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रावण - Ravan, Hindi, Short Story, Mithilesh Anbhigya



डॉक्टर मेरा बच्चा और कितने दिन हॉस्पिटल में रहेगा...
हफ्ता गुजर जाने के बाद व्यग्रता से ब्रजेश ने अपने बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर से पूछा!
देखिये, अभी आपके बच्चे का रोग तो ठीक हो गया है, लेकिन हफ्ते भर और देखेंगे ताकि आश्वस्त हो सकें(Ravan, Hindi, Short Story, Mithilesh Anbhigya).
सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में प्रतिदिन बढ़ते बिल से परेशान ब्रजेश डॉक्टर के इस उत्तर से निराश हो गया, क्योंकि हफ्ते भर और का मतलब पचास हज़ार से कहीं ज्यादा था, किन्तु वह कर भी क्या सकता था.
काफी देर बाद उसी हॉस्पिटल के दूसरे डॉक्टर ने ब्रजेश को शाम में बुलाया और धीरे से कहा कि आप अपने बच्चे को घर ले जा सकते हैं, वह बिलकुल ठीक है. 
मतलब ..
मतलब ... कुछ बातें बिना कहे ही समझ लीजिये, हॉस्पिटल इंडस्ट्री अब एक बिजनेस-इंडस्ट्री बन चुकी है!
डॉक्टर तो भगवान का रूप होते हैं, ब्रजेश के मुंह से बरबस ही निकल पड़ा!
सभी नहीं  ...  धीरे से जवाब मिला.
तब तक बाहर से पटाखों की आवाज आने लगी तो ब्रजेश को याद आया, आज तो दशहरा है, रावण-दहन का दिन !! Ravan, Hindi, Short Story, Mithilesh Anbhigya
तो फिर भगवान और रावण में आज कोई अंतर है, हॉस्पिटल की खिड़की से आतिशबाजियों को देखते हुए ब्रजेश सोच रहा था ...
शायद नहीं, या शायद हाँ ... हाँ, ना, हाँ के बीच उलझा सा!

- मिथिलेश  'अनभिज्ञ'.




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