फ़ॉरवर्ड किए गए संदेशों को ध्यान से देखें
आपको मिलने वाले संदेशों पर "फ़ॉरवर्ड किया गया" लेबल लगा होता है, जिससे आपको जानने में आसानी होती है कि आपको मिलने वाला संदेश आपके दोस्त या परिवारजन ने लिखा है या फिर किसी अन्य व्यक्ति ने. जब आपको पता न हो कि आपको मिलने वाला संदेश असल में किसने लिखा है तो ऐसे में संदेशों की अच्छे से जाँच करके पता लगाएँ कि वह संदेश सच है या नहीं.
वैसे भी मेसेज-फॉरवर्ड करने में जल्दबाजी क्यों दिखलाना?
फ़ोटो और वीडियो पर जल्द ही यकीन न करें
फ़ोटो, ऑडियो और वीडियो आपको बहकाने के लिए भी भेजे जाते हैं, उनमें दिखाया गया हमेशा सच नहीं होता. अगर खबर सच्ची होगी तो अवश्य ही किसी न्यूज़ चैनल या रेडियो पर भी दिखाई या सुनाई जाएगी, इसलिए खबर की सच्चाई का पता लगाएँ. जब एक खबर कई जगह छपती है, तो उसके सच होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं.
इसके लिए आप उस सन्देश की टाइटल को गूगल में डालें और वहां से आपको अंदाजा लग जायेगा कि वाकई कुछ उसमें 'सच्चाई' है अथवा नहीं!
थोडे अलग दिखने वाले संदेशों से सावधान रहें
आपको मिलने वाले संदेशों या वेबसाइट्स के लिंक में अगर गलत स्पैलिंग होती है तो उनमें शामिल खबर झूठी होती है. इन संकेतों को देखें ताकि आप पता लगा सकें कि जानकारी सही है या नहीं. संदिग्ध लिंक अक्सर आपको गलत जगह पर ले जाता है.
खासकर नफरत फ़ैलाने वाले संदेशों मसलन धर्म के नाम पर नफ़रत, जाति के नाम पर नफरत से बेहद सावधान रहें.
किसी भी बात पर जल्द विश्वास न करें
ऐसी जानकारी से बचें जो आपकी पूर्ववर्ती मान्यताओं की पुष्टि करती है और किसी भी जानकारी को शेयर करने से पहले तथ्यों की अच्छे से जाँच कर लें. वे बातें जिन पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल होता है वे अक्सर झूठी होती हैं.
इस बात का अर्थ कुछ यूं समझ सकते हैं कि आपके मन-मस्तिष्क को पढ़कर कुछ लोग जान- बूझकर ऐसे नफरती सन्देश भेजते हैं, जिन पर एकबारगी यकीन करने को मन करता है, किन्तु अंततः वह झूठी होती हैं.
अफ़वाहें जल्दी फैलती हैं
ऐसा ज़रूरी नहीं है कि अगर संदेश कई बार शेयर किया जाए तो वह सच हो, कई बार अफ़वाहें ज़्यादा फ़ैलती हैं. सिर्फ़ इसलिए संदेश फ़ॉरवर्ड न करें क्योंकि संदेश भेजने वाला आपसे संदेश को शेयर करने के लिए बार-बार कह रहा है, सोच-समझकर संदेश को फ़ॉरवर्ड करें.
बल्कि जिस मेसेज को शेयर करने की ज्यादा रिक्वेस्ट की जाए, उसे बेहद सावधानी से जांचें, क्योंकि ऑनलाइन दुनिया में अफवाहों को फैलने में देर नहीं लगती है.
अगर आपको किसी ने ऐसा संदेश भेजा है जो आपको लगे कि सच नहीं है, तो जिसने आपको वह संदेश भेजा है उससे संदेश के सच होने का प्रमाण माँगें और अगर वह आपको संदेश के सच होने का प्रमाण न दे सकें तो उन्हें ऐसे संदेश भेजने से मना करें. अगर कोई समूह में या कोई व्यक्ति बार-बार अफ़वाहें या झूठी खबरें भेजता है, तो उसकी रिपोर्ट करें. इस लेख में से जानें कि उस व्यक्ति या समूह की रिपोर्ट कैसे कर सकते हैं.
(Original Post from Whatsapp)
Presented by - मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
आपको मिलने वाले संदेशों पर "फ़ॉरवर्ड किया गया" लेबल लगा होता है, जिससे आपको जानने में आसानी होती है कि आपको मिलने वाला संदेश आपके दोस्त या परिवारजन ने लिखा है या फिर किसी अन्य व्यक्ति ने. जब आपको पता न हो कि आपको मिलने वाला संदेश असल में किसने लिखा है तो ऐसे में संदेशों की अच्छे से जाँच करके पता लगाएँ कि वह संदेश सच है या नहीं.
वैसे भी मेसेज-फॉरवर्ड करने में जल्दबाजी क्यों दिखलाना?
फ़ोटो और वीडियो पर जल्द ही यकीन न करें
फ़ोटो, ऑडियो और वीडियो आपको बहकाने के लिए भी भेजे जाते हैं, उनमें दिखाया गया हमेशा सच नहीं होता. अगर खबर सच्ची होगी तो अवश्य ही किसी न्यूज़ चैनल या रेडियो पर भी दिखाई या सुनाई जाएगी, इसलिए खबर की सच्चाई का पता लगाएँ. जब एक खबर कई जगह छपती है, तो उसके सच होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं.
इसके लिए आप उस सन्देश की टाइटल को गूगल में डालें और वहां से आपको अंदाजा लग जायेगा कि वाकई कुछ उसमें 'सच्चाई' है अथवा नहीं!
थोडे अलग दिखने वाले संदेशों से सावधान रहें
आपको मिलने वाले संदेशों या वेबसाइट्स के लिंक में अगर गलत स्पैलिंग होती है तो उनमें शामिल खबर झूठी होती है. इन संकेतों को देखें ताकि आप पता लगा सकें कि जानकारी सही है या नहीं. संदिग्ध लिंक अक्सर आपको गलत जगह पर ले जाता है.
खासकर नफरत फ़ैलाने वाले संदेशों मसलन धर्म के नाम पर नफ़रत, जाति के नाम पर नफरत से बेहद सावधान रहें.
किसी भी बात पर जल्द विश्वास न करें
ऐसी जानकारी से बचें जो आपकी पूर्ववर्ती मान्यताओं की पुष्टि करती है और किसी भी जानकारी को शेयर करने से पहले तथ्यों की अच्छे से जाँच कर लें. वे बातें जिन पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल होता है वे अक्सर झूठी होती हैं.
इस बात का अर्थ कुछ यूं समझ सकते हैं कि आपके मन-मस्तिष्क को पढ़कर कुछ लोग जान- बूझकर ऐसे नफरती सन्देश भेजते हैं, जिन पर एकबारगी यकीन करने को मन करता है, किन्तु अंततः वह झूठी होती हैं.
अफ़वाहें जल्दी फैलती हैं
ऐसा ज़रूरी नहीं है कि अगर संदेश कई बार शेयर किया जाए तो वह सच हो, कई बार अफ़वाहें ज़्यादा फ़ैलती हैं. सिर्फ़ इसलिए संदेश फ़ॉरवर्ड न करें क्योंकि संदेश भेजने वाला आपसे संदेश को शेयर करने के लिए बार-बार कह रहा है, सोच-समझकर संदेश को फ़ॉरवर्ड करें.
बल्कि जिस मेसेज को शेयर करने की ज्यादा रिक्वेस्ट की जाए, उसे बेहद सावधानी से जांचें, क्योंकि ऑनलाइन दुनिया में अफवाहों को फैलने में देर नहीं लगती है.
अगर आपको किसी ने ऐसा संदेश भेजा है जो आपको लगे कि सच नहीं है, तो जिसने आपको वह संदेश भेजा है उससे संदेश के सच होने का प्रमाण माँगें और अगर वह आपको संदेश के सच होने का प्रमाण न दे सकें तो उन्हें ऐसे संदेश भेजने से मना करें. अगर कोई समूह में या कोई व्यक्ति बार-बार अफ़वाहें या झूठी खबरें भेजता है, तो उसकी रिपोर्ट करें. इस लेख में से जानें कि उस व्यक्ति या समूह की रिपोर्ट कैसे कर सकते हैं.
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Disclaimer: इस पोर्टल / ब्लॉग में मिथिलेश के अपने निजी विचार हैं, जिन्हें तथ्यात्मक ढंग से व्यक्त किया गया है. इसके लिए विभिन्न स्थानों पर होने वाली चर्चा, समाज से प्राप्त अनुभव, प्रिंट मीडिया, इन्टरनेट पर उपलब्ध कंटेंट, तस्वीरों की सहायता ली गयी है. यदि कहीं त्रुटि रह गयी हो, कुछ आपत्तिजनक हो, कॉपीराइट का उल्लंघन हो तो हमें लिखित रूप में सूचित करें, ताकि तथ्यों पर संशोधन हेतु पुनर्विचार किया जा सके. मिथिलेश के प्रत्येक लेख के नीचे 'कमेंट बॉक्स' में आपके द्वारा दी गयी 'प्रतिक्रिया' लेखों की क्वालिटी और बेहतर बनाएगी, ऐसा हमें विश्वास है.
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