आजकल चिट्ठियों की बड़ी चर्चा है और हो भी क्यों न आखिर कंप्यूटर, स्मार्टफोन के युग में कोई 'चिट्ठी' लिखे तो यह बात 'एंटीक' सा लगता है और बड़े लोगों को तो वैसे भी 'एंटीक' चीजें पसंद होती हैं. चिट्ठियों का इतिहास हम देखते हैं तो इसे 'प्रेम-पत्र' के रूप में कहीं ज्यादा मान्यता प्राप्त रही है. मसलन कुछ साल पहले तक मजनूँ टाइप लड़के स्कूल/ कॉलेज-गोइंग लड़कियों को खूब चिट्ठी लिखा करते थे या फिर दूर सुदूर प्रदेश में कमाने वाले महबूब, गाँव में रहने वाली महबूबा को अंतर्देशीय-पत्रों के जरिये अपनी फीलिंग पहुंचाते थे.
यह 'चिट्ठी' कई बार पूरे मोहल्ले तक पहले और फिर आखिर में उनकी पत्नी तक पहुँच पाती थी. बाद में 'जवाबी-पत्र' में पत्नी लिखती थी कि चिट्ठी में 'गोंद' ठीक से लगाया कीजिये और ऐसी-वैसी बातें क्यों लिखते हैं जी, सब पढ़ लेते हैं!
देखा जाए तो आज के समय में चिट्ठियों का वही प्रारूप 'खुले-पत्र' के रूप में कुछ पत्रकार बंधुओं ने ज़िंदा रखा है. वैसे पत्र सामान्यतः वन-टू-वन कम्युनिकेशन का ज़रिया बनते रहे हैं, किन्तु 'गोंद' न लगने की वजह से हमारी व्यक्तिगत फीलिंग कई बार 'भद्दे' रूप में सबके सामने आ जाती है. 'भद्दे रूप' का प्रयोग इसलिए, क्योंकि 'पत्र-लेखन' में हम लिखते तो अपनी समझ और शब्दों से हैं, किन्तु उसका अर्थ सामने वाला अपनी समझ से निकालता है. खुले-पत्रों में तो मामला और भी गम्भीर हो जाता है, क्योंकि कई खुल-खुलकर चटकारे लेते हैं तो कइयों द्वारा जवाबी-पत्र भी लिख दिया जाता है.
इसे भी पढ़ें: 'वेबसाइट' न चलने की वजह से आत्महत्या ... !!!
अब 'शिकायती-पत्रों' द्वारा अपनी बेवफाई का ढिंढोरा पीटने वाले इस बात को कहाँ समझते हैं कि 'शिकायतें' तो दूसरों के पास भी हैं.
पर ख़ूबसूरती देखिये 'प्रेम-पत्रों' की, जिसमें प्रेमी शिकायत करता है कि तुम देर से मिलने आती हो, तो प्रेमिका शिकायत करती है कि तुम्हें तो मेरी याद ही नहीं आती, केवल प्रेम का दिखावा करते हो! यह अलग बात है कि शिकायतों, गिले-शिकवों का दौर चलता रहता है और इसके साथ प्रेम भी प्रगाढ़ होता जाता है. पर चलते-चलते कई बार बेवजह की खुन्नस चढ़ जाती है कइयों को, और प्रेम-पत्र का भाव 'हेट-स्टोरी' जैसा हो जाता है, फिर हेट-स्टोरी टू और थ्री की सीरीज सी बनने लगती है.
ऐसे में प्रेमी-प्रेमिका को एक दुसरे की सामान्य हरकतें भी अखरने लगती हैं, मसलन प्रेमिका अगर किसी से हंस कर बात भी कर ले तो 'व्हाट्सप्प रुपी पत्र' का नोटिफिकेशन उसके पास आ जाता है.
व्हाट्सप्प-चिट्ठिबाजी से ध्यान आया कि कई बार यहाँ भी पत्र 'खुले' हो जाते हैं, जब प्रेमिका या प्रेमी की बजाय किसी 'ग्रुप' में 'पत्र' फॉरवर्ड हो जाएँ!
वैसे, इन मामलों में 'पत्रकार-बंधुओं' ने पूरी आज़ादी ले रखी है. वह जब चाहें 'पत्रकारों के ग्रुप' में रहें और कोई सन्देश 'राजनीतिक ग्रुप' में चला जाए तो वह उनसे घुल-मिल जाते हैं. यूं भी आजकल मीडिया के 'कॉरपोरेटीकरण' ने पत्रकारों को कई 'व्हाट्सप्प ग्रुपों' में जोड़ रखा है. कई पत्रकार इन सभी ग्रुपों को बढ़िया 'संतुलित' कर लेते हैं तो कई इतने ग्रुप्स को देखकर 'कन्फ़्युजिया' जाते हैं और फिर पुराने फॉर्मेट में 'पत्र-लेखन' कर डालते हैं.
पर वह 'गोंद' क्यों नहीं लगाते, या फिर पुराने पत्र-लेखन कला के साथ गोंद लगाने की कला भी विस्मृत हो गयी है और वह 'थूक' से काम चला लेना चाहते हैं...
बहुत कन्फ्यूजन है रे भइया इन 'चिट्ठी-पत्रियों' में...
इतने बड़े लोग उलझ जा रहे हैं तो फिर ... !!!
Satire on letter writing, Ravish Kumar, Rohit Sardana, Journalism! |
यदि लेख पसंद आया तो 'Follow & Like' please...
ऑनलाइन खरीददारी से पहले किसी भी सामान की 'तुलना' जरूर करें
(Type & Search any product) ...
(Type & Search any product) ...
Satire, व्यंग्य, open letters, letter writing, journalist, patrakar, ravish kumar, rohit sardana, zee news, ndtv, m j akbar, bjp, congress, hindi writing, editorial,
Satire on letter writing, Ravish Kumar, Rohit Sardana, Journalism!
Breaking news hindi articles, latest news articles in hindi, Indian Politics, articles for magazines and Newspapers, Hindi Lekh, Hire a Hindi Writer, content writer in Hindi, Hindi Lekhak Patrakar, How to write a Hindi Article, top article website, best hindi articles blog, Indian Hindi blogger, Hindi website, technical hindi writer, Hindi author, Top Blog in India, Hindi news portal articles, publish hindi article free
मिथिलेश के अन्य लेखों को यहाँ 'सर्च' करें...
( More than 1000 Hindi Articles !!) |
0 टिप्पणियाँ