकी लगातार कार्य करने की क्षमता है, जिसमें दूरदर्शिता का सही मसाला होता है. एक तरफ सहिष्णुता के नाम पर राजनैतिक भूचाल पैदा करने की जोरदार कोशिश विपक्षियों द्वारा की जा रही है, जबकि दूसरी ओर अपने अंदाज में नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को एक और तोहफा दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने सोने से जुड़ी तीन महत्वकांक्षी योजनाओं की शुरूआत की है, जिसका मकसद देश में सोने के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने और घरों तथा अन्य जगहों पर बेकार पड़े करीब 800 अरब डालर के 20,000 टन सोने को उपयोग में लाना है. जाहिर है, यह एक ऐसी बड़ी मात्रा है जो अर्थव्यवस्था की चमक को '24 कैरेट' की करने की क्षमता रखता है. स्वर्ण मौद्रीकरण योजना 2015, सावरेन स्वर्ण बॉंड योजना और अशोक के चिन्ह वाले सोने के सिक्के तथा बुलियन योजनाओं का अनावरण करके, प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था की चमक बढ़ाने के लिए एक सधी प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. लम्बी गुलामी के काल के बाद, जिस प्रकार अशोक चक्र का प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल स्वर्ण-सिक्कों पर किया गया है, उससे संघ खेमे में अवश्य ही उत्साह आ गया होगा. आखिर, सिक्कों की प्रतीकात्मकता का अपना विशिष्ट महत्त्व है.
 
Gold scheme launched by Narendra Modi, RBI, new hindi article - coins issued by Chandraguptaइतिहास में देखें तो, मोहम्मद गोरी द्वारा जारी सिक्के, जिसमें एक तरफ हिंदुओं के लिए धनधान्य की देवी मां लक्ष्मी की प्रतिमा उकेरी हुई थी और दूसरी तरफ नागरी में उसका नाम गुदा था, उस काल से लेकर अकबर द्वारा जारी चांदी के सिक्के के दौर को देखें, जिस पर राम और सीता की तस्वीरें उकेरी गई थीं और दूसरी तरफ कलमा खुदा हुआ था, आपको सिक्कों की प्रतीकात्मकता समझ आ जाएगी. वैसे भी, सिक्के विजय का प्रतीक माने गए हैं. इसी ऐतिहासिक कड़ी, जिसमें इंडो यूनानी शासकों की बात आती है, उन्होंने बुद्ध, शिव और कृष्ण की आकृति वाले कई सिक्के चलाए थे, तो कुषाण राजा कनिष्क ने सबसे पहले सही तरीके से सोने के सबसे ज्यादा शुद्ध सिक्के भारत में चलाए थे. नरेंद्र मोदी द्वारा जारी स्वर्ण-सिक्कों के दूरगामी प्रभाव को समझने के लिए कुछ और ऐतिहासिक तथ्यों को समझना जरूरी हो जाता है, जिसमें चाणक्य का नाम भी लिया जा सकता है. इस महान अर्थशास्त्री के काल में, चांदी, ताम्बा आदि के सिक्के बनाए गए, जिसमें चंद्र, सूर्य, पहाड़ी आदि आकृतियां इन सिक्कों पर गुदी थीं. इन सिक्कों को ही पंचमार्क सिक्कों के रूप में प्रसिद्धि मिली. मुग़ल काल में अकबर के अलावा जहांगीर ने भी अपनी आकृति के सिक्के प्रचलन में लाये तो अंग्रेजी काल में अंग्रेज़ों ने अपने महाराज, महारानी की आकृति वाले सिक्के चलाये. जाहिर है, तमाम मजबूत शासकों ने अर्थव्यवस्था पर अपना दूरगामी प्रभाव छोड़ा है तो सभ्यता के बदलते हुए मोड़ का अध्ययन करने के लिए सिक्के सर्वाधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज रहे हैं. वर्तमान सरकार द्वारा जारी योजनाओं में जो योजना सर्वाधिक महत्त्व की बताई जा रही है वह है स्वर्ण मौद्रीकरण योजना 2015! इसके तहत लोग अपने पास उपलब्ध सोने को जमा कर सकेंगे जिस पर उन्हें 2.5 प्रतिशत ब्याज मिलेगा, जबकि सावरेन स्वर्ण बांड योजना के तहत निवेशक बांड पत्र खरीदकर सालाना 2.75 प्रतिशत ब्याज प्राप्त कर सकेंगे. अब सवाल यह है कि भारतीय महिलाओं में सोने को लेकर जितना क्रेज बना रहता है और जिस प्रकार सोने को वह अपने से एक पल के लिए भी दूर नहीं करना चाहती हैं, ऐसे में वह सरकारी स्कीम पर किस प्रकार भरोसा करेंगी! वैसे भी, लोगों के मन में इन स्कीम्स को लेकर यह शंकाएं भी हैं कि सरकार एक बार अगर सोने की मात्रा को ऑफिशियल रूप से कैलकुलेट करने में सफल हो गयी तो फिर उस पर कहीं अतिरिक्त टैक्स न लगा दे.
 
Gold scheme launched by Narendra Modi, RBI, new hindi article - british coinsहालाँकि, इस तरह के तमाम आंकलनों के बावजूद सरकार की योजनाओं से न केवल जनता को फायदा हो सकता है, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा. गौरतलब है कि देश में इस तरह की यह पहली योजना है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में अशोक चक्र का प्रतीक चिह्न और महात्मा गांधी के चित्र के साथ नरेंद्र मोदी द्वारा जारी सिक्के का भी बड़ा महत्त्व होगा. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो, भारत ने सोने के सबसे बड़े खरीदार के तौर पर चीन को पीछे छोड़ दिया है. भारत में फिलहाल करीब 1,000 टन सोने का आयात सालाना किया जाता है जिसके कारण विदेशी मुद्रा खर्च होती है. अगर सरकार की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत भारतीय नागरिकों द्वारा निवेश के मौके को भुनाया गया तो निश्चित रूप से बदलाव आ सकता है और विदेशी मुद्रा का एक बड़ा हिस्सा बचेगा, सो अलग! इन स्कीम्स से मिलने वाले फायदों की बात थोड़ी डिटेल में करें तो,  जिस भी बैंक में लोग सोना जमा करेंगे, बैंक उस पर आपको एक निश्चित दर पर ब्याज देगा. अब तक होता यह था कि गोल्ड को बैंक में रखने के लिए आपको लॉकर लेना पड़ता था और इस पर खुद आपको ही बैंक को पैसा चुकाना पड़ता था. यह एक प्रकार से वैसे ही होगा जैसे बैंक में आप पैसा रखते हैं और बदले में बैंक आपको ब्याज देता है. आरबीआई के मुताबिक, योजना के तहत इसमें कम से कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होगा. वह गोल्ड-बार, सिक्का, गहने (स्टोन्स रहित और अन्य मेटल रहित) इसमें मान्य होगा. हालाँकि, इस प्रक्रिया में एकरूपता आने में समय लग सकता है. आरबीआई के तहत नामित सभी कमर्शल बैंकों को इस स्कीम को शुरू करने की अनुमति है और बैंकों को गोल्ड डिपॉजिट पर खुद ब्याज दरें तय करने की अनुमति दी गई है. इस स्कीम के तहत, तीन तरह के डिपॉजिट किए जाएंगे- पहला, शार्ट टर्म (1 से 3 साल), मीडियम टर्म (5 से 7 साल) और लॉन्ग टर्म (12 से 15 साल) तक के लिए. मच्योरिटी पर पब्लिक के पास यह ऑप्शन होगा कि वे या तो पैसे लें या फिर अपना सोना वापस ले सकेंगे और यह पेमेंट उस समय सोने की कीमत के अनुरूप होगी. जब आप डिपॉजिट करने जाएंगे तभी आपको यह स्पेसिफिकली बता देना होगा कि आप कौन सा विकल्प चुनने जा रहे हैं, इसे बाद में बदला नहीं जा सकेगा. जाहिर है, इस तरह के नए ऑप्शन के साथ पब्लिक तालमेल बिठाने में समय लेगी. वैसे भी, मच्योरिटी अवधि से पूर्व निकासी का प्रावधान तो इसमें रखा गया है, लेकिन इसमें न्यूनतम लॉक-इन की अवधि भी रखी गयी है. इससे पहले निकालने पर जुर्माने का प्रावधान भी होगा और सबसे बड़ी बात यह है कि कौन सा बैंक कितना जुर्माना लेगा, यह फैसला बैंक स्वयं तय करेंगे.
 
Gold scheme launched by Narendra Modi, RBI, new hindi article - Indian women with jewelleryजाहिर है, छोटी-छोटी 'टर्म्स एंड कंडीशन' से कहीं आम जनता को ही पिसना न पड़ जाए. चूँकि, इस तरह की भारत में यह पहली योजना है, इसलिए इसकी तमाम कमियों में सुधार भी समय के साथ निश्चित रूप से आएगा ही. इन तमाम योजनाओं में जो सबसे सकारात्मक बात निकल कर सामने आयी है, वह महिलाओं के विकास से भी जुडी है. आज, जिस तरह से घर से बाहर निकालकर कुछ करने की मानसिकता महिलाओं में आयी है, उसमें सरकार की यह स्कीम काफी सहायक हो सकती है. चूँकि, भारत में हर औरत इतनी तो धनवान होती ही है कि उसके पास सोने के रूप में 2 - 4 लाख से ज्यादे की रकम होती है. लेकिन, वह रिसोर्स लगभग ब्लॉक होती है. इस स्कीम से महिलाएं न केवल अपने रूटीन को बदल सकती हैं, बल्कि लघु उद्योग, बच्चों की शिक्षा और अन्य दुसरे कार्यों में भी उसे सहायता मिल सकती है. हाँ! उसके सोने रुपी गहने सुरक्षित के सुरक्षित रहेंगे, यह एक अलग लाभ हैं! हालाँकि, इस योजना की बारीकियों के बारे में धीरे-धीरे बातें निकलकर सामने आएँगी, लेकिन फर्स्ट इम्प्रेशन तो वाकई लाजवाब है! इस योजना की बात यूं तो काफी दिनों से की जा रही थी, लेकिन जिस प्रकार सहिष्णुता के ऊपर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं और उसके बावजूद प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण स्कीम को लांच किया हैं, उसने साफ़ सन्देश दिया है कि सरकार विकास और अर्थव्यवस्था की राह पर जगी है और न केवल जगी है, बल्कि देश को स्वर्ण राह पर ले जाने के प्रति गंभीर भी है. अब सारा दारोमदार, सरकार द्वारा इस योजना के सकारात्मक प्रचार पर है, जिसमें नरेंद्र मोदी सरकार माहिर मानी जाती रही है. देखना दिलचस्प होगा कि पब्लिक सोने को कितना 'सोना' मानती है.

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

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The Prime Minister, Shri Narendra Modi launches the Gold schemes, in New Delhi on November 05, 2015.  The Union Minister for Finance, Corporate Affairs and Information & Broadcasting, Shri Arun Jaitley and Minister of State for Commerce & Industry (Independent Charge), Smt. Nirmala Sitharaman are also seen.
The Prime Minister, Shri Narendra Modi launches the Gold schemes, in New Delhi on November 05, 2015.
The Union Minister for Finance, Corporate Affairs and Information & Broadcasting, Shri Arun Jaitley and Minister of State for Commerce & Industry (Independent Charge), Smt. Nirmala Sitharaman are also seen.

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