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अवसर में बदल रही हैं चुनौतियां - New hindi article on Indian republic day, 26 january, mithilesh kumar singh


ईमानदारी से देखा जाय तो व्यक्ति हों अथवा राष्ट्र कठिनाइयाँ, चुनौतियां सभी के जीवन का निश्चित रूप से अंग होती ही हैं. ऐसे समय जरूरत होती है पुरुषार्थ की जो चुनौतियों को अवसरों में बदलने का स्वप्न देख सके, उसकी योजना बना सके और उससे आगे बढ़कर उस पर अमल करने का ज़ज्बा अपनी टीम के साथ आम जनमानस में भी पैदा कर सके! 67 वें गणतंत्र के समय इस बात का बेहद सार्थक लक्षण दिख रहा है. आज जिस प्रकार आतंक समूचे विश्व के लिए चुनौती बना हुआ है और फ़्रांस समेत दुनिया के तमाम देश इस्लामिक स्टेट से परेशान नज़र आ रहे हैं, ऐसे में भारत के दशकों पुराने आतंकियों द्वारा दिए गए ज़ख्म को पूरी दुनिया समझ रही है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंक की इस चुनौती को बखूबी अवसर में बदल रहे हैं, जिसकी उम्मीद देश को उन्हें चुनते समय ही थी! गणतंत्र दिवस के ठीक पहले अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को कड़ी फटकार मिली, जिससे नवाज शरीफ तिलमिलाते हुए भारत द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर आतंकियों को न्यायिक कठघरे में खड़ा करने की बात कर रहे हैं तो फ़्रांस द्वारा 36 राफेल विमानों का सौदा भारतीय रक्षा-क्षेत्र के लिए बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है. राफेल पर डील फाइनल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सीमा की सुरक्षा से लेकर सोलर एनर्जी, स्मार्ट सिटी और न्यूक्लियर पावर तक की हमारी 18 साल की दोस्ती और मजबूत हुई है. जाहिर है चुनौतियों को अवसर में बदलने का इससे बेहतरीन नमूना भला दूसरा क्या हो सकता है! फ़्रांस के राष्ट्रपति के इस दौरे में एक और बेहद महत्वपूर्ण कार्य हुआ है जो इंटरनेशनल सोलर एलायंस के सेक्रेट्रिएट के उद्धाटन का है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि पिछले एक साल से सारी दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के लिए चिंता जता रही है. लेकिन भारत, अमेरिका और फ्रांस ने  इसके लिए इनोवेशन की तरफ कदम बढ़ाया है. मोदी ने कहा, 'किसी भी देश के विकास के लिए एनर्जी बेहद महत्वपूर्ण है. इन तीनों राष्ट्रों की कोशिश है कि ऐसे इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाए जो टिकाऊ, सस्ता और सबकी पहुंच में हो.' 

122 देशों का यह संगठन बनाएं जो सूर्य शक्ति से युक्त हैं. इसका मुख्यालय गुड़गांव में है लेकिन यह एक वैश्विक संगठन है जैसे WHO, UN पूरे विश्व के हैं वैसे ही ISA भी दुनिया के हित के लिए काम कर रहा है. वो देश जो छोटे-छोटे आइलैंड्स पर बसे हैं जिन्हें यह भय है कि समुद्र का पानी बढ़ा तो वे समाप्त हो जाएंगे, यह एलायंस उन्हें जीवन दान देगा. जाहिर है, ऐसे वैश्विक प्रयास ही भारत को अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व करने का साहस प्रदान करेगा! ऐसे समय जब पूरा देश जश्न-ए-गणतंत्र में डूबा हुआ है, हमें देशभक्ति का पाठ बार-बार दुहराने और अपनाने की आवश्यकता है. जो देश सदियों तक गुलाम रहा हो, उसके लिए आज़ादी और अपने कानून लागू होने से बड़ा जश्न और क्या हो सकता है भला! भारत जैसे देश में लगभग साल के 365 दिन ही जश्न होते रहते हैं, विविधता भरे त्यौहार, आचार-व्यवहार से यह पुरातन देश गुलज़ार रहता है, किन्तु बात जब 15 अगस्त और 26 जनवरी की आती है, तब देश के एक-एक व्यक्ति का माथा गौरव से चौड़ा हो जाता है. अपने देश के क्रांतिकारियों, आंदोलनकारियों के प्रति मन श्रद्धा से भर जाता है और उनके प्रति हमारा शीश स्वाभाविक रूप से झुक जाता है. ऐसे में यह बेहद आवश्यक है कि हम इस अवसर का उपयोग सजगता और तत्परता से करें, ताकि न केवल हमारा समग्र विकास सुनिश्चित हो, बल्कि हमारी छवि भी बाहरी दुनिया में समर्थ और सशक्त देश की बने. भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने अभिभाषण में कई प्रमुख मुद्दों का ज़िक्र किया, जिसे समझना अत्यंत आवश्यक आवश्यक है. गणतंत्र की चर्चा करते हुए महामहिम ने चार सिद्धांतों का ज़िक्र किया, जिनमें लोकतंत्र, धर्म की स्वतंत्रता, लैंगिक समानता तथा गरीबी के जाल में फंसे लोगों का आर्थिक उत्थान है, तो इसके साथ-साथ सरकार की जिम्मेदारी स्वच्छ, कुशल, कारगर, लैंगिक संवेदनायुक्त, पारदर्शी, जवाबदेह तथा नागरिक अनुकूल शासन प्रदान करने की है. इसी क्रम में राष्ट्रपति ने संसद में शिष्टतापूर्ण संवाद करने की नसीहत के साथ कानूनों को चर्चा के साथ पारित करने की अपील की तो देशवासियों को देशभक्ति के प्रति सचेत करते हुए महामहिम ने साफ़ कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, रवीन्द्रनाथ टैगोर, सुब्रह्मण्य भारती और अन्य बहुत से लोगों के व्यवसाय तथा नजरिए भले ही अलग-अलग रहे हों, परंतु उन सभी ने केवल राष्ट्र भक्ति की ही भाषा बोली. 

हम अपनी आजादी के लिए राष्ट्रीयता के इन महान योद्धाओं के ऋणी हैं और हम उन भूले-बिसरे वीरों को भी नमन करते हैं जिन्होंने भारत माता की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी. परंतु यह देखकर दु:ख होता है कि जब महिलाओं की हिफाजत की बात होती है तब उसके अपने बच्चों द्वारा ही भारत माता का सम्मान नहीं किया जाता. बलात्कार, हत्या, सड़कों पर छेड़छाड़, अपहरण तथा दहेज हत्याओं जैसे अत्याचारों ने महिलाओं के मन में अपने घरों में भी भय पैदा कर दिया है. जाहिर है राष्ट्रपति महोदय ने अपने इस अभिभाषण में उन समस्याओं के प्रति गहन चिंता प्रकट की, जिसने हमारे देश को बदनाम कर रखा है. इसके अतिरिक्त, आतंकवाद तथा हिंसा पर चिंता प्रकट करते हुए डॉ. मुखर्जी ने कहा कि यद्यपि शांति, अहिंसा तथा अच्छे पड़ोसी की भावना हमारी विदेश नीति के बुनियादी तत्त्व होने चाहिए, परंतु हम ऐसे शत्रुओं की ओर से गाफिल रहने का जोखिम नहीं उठा सकते जो समृद्ध और समतापूर्ण भारत की ओर हमारी प्रगति में बाधा पहुंचाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. आर्थिक पक्षों के प्रति राष्ट्रपति ने आश्वादिता से अपनी बातें कहीं, क्योंकि बाह्य सेक्टर की मजबूती, राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में प्रगति, कीमतों के स्तर में कमी, विनिर्माण क्षेत्र में वापसी के शुरुआती संकेत तथा पिछले वर्ष कृषि उत्पादन में कीर्तिमान, हमारी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत हैं. 2014-15 की पहली दोनों तिमाहियों में, पांच प्रतिशत से अधिक की विकास दर की प्राप्ति, 7-8 प्रतिशत की उच्च विकास दर की दिशा में शुरुआती बदलाव के स्वस्थ संकेत हैं. जाहिर है राष्ट्रपति ने आर्थिक दिशा पर सरकार को अच्छी ग्रेडिंग दी है. इसके साथ सारी जनता को शिक्षित तथा सूचना संपन्न बनाने के लिए राष्ट्रपति ने ज़िक्र किया, जिससे भारत निकट भविष्य में 21वीं सदी के ज्ञान क्षेत्र के अग्रणियों में अपना स्थान बना सके. अपने अभिभाषण के अंत में राष्ट्रपति महोदय ने सफाई का ज़िक्र करते हुए इसे सभ्य समाज का जरूरी अंग बताया. देखा जाय तो, राष्ट्रपति महोदय का यह पूरा भाषण अपने आप में देश की दिशा और दशा तय करने के लिए एक गाइड-मैप की तरह कार्य करेगा. अगर हम इन मुद्दों को बारीकी से समझें और गणतंत्र के अवसर का बेहतर उपयोग करें तो कोई कारण नहीं कि आने वाले समय में हमारा देश प्रत्येक मोर्चे पर उम्दा प्रदर्शन करेगा! हम देशवासियों को इस राष्ट्रीय पर्व की महत्ता समझने के लिए बहुत कुछ करने की बजाय, सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा बताये गए मार्ग को समझने भर की आवश्यकता है! अगर देश की एक अरब से ज्यादा जनता, सीधी भाषा में इतना भर भी समझ ले तो बेहद जल्द हम सभी भारतवासी विश्व के अग्रणी और सामर्थ्यवान नागरिकों में शामिल होंगे!

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