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गालियों के सहारे यूपी फतह की कोशिश में हैं राजनेता - UP Election 2017, Hindi Article, Slazing in Politics



किसी का काम बोलता है, तो किसी को साथ पसंद है. वहीं कोई सबके साथ में विकास की बात करता है तो कोई दलितों के उद्धार की बात करता है. समस्या यह है कि यह 'अच्छी बातें' सिर्फ बैनर - पोस्टरों तक ही सीमित रह गयी हैं, क्योंकि यूपी में चुनाव के अंतिम फेज तक आते आते नेताओं ने नया ट्रेंड पकड़ लिया है और वो है एक दूसरे पर कीचड़ उछालना. न केवल कीचड़ उछालना, बल्कि इतनी घटिया भाषा का प्रयोग करना जिसको सुनकर आश्चर्य होता है कि क्या ये वही नेता हैं जो हमारा प्रतिनिधित्व करेंगें? क्या यही सदन में बैठकर हमारी बेटी बहनों की सुरक्षा का इंतजाम करेंगे? या हमारे बच्चों के भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करने का जिम्मा हम इन्हें ही देने वाले हैं? इन ओछी बातों को ये नेता लोग इतनी सरलता और आत्मविश्वास के साथ करते हैं जैसे जनता निरी मूर्ख हो और उसे ऐसी बातें आसानी से सुनायी जा सकती हैं. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ यूपी के चुनाव में हो रहा है, बल्कि बिहार चुनाव में भी भाषा की अश्लीलता का भरपूर नज़ारा देखने को मिला था. इसी कड़ी में कुछ दिन पहले की बात है बीजेपी के एक लोकल नेता दयाशंकर सिंह ने एक रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अपशब्द कहे थे, जिसकी चहुंओर निंदा हुई. पर दूसरे पक्ष का निंदा से काम चल जाए तो फिर बात ही क्या? 'बहनजी' की चापलूसी में बसपा के कुछ नेता इतने गिर गए कि उन्होंने शब्दों की हर एक मर्यादा तोड़ दी! उन्माद ऐसा बढ़ा कि ये नेता इंसाफ भूल दयाशंकर सिंह कि माँ -बेटी एक करने लगे. अब तक लोगों की सांत्वना बटोर रहीं 'बहन जी' अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की वजह से जनता के टारगेट पर आ गयी थीं. ऐसा सिर्फ एक उदाहरण नहीं है बल्कि ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में गालियों का फ्री स्टाइल मुकाबला हो रहा है, जिसमें हर कोई एक दूसरे को चित्त करने की कोशिश में लगा है. उन्माद, साम्प्रदायिकता भड़काने से लेकर बकवासबाजी की कई ऐसी विधाएं दिखी हैं,  जिनका ज़िक्र साहित्य की पुरानी किताबों में भी शायद ही मिले. UP Election 2017, Hindi Article, Slazing in Politics
पीएम बनाम यूपी सीएम
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हमारे प्रधानमंत्री बातों के कितने धनी हैं ये बताने की जरुरत नहीं है, वाट्सएप्प, फेसबुक और ट्विटर के जोक्स का सारा कलेक्सन है इनके पास. अपने चुटीले अंदाज में जब ये विरोधियों पर कटाक्ष करते हैं, तो इनके समर्थक जिन्हें नया नाम 'अंधभक्त' मिला हुआ है, झूम उठते हैं. अभी हाल ही में यूपी के फतेहपुर में पीएम मोदी ने अखिलेश सरकार में कब्रिस्तानों की बाउंड्रीवाल और रमजान में 24 घण्टे बिजली जबकि दिवाली के दिन भी बिजली गायब रहने की बात उठाकर भाजपा का पुराना दांव चल दिया तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तड़प उठे. अपने शासन काल में हुए अपराधों की बढ़ोतरी के आरोपों को झेल रहे जैसे-तैसे सत्ता में दोबारा आने की आस लगाए अखिलेश भी आनन् -फानन में अमिताभ बच्चन से अपील कर बैठे कि वो 'गुजरात के गधों' का प्रचार करना बंद कर दें. अखिलेश का यह तीर 'निशाने' पर लगा और पीएम मोदी अपनी अगली सभा में 'गधा पुराण' पर चर्चा करते नज़र आये. अब जब पीएम और सीएम ही लड़ाई में लगे हों तो फिर सिपाहियों की बात कौन करें! किन्तु, फिर भी कुछ धुरंधरों के बयानों पर गौर किया जाना आवश्यक हैं. UP Election 2017, Hindi Article, Slazing in Politics

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बीजेपी यहाँ भी है 'लीडर'
बीजेपी के एक नेता धौलाना विधानसभा सीट से प्रत्याशी रमेश चन्द्र तोमर का जवाब नहीं! अपने चुनावी रैली में उन्होंने धमकाते हुए कहा था कि 'यूपी के धौलाना को मौलाना विधानसभा' नहीं बनने देंगे. ऐसे ही केंद्रीय मंत्री सुरेश बालियान तो मुलायम सिंह यादव के मरने की भविष्यवाणी तक कर बैठे. अपने इस बयान की सफाई में बालियान ने कहा कि सपा के शासन में यूपी ने बुरा राज देखा है. मुलायम ने हमेशा सांप्रदायिकता की राजनीति की है. मैं उनसे कहना चाहुंगा कि अब तो मरने का समय आ गया है. हद है भाई अगर मुलायम सिंह यादव ने साम्प्रदायिकता की राजनीति की है तो जनता इसका जवाब देगी, लेकिन आपको किस ने अधिकार दे दिया सजा सुनाने का, वह भी मरने का? बीजेपी विधायक सुरेश राणा ने तो खुलेआम ऐलान कर दिया कि अगर बीजेपी की सरकार बनी तो कैराना, देवबंद और मुरादाबाद में कर्फ्यू लगा दिया जाएगा. जाहिर है मामले को गरमाने और ध्रुवीकरण की कोशिशों को परवान चढाने की कोशिशें खूब की गयी हैं. 
बीजेपी के राज्यसभा सांसद विनय कटियार का बयान तो आप लोगों  को याद ही होगा, जिसमें उन्होंने प्रियंका गाँधी को टक्कर देने के लिए बीजेपी की सुन्दर महिला कार्यकर्ताओं और अभिनेत्रियों को मैदान में उतारने की बात तक कर डाली. अब इन नेताओं से उम्मीद करना कि ये 'महिला सम्मान' को जारी रखेंगे, बेमानी ही है. 
यही नहीं अपने काम और प्रशासन के लिए जाने -जाने वाले शिवराज चौहान भी यूपी की बदली आबो-हवा से नहीं बच पाए और उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करते हुए कह डाला कि 'आजम खान ऐसे नेता हैं कि उनका नाम ले लूं तो नहाना पड़ता है'. खैर आज़म खान खुद ऐसे नेता हैं जिन्हें दूसरों के ऊपर कीचड़ उछालने में महारथ हासिल है. अब जब गंगा ही बह रही है तो बीजेपी के फायरब्रांड नेता और गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ की चर्चा न हो ऐसा कैसे हो सकता है? एक चुनावी रैली में योगी आदित्यनाथ ने कह दिया कि यूपी की सरकार ने बहुसंख्यक समाज को जो पीड़ा दी है, इन पीड़ा देने वाले कुत्तों को कभी हम सत्ता में नहीं आने देंगे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को कश्मीर नहीं बनने देंगे. भाई, उत्तर प्रदेश कश्मीर बने न बने, किन्तु 'बदज़बानी का प्रदेश' जरूर बन गया है. UP Election 2017, Hindi Article, Slazing in Politics



बकवासबाजी में कड़ी टक्कर दे रही है समाजवादी पार्टी 
ऐसा नहीं है कि सिर्फ बीजेपी में ही बदजुबानी की बयार बही है बल्कि सपा नेता भी खूब जम कर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. सपा सरकार में मंत्री राम करन आर्या ने  बीजेपी को बड़ा राक्षस और कांग्रेस को छोटा राक्षस बताते हुए कहा कि छोटे राक्षसों से हाथ इसलिए मिलाया है कि बड़े राक्षस को रोक सकें! अब भैया, राक्षसों से यूपी की जनता पिछले पांच साल त्रस्त रही, हाईवे तक पर खुलेआम बलात्कार हुए, तो कम से कम समाजवादी पार्टी के नेता इस तरह की बातें न करें. वहीं समाजवादी पार्टी के ही वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी भी देश की सुरक्षा को लेकर इतने चिंतित नजर आये कि पीएम मोदी और अमित शाह दोनों को 'आतंकवादी' ही बता डाला. माने अदालतें आखिर किस लिए हैं अगर नेता ही 'आतंकवादी' और 'राक्षसों' का फैसला करने लगें?

बसपा क्यों रहे पीछे
अब जब सभी कर रहे हैं तो हम क्यों पीछे रहें की तर्ज़ पर बसपा के शूरमा भी अपनी तलवारे निकाल कर मैदान में कूद पड़े हैं. बिचारा चुनाव आयोग 'बेबसी' से नोटिफिकेशन जारी करता रहता है, किन्तु उसकी सुनता कौन है? बसपा के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दकी जिन्होंने दयाशंकर सिंह की बेटी डिमांड की थी, बाद में वह पीएम मोदी का लेखा-जोखा सुनाने लगे. उनका कहना है कि कभी मोदी धमकाने का भाषण देते हैं तो कभी सीना पीटने लगते हैं. कभी भाषण देते-देते ताली बजाने लगते हैं. गौरतलब है कि 'ताली बजाने' से उनका आशय कुछ और ही था. 
बीएसपी के ही एक और प्रत्याशी हाजी याकूब कुरैशी ने एक रैली में  बीजेपी का डर दिखाते हुए मुसलमानों  से अनुरोध किया है कि बीजेपी को रोको वरना बीजेपी तुमको रोजा नहीं रखने देगी, नमाज पढ़नी भी बंद हो जाएगी. हद हो गयी भाई, इन नेताओं के पास सत्ता में आने का एक मात्र रास्ता यही दिखता है कि भोली-भाली जनता को डरा कर उनका वोट हासिल किया जाये.

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इस तरह से देखें तो छोटे -बड़े कई सारे नेता जुबानी तीर का इस्तेमाल चुनाव के दरमियाँ कर रहे हैं. एक दूसरे की बखिया उधेड़ दो, जनता भी खुश हम भी खुश! किसी को अपने काम का हिसाब न देने का कितना बढ़िया रास्ता निकाला है हमारे नेताओं ने, जनता का सारा का सारा ध्यान दूसरों की कमियों को देखने में निकल जायेगा और इस तरह नेता फिर से पांच सालों के लिए सुरक्षित हो जायेंगे. वाकई... दांव तो जबरदस्त है, किन्तु उन्हें शायद पता नहीं है कि ये पब्लिक 'सब जानती है'.

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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