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अभिव्यक्ति की आज़ादी तो ठीक, मगर... New hindi article on right of expression, gurmeet ram rahim, keeku, mithilesh2020

कबीर दास जैसा लोकप्रिय, यथार्थवादी और अभिव्यक्ति की आज़ादी का जश्न मनाने वाला कवि भला दूसरा कौन होगा? किसको उन्होंने नहीं घेरा है और किसकी परतें उन्होंने नहीं उधेड़ी हैं? पर उन्होंने भी कह ही दिया है कि-
'ऐसी बानी बोलिए, मन का आप खोय
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय'
देखा जाय तो, काफी कुछ इस दोहे में छिपा हुआ है. विशेषकर भारत जैसे विविधतापूर्ण वाले देश में तो इस बात का ध्यान रखना ही चाहिए. इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप किसी मुद्दे को छोड़ दें, किसी बुराई को अनदेखा कर दें या फिर अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबा दें, किन्तु यह जरूर करें कि आप व्यक्ति-विशेष को टारगेट करने की बजाय, मुद्दे को निशाने पर लें. वो कहते हैं न कि 'सांप भी मर जाए, किन्तु लाठी भी न टूटे!' पिछले दिनों हिन्दू महासभा के नेता कमलेश तिवारी द्वारा इस्लाम और उनके पैगम्बर के खिलाफ टिप्पणी से कई शहरों में तनाव उत्पन्न करने की कोशिश की गयी तो उनके ऊपर रासुका का फंदा भी कस गया. इस मामले पर अभी चर्चा चल ही रही थी कि टीवी की दुनिया के सुपरहिट शो 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में काम करने वाले कॉमेडियन कीकू को एक शो के दौरान आध्यात्मिक गुरु बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह इंसान की नकल उतारने के लिए हरियाणा में गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. 

इस बात पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिनमें कुछ लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात कह रहे हैं तो कुछ धार्मिक मामलों में संवेदनशीलता बरतने के पक्षधर दिख रहे हैं. कीकू शारदा को बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295-ए के तहत गिरफ्तार कर कैथल में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जिन्होंने कीकू को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. हालाँकि, इस पूरे मामले को लेकर किकू ने सफाई देने में देरी नहीं की. कीकू ने माफ़ी मांगते हुए कहा कि "मैं एक कलाकार हूं... मुझे बताया जाता है, स्क्रिप्ट दी जाती है कि मुझे शो पर क्या करना है... मुझे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा... मैं पहले भी इसके लिए माफी मांग चुका हूं, अब भी मांगता हूं..." जाहिर है, जैसे तैसे यह हास्य कलाकार इस विवाद से पीछा छुड़ाना चाहता है. कीकू ने यह भी कहा कि "यह एक संयोग मात्र था और यह दुर्भाग्यपूर्ण था. इस घटना के लिए साल के अंतिम सप्ताह में कीकू ने ट्विटर पर भी माफी मांगी थी. जहाँ तक बाबा का सवाल है तो दो फिल्मों में भी नायक के रूप में अपने अनुयायियों के सामने आ चुके 48-वर्षीय बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह धार्मिक पंथ डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख हैं, जिसका मुख्यालय हरियाणा में है. पंथ का दावा है कि उसके अनुयायियों की संख्या पांच करोड़ से भी ज़्यादा है. इस पूरे मामले पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'ये कानून व्यवस्था का मामला है. जो एफआईआर दर्ज हुई है, उसके आधार पर कार्रवाई की गई है. किसी के भी साथ ज्यादती नहीं की जाएगी.' ठीक भी है, भावनाएं सबकी हैं और कानून को सबको ही देखकर चलना है. भारत जैसे देश में इसलिए भी सबको सावधान होकर चलना पड़ता है, क्योंकि यहाँ विभिन्न समुदाय, सम्प्रदाय के लोग हैं और हर एक का अपना बड़ा प्रशंसक वर्ग भी है. हालाँकि, यह बात देखने में आयी है कि कई गुरु अपने प्रभाव और समर्थकों का इस्तेमाल अपने गैर-कानूनी धंधों को चलाने के लिए करते हैं. 

चूँकि, भारत में लोकतंत्र और कानून का शासन बेहद मजबूत है, इसलिए अगर इनके खिलाफ कोई सबूत या मामला बनता है तो कई धर्माचार्य, जो जेल में उनकी ही तरह और लोगों को भी कानून जेल में डाल सकता है. किन्तु, जिनके अनुयाइयों को मजाक पसंद नहीं है, उनको बख्स दिया जाना चाहिए. हालाँकि, पूरे मामले में खुद बाबा राम रहीम की प्रतिक्रिया सकारात्मक है और उन्होंने पूरे मामले पर पर्दा डालते हुए इस विवाद पर पटाक्षेप करने की कोशिश की है. ट्विटर पर उन्होंने किकू की माफ़ी को स्वीकार कर लिया है, इसलिए अब इस मामले में इस कलाकार को बख्श दिया जाना चाहिए. इस पूरे मामले से उन टीआरपी मेकर्स को भी सबक लेना चाहिए, जो कंटेंट पर मेहनत करने की बजाय, व्यक्ति-विशेष को टारगेट पर ले लेते हैं. इससे विवाद उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है, किन्तु अंततः इसमें नुक्सान सबके समय का ही होता है. अगर व्यंग्य बेहतर हो तो इसका असर भी फैले और कुछ बदलाव भी नज़र आये, किन्तु सिर्फ टीका-टिप्पणी और विवाद से किसी को कुछ ठोस हासिल नहीं होता, सिवाय शोर-शराबे के! आये दिन हो रहे विवादों से सबक लेकर, हमें निश्चित रूप से अभिव्यक्ति की आज़ादी के सफर में मुद्दे पर फोकस रहना चाहिए, बजाय व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी के!

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