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भारतीय क्रिकेट-प्रशासन में 'गांगुली-युग' की शुरुआत

Ganguly Era in Indian Cricket Administration (Pic: sify)
भारतीय क्रिकेट में सौरभ गांगुली (Sourav Ganguly) का योगदान निश्चित रूप से अविस्मरणीय रहा है. परन्तु, सौरभ गांगुली के फैंस को हमेशा से यह लगा है कि यह महान खिलाड़ी जिस सम्मान और प्रसिद्धि का हकदार था, संभवतः उसे नहीं मिला. हालाँकि, इसका दोष किसी को नहीं दिया जा सकता है, बल्कि इसके पीछे उनकी डेस्टिनी को माना जा सकता है. ज़ाहिर तौर पर सौरभ गांगुली को भारतीय क्रिकेट-प्रशासन की सर्वोच्च जिम्मेदारी मिलनी शेष थी और इसीलिए सक्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बावजूद सौरभ गांगुली क्रिकेट-प्रशासन (indian Cricket Administration) में लगातार सक्रीय रहे!

इस अवसर पर शायद ही सौरभ गांगुली का कोई फैन हो जिसको आत्मिक ख़ुशी न मिली हो और मिले भी क्यों न, आखिर भारतीय-क्रिकेट को अर्श पर पहुंचाकर, विदेशों में उसे सम्मान दिलाकर प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित करने वाले सौरभ गांगुली ही तो हैं!
बहरहाल, बीसीसीआई अध्यक्ष (BCCI Chief) का पद सौरभ के लिए सम्मान के साथ-साथ एक बड़ी चुनौती भी है.

चूंकि भारतीय क्रिकेट प्रशासन ने बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं. जिस प्रकार से आईपीएल के माध्यम से भारतीय क्रिकेट में पैसों की बरसात शुरु हुई, उसी रफ्तार से भारतीय क्रिकेट में विवाद भी शुरू हो गए थे.
वह विवाद चाहे मैच-फिक्सिंग के हों, या फिर वह विवाद क्रिकेट प्रशासन में उथल-पुथल से संबंधित रहे हों, सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों से क्रिकेट-संस्था के प्रभावित होने के मामले हों... यह सभी अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहे हैं.

कुछ साल पहले तक क्रिकेट प्रशासन में एन श्रीनिवासन का गुट बेहद शक्तिशाली गुट माना जाता था (संभवतः आज भी है), उस गुट को सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद क्रिकेट प्रशासन की सत्ता छोड़नी पड़ी थी और तत्पश्चात एक बार पुनः धुरंधर क्रिकेट प्रशासक जगमोहन डालमिया, शशांक मनोहर और अनुराग ठाकुर इत्यादि ने विश्व की सबसे धनी खेल संस्था बीसीसीआई को अलग-अलग समय पर चलाने की कोशिश की.
हालांकि श्रीनिवासन-युग के बाद एक तरह से बीसीसीआई अस्थिर ही रहा. अब जबकि सौरव गांगुली का बीसीसीआई का अध्यक्ष बनना तय हो गया है, तब उम्मीद की जा रही है कि क्रिकेट प्रशासन में सुधार आएगा. हालाँकि, सौरव गांगुली का कार्यकाल बहुत लंबा नहीं रखा गया है, लेकिन सौरभ गांगुली को जानने वाले लोग इस बात को समझते हैं कि क्रिकेट में अपनी दादागिरी से भारतीय टीम की धाक देश के बाहर सेट करने वाले सौरव गांगुली क्रिकेट प्रशासन में भी अपनी दादागिरी से आमूलचूल बदलाव लाएंगे.

इस बात में कोई शक नहीं है कि सौरभ गांगुली के नेतृत्व में 2003 में जब भारतीय टीम क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी, तब हर एक भारतीय को उम्मीद थी कि देश में 1983 के बाद दूसरा विश्व कप आएगा. हालांकि फाइनल में अच्छा खेल न दिखाने के कारण भारतीय टीम हार गई, लेकिन सौरभ गांगुली के द्वारा टीम में लाई गयी स्पिरिट बनी रही और उसी का नतीजा रहा कि एक से बढ़कर एक भारतीय खिताब इंडियन टीम की झोली में आये और 2011 में तो क्रिकेट विश्व कप भी भारत की झोली में आया.

सौरव गांगुली की कोर क्रिकेटीय उपलब्धियों की बात करें तो विदेशों में जीतना अगर टीम इंडिया ने सीखा तो उसका श्रेय सौरभ गांगुली को निर्विवाद रूप से दिया जाता है. कहते हैं, उनसे पहले भारतीय खिलाड़ी विदेश में आत्मविश्वासी नज़र नहीं आते थे.
2002 में चैंपियंस ट्रॉफी का कप श्रीलंका के साथ संयुक्त रूप से सौरव गांगुली ने उठाया तो 2002 में नैटवेस्ट सीरीज की जीत, जिसमें गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी में अपनी कमीज निकालकर लहराते हुए दुनिया को बता दिया था कि अब भारतीय क्रिकेट बैकफुट पर नहीं रहेगा.
गौरतलब है कि अपनी कमीज निकालकर गांगुली ने फ़्लिंटॉफ़ द्वारा भारत में किये गए ऐसे ही कृत्य के फलस्वरूप अपनी प्रतिक्रिया दी थी!

गांगुली की व्यक्तिगत उपलब्धियां भी कम नहीं हैं. 1996 में लॉर्ड्स से अपना टेस्ट कैरियर इन्होंने शुरू किया था और पहले टेस्ट में ही इन्होंने सेंचुरी लगाकर अपना इरादा जाहिर कर दिया था. टीम इंडिया को 20 से अधिक टेस्ट मैचों में जीत दिलाने वाले पहले कप्तान के रूप में सौरव गांगुली का नाम दर्ज है.
वनडे क्रिकेट की बात करें तो सबसे तेज 6000 रन पूरा करने के मामले में यह बल्लेबाज पांचवें स्थान पर आज भी काबिज है, वहीं सबसे तेज 10000 रन पूरा करने वाले विश्व भर के बल्लेबाजों में गांगुली तीसरे नंबर पर हैं. उनसे आगे भारत के ही दो बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली हैं.

टीम-प्लेयर के रूप में सौरव गांगुली ने हमेशा ही अपने साथी खिलाड़ियों को प्रमोट किया है, उन्हें आगे लाया है. सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर के नाम सबसे ज्यादा रनों की साझेदारी का वर्ल्ड रिकॉर्ड आज भी कायम है. उन दोनों ने लगभग 176 वनडे पारियों में 8227 रनों की साझेदारी की है, वहीं राहुल द्रविड़ के साथ सौरव गांगुली ने वन डे की चौथी सबसे बड़ी साझेदारी की है जो 318 रनों की है. एकदिवसीय क्रिकेट में छक्का लगाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में सौरव गांगुली दसवें नंबर पर आज भी कायम हैं. वन डे में तकरीबन 31 बार "मैन ऑफ द मैच" रह चुका यह महान खिलाड़ी अब जब क्रिकेट प्रशासन में आया है, तब यह उम्मीद की जा रही है कि अपने उसी तेवर और उसी उत्साह के साथ भारतीय क्रिकेट का रूप भी बदलेगा. फिर प्रतिभावान खिलाड़ियों को मौका मिलने के साथ-साथ भारतीय क्रिकेट अपने स्वर्ण युग की ओर आगे बढ़ेगा.

हालांकि सौरभ गांगुली के सामने कई सारी चुनौतियां भी हैं, जिसमें उनकी प्रशासकीय क्षमता की परीक्षा होनी है. उन्हें लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के बारे में भी ध्यान रखना होगा जिसने बीसीसीआई के ढांचे और संविधान को लेकर प्रश्नचिन्ह उठाए थे. इसके अतिरिक्त बीसीसीआई के 30 पूर्णकालिक सदस्यों में सेना, रेलवे और दूसरे कई राज्यों के सदस्यों में असमानता का मुद्दा भी लोढ़ा कमेटी ने उठाया था. जाहिर तौर पर इसके अतिरिक्त क्रिकेट में भ्रष्टाचार का मुद्दा हमेशा ही प्रमुख बना रहा है, उस पर भी सौरभ गांगुली को ध्यान देना होगा.

The Powerful BCCI (Pic: moneycontrol)

खुद सौरभ गांगुली इस बात को स्वीकार करते हैं कि पिछले कई सालों से बीसीसीआई की खराब हालत को सुधारना एवं फर्स्ट क्लास क्रिकेटर्स की हालत ठीक करना उनकी प्राथमिकता है. इसके अलावा इंडियन क्रिकेट में हितों का टकराव (कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट) एक बड़ा मुद्दा बन गया है और गांगुली इस पर विशेष ध्यान देकर इसे सुलझाने का प्रयत्न करेंगे.
इसके अलावा बंगाल टाइगर ने खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं, उनकी आर्थिक सुरक्षा एवं क्रिकेट-प्रशासन में उनकी सक्रीय सहभागिता पर भी पर्याप्त ध्यान देने की बात कही है.
ज़ाहिर तौर पर चुनौतियों की तरफ दादा का ध्यान बखूबी है.

इसके अतिरिक्त बीसीसीआई में गांगुली के अध्यक्ष बनने से पहले गुटबाजी की जो बातें आई थी जिसमें एन श्रीनिवासन गुट के साथ-साथ अनुराग ठाकुर का ग्रुप भी है. उन सभी में सामंजस्य बनाना भी गांगुली के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है.
वैसे सौरव गांगुली को जानने वाले इस बात को जानते हैं कि यह महान खिलाड़ी किसी कीमत पर हार नहीं मानता है और यह इसे अपने कैरियर में बार-बार साबित भी कर चुका है. उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय क्रिकेट प्रशासनिक दृष्टि से भी बेहद मजबूती से सामने आने वाला है.
फिलहाल तो सौरव गांगुली को नई क्रिकेट जिम्मेदारी की शुभकामनाएं दी जानी चाहिए और उम्मीद की जानी चाहिए एक भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी भारतीय क्रिकेट-प्रशासन की और तभी भारतीय क्रिकेट की असल उत्कृष्टता समूचे विश्व को दिख सकेगी.

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




Web Title: Ganguly Era in Cricket Administration, Saurabh Ganguly, Indian Cricketers

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