कहते हैं एक 'सड़ी मछली' पूरे तालाब को गन्दा कर देती है और पड़ोसी देशों के लिए पाकिस्तान की कमोबेश यही स्थिति है. अभी हाल ही में दक्षेस (SAARC) देशों के गृह-मंत्रियों की बैठक इस्लामाबाद में आयोजित हुई और उस बैठक में पाकिस्तान की भद्दी मेजबानी को पूरी दुनिया ने देखा! वह तो हमारे दबंग गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक में गए थे और उन्होंने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब भी दिया, वरन इस बैठक में कुछ ऐसी बातें हुईं जिसे राजनयिक बदतमीजी की संज्ञा आसानी से दी जा सकती है. इस तरह की बद-मेजबानी की परंपरा विकसित न हो, इसके लिए सार्क देशों को कोड ऑफ़ कंडक्ट तय करना चाहिए. आखिर, आप किसी को अपने घर बुलाते हो, उसे खाने पर बुलाते हो और खुद कहीं और निकल जाते हो, इसे किस कटगरी में रखा जाना चाहिए? अगर किसी संगठन में दूसरे देशों के डेलिगेशन के साथ आप बदतमीजी से पेश आते हो, तो फिर इससे साफ जाहिर होता है कि आप किसी सम्मलेन की मेजबानी करने योग्य नहीं (Rajnath Singh in Pakistan, SAARC Meeting 2016, Hindi Article) हो. हालाँकि, जिस तरह से भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को बेनक़ाब किया, उसकी तारीफ़ विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी की है, तो पाकिस्तान में जिस प्रकार उनके भाषणों की कवरेज पर रोक लगाई गयी, उससे उसकी तिलमिलाहट साफ़ तौर पर ज़ाहिर होती है. सार्क देशों को आगे से यह भी तय करना होगा कि क्या ऐसी किसी बैठक में पत्रकारों को मेजबान देश प्रतिबंधित कर सकता है, जिस प्रकार का दुराचरण पाकिस्तान द्वारा एएनआई और दूसरे भारतीय एजेंसियों नके पत्रकारों को रोककर दिखलाया गया.
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इस क्रम में कुछ और घटनाक्रम हुए, जिस पर निगाह डालना उचित रहेगा. आतंकवादी बुरहान वानी के मौत को लेकर कश्मीर में हो रहे उपद्रव के पीछे पाकिस्तान का हाथ है ये तो स्पष्ट तौर पर सबको दिखाई दे रहा है, क्योंकि उसी के द्वारा संरक्षित आतंकवादी सरगना हाफ़िज़ सईद ने खुले तौर पर ये बात कही है कि बुरहान के जनाज़े का नेतृत्व हिज़्बुल के लोगों के द्वारा किया जा रहा था. पाकिस्तान के स्टेट प्रायोजित आतंकवाद के साये में इस बीच दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन का आयोजन इस बार पाकिस्तान में था, जिसमें हिस्सा लेने भारत की तरफ से गृहमंत्री राजनाथ सिंह पाकिस्तान पहुंचे. हालाँकि, पाकिस्तानी सरकार के समर्थन से उनके दौरे का पाकिस्तान में हाफ़िज़ सईद जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी विरोध कर रहे थे. हालाँकि, सम्मलेन की गरिमा रखते हुए इन सबके बावजूद इसके राजनाथ सिंह सार्क मीटिंग में भाग लेने पाकिस्तान गए और वहां उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करके पाकिस्तान ने खुद अपने ही मुंह पर कालिख पोती है (Rajnath Singh in Pakistan, SAARC Meeting 2016, Summit in Islamabad). ऐसे में, सम्मलेन ख़त्म होते ही राजनाथ सिंह ने बिना भोजन किये, भारत आने का सही फैसला किया. एक तटस्थ सम्मलेन में राजनाथ सिंह के भाषण को किसी भी चैनल पर नहीं दिखाया गया और गृहमंत्री की स्पीच को 'ब्लैकआउट' किया गया, जो पूरी तरह 'प्रोटोकॉल' का उल्लंघन ही है. यहाँ तक कि भारत से गए एएनआई, पीआईबी और डीडी के रिपोर्टर्स को अंदर जाने से रोक दिया गया था. पाकिस्तान ने केवल आज नहीं, बल्कि हमेशा ही सिद्ध किया है कि उसका कोई स्तर नहीं है, किन्तु उस 'सड़ी मछली' की मानसिकता से बाकी देश क्यों दूषित होने चाहिए?
इस मुद्दे को भारत को हल्के में नहीं लेना चाहिए और इस बात की व्यवस्था करनी चाहिए कि संगठन में पाकिस्तान के इस असभ्य कदम की जवाबदेही तय हो! खैर, हमारे गृहमंत्री को जो बात सार्क देशों के सदस्यों को पहुंचानी थी, वो उन्होंने पंहुचा दिया. अपने भाषण में उन्होंने आतंकवाद के समर्थन का पुरजोर विरोध किया और स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद बुरा या अच्छा नहीं होता, तो किसी एक देश का आतंकवादी दूसरे देश के लिए कभी भी शहीद नहीं हो सकता. इन सबके बीच सबसे अहम बात, जो भारतीय गृहमंत्री ने उठाई वो ये कि सिर्फ आतंकवाद की आलोचना से कुछ नहीं होने वाला, बल्कि उसे समर्थन देने वाले देशों के प्रति भी सख्त करवाई की जरुरत (Rajnath Singh in Pakistan, SAARC Meeting 2016, Summit in Islamabad, Hindi Article, New, Terrorist Country Pakistan) है. पाकिस्तान में खड़े होकर जिस तरह राजनाथ सिंह ने यह बात कहने की हिम्मत की, उसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं. पाकिस्तान से लौटने के बाद जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में सार्क सम्मेलन में स्वयं द्वारा उठाई गई बातों से देश को अवगत कराया तो, हमारे यहाँ सभी दलों ने खुल कर एक सुर में राजनाथ सिंह की प्रसंसा की और पाकिस्तान के रवैये की निंदा की.
इस क्रम में, राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि उन्होंने आतंकवाद को लेकर सार्क देशों के सामने कई बातें रखीं, जैसे भारत में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर उठाए जा रहे 'आपरेशन स्माइल' जैसे कदम, तो भारतीय सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा. राजनाथ सिंह ने सार्क देशों के गृहमंत्रियों को आतंकवाद के खिलाफ मुहिम चलाने की बात कही और प्रत्यर्पण के लिए कड़े नियम बनाए जाने की वकालत भी की. हालाँकि, भारतीय सदन में पाकिस्तान के गैर-जिम्मेदार रवैये, जिसमें मीडिया का प्रवेश रोकना शामिल है, उसको लेकर सार्क देशों से ऑफिशियल शिकायत दर्ज कराने की बात भी होनी चाहिए थी. आखिर, एक सड़ी मछली ही तो पूरे तालाब को गन्दा करती है और ऐसे में पाकिस्तान को मनमाना रवैया अख्तियार करने की छूट किसी कीमत पर नहीं दी जानी चाहिए. इसी में सभी देशों की भलाई है तो आतंकवाद पर रोक के रास्ते में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है.
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