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'हाफ माइंड' हो गए हैं काटजू ... !! Markandey Katju Controversial Statement ever, Hindi Article, New, Uri Attack, Soldiers, Bihar Prestige, Pakistan, Terrorism, Atal Bihari Vajpayee



अधिक बोलने का जो सबसे बड़ा नुकसान है, वह यही है कि आपको पता ही नहीं चलता कि क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है. अधिक बोलना एक तरह की बीमारी मानी जा सकती है, एक ऐसी बीमारी जिसमें मरीज बेहद इरेलेवंट मुद्दों को एक साथ जोड़ देता है और वह भी गलत समय पर! शायद इसीलिए लोक-साहित्य में अपनी अमिट छाप रखने वाले कबीरदास जी (Markandey Katju Controversial Statement ever, Hindi Article, New, Uri Attack, Soldiers, Bihar Prestige) कह गए हैं कि '

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।
अर्थात, संत कबीर दास जी कहते हैं कि अति हर चीज़ की हानिकारक होती है. ज्यादा बोलना अथवा ज्यादा चुप रहना व्यक्ति के लिए हानिकारक सिद्ध हो जाता है, जिस प्रकार ज्यादा बरसात होना अथवा ज्यादा तेज़ धूप होना दोनों ही इस सृष्टि के संतुलन के लिए नुक्सानदायक है. 

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काश कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एवं प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के पूर्व चेयरमैन मार्कण्डेय काटजू को संत कबीर की यह उक्ति ज़रा भी समझ आती तो उन्हें पता चलता कि उन्होंने कितना बड़ा एवं 'अक्षम्य' बयान दिया है. पहले भी वह सड़ी-गली, विवादित एवं व्यक्तिगत टिप्पणियां करते रहे हैं, किन्तु इस बार तो उन्होंने हद ही कर दी है. देश जहाँ उरी-कश्मीर के आतंकी हमले में शहीद जवानों के गम से दुःखी है, वहीं इन बुद्धिजीवी महोदय को उसी 'कश्मीर' पर मजाक सूझ रहा है. बिडम्बना तो यह कि अपने बयान की कठोर आलोचना होने के बावजूद तथाकथित रूप से उन्हें यह 'सेन्स ऑफ़ ह्यूमर' ही लगता है. कहा जा सकता है कि अगर कोई व्यक्ति 'हाफ माइंड' हो जाए, तभी वह इस तरह की मानसिकता को जायज़ ठहरा सकता है और अपनी हठधर्मिता पर अड़ भी सकता है. जाहिर तौर पर यह परले दर्जे का 'पागलपन' (Markandey Katju Controversial Statement ever, Hindi Article, New, Uri Attack, Soldiers, Bihar Prestige, Mad persons of India) है. गौरतलब है कि अधिक बोलने की अज्ञात बीमारी से ग्रसित मार्कण्डेय काटजू ने कश्मीर, पाकिस्तान, बिहार, अटल बिहारी बाजपेयी इत्यादि का नाम लेकर बेहद घटिया बयान, गलत समय पर दिया है. उन्होंने कश्मीर को लेकर ट्विटर और फेसबुक पर विवादित टिप्पणी करते हुए लिखा है कि 'पाकिस्तान के लिए ऑफर है, अगर उसे कश्मीर चाहिए तो उसके साथ बिहार को भी लेना होगा'. साफ़ समझा जा सकता है कि ऐसे आदमी को सठियाये दिमाग का कहा जा सकता है, क्योंकि देश से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक भारतीय जवानों की शहादत का मामला पहुँच रहा है, किन्तु यहाँ काटजू जैसे पागलों को कौन समझाए? काश कि काटजू अपने दिमाग को खबरों की ओर घुमा लेते तो देख पाते कि इसी उरी आतंकी हमले में बिहार के ही तीन बेटे देश की रक्षा करते हुए शहादत को प्राप्त हुए है. क्या वाकई बिहार राज्य से शहीद सिपाही राकेश सिंह, नायक एस.के. विद्यार्थी एवं हवलदार अशोक कुमार सिंह की आत्मा को काटजू के बयान से शांति मिली होगी? 


जाहिर तौर पर काटजू के इस तरह के विवादित बोल पर बिहार के राजनीतिक दलों में काफी आक्रोश है. इतना ही नहीं, काटजू ने आगे ये भी लिखा है कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी आगरा वार्ता के दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भी ये ऑफर दिया था, लेकिन मूर्ख मुशर्रफ ने ठुकरा दिया था. कहते हैं कि दुनिया में सबसे कठिन कार्य 'मजाक' करना है और इसकी समझ हर एक को नहीं होती. कई-कई लोग मजाक करने के चक्कर में जेल तक जाते रहे हैं तो कई लोगों की जान पर भी बन आती है. ऐसे में काटजू की इस ग़लतफ़हमी को क्या कहा जाए कि वह खुद को कपिल शर्मा से भी बेहतर 'कॉमेडियन' समझ रहे हैं. वैसे कॉमेडी शो के जरिये मशहूर हुए कपिल (Markandey Katju Controversial Statement ever, Hindi Article, New, Uri Attack, Soldiers, Bihar Prestige, Comedy is Tuff) की पिछले दिनों ट्विटर पर थू-थू हो चुकी है. खैर, इस तरह के अपडेट्स के बाद सोशल मीडिया पर काटजू की चौतरफा निंदा हो रही है और होनी भी चाहिए. कई लोग काटजू द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का नाम लेने पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और पूछ रहे हैं कि इस तरह की असंवेदनशील मानसिकता का व्यक्ति इतने महत्वपूर्ण मुद्दों पर आखिर बयानबाजी कर ही क्यों रहा है? हालांकि मामला बढ़ने के बाद काटजू ने अपनी सफाई इसे सिर्फ एक मजाक बताया है और लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया को सेंस ऑफ ह्यूमर की कमी बताई है. पर समझा जा सकता है कि तथाकथित 'सेन्स ऑफ़ ह्यूमर' की कमी किसमें है? तमाम लोग इसे उरी में हुए शहीदों का अपमान बता रहे हैं और काटजू से माफी की मांग कर रहे हैं, जो इस 'हाफ माइंड' व्यक्ति को अब भी मंजूर नहीं है. गौरतलब है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहते हुए भी काटजू ने बिहार में मीडिया की आजादी पर सवाल उठाया था, उस वक्त भी काफी हंगामा बरपा था, लेकिन इस व्यक्ति ने अधिकतम मुद्दों पर गैर-वाजिब बोल बोलना जारी रखा. 

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बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडेय काटजू के इस विवादित पोस्ट पर बिहार के राजनीतिक दलों में भी काफी आक्रोश है. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने काटजू के विवादित पोस्ट पर बोलते हुए कहा कि हे प्रभु इन्हें माफ कर दो, क्योंकि काटजू नहीं जानते कि ये कौन सा अपराध कर रहे हैं. स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में बिहार का अविस्मरणीय योगदान रहा है, साथ ही साथ गांधी के चंपारण सत्याग्रह से लेकर सामाजिक सदभाव के लिए चले आंदोलन में बिहार की अहम भूमिका रही है. ऐसी स्थिति में बिहार के विरासत को बिना जाने जस्टिस काटजू द्वारा की गयी टिप्पणी (Markandey Katju Controversial Statement ever, Hindi Article, New, Uri Attack, Soldiers, Bihar Prestige, Bad Comments) काफी अशोभनीय है. वहीं बीजेपी नेता नंद किशोर यादव ने पहले तो जस्टिस काटजू के टिप्पणी को तवज्जो ही नहीं दी फिर कहा कश्मीर को लेकर विवादित बयान देना किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है और कश्मीर के साथ बिहार का नाम जोड़ना बिहार का अपमान करना है. इसके लिए बिहार किसी हालत में काटजू को माफ नहीं करेगा. बहुत संभव है कि बिहार की शिक्षा-व्यवस्था या बढ़ते अपराध की ओर काटजू ध्यान दिलाना चाहते हों, किन्तु इसके लिए उन्होंने जो समय चुना, वह निश्चित रूप से गलत है और इस हद तक गलत कि उन्हें सरेआम माफ़ी माँगना ही चाहिए. काटजू को समझना चाहिए कि जिस मुद्दे पर उन्होंने टिपण्णी की है, वह कोई 'अमिताभ बच्चन के खाली दिमाग' जैसा मुद्दा और टिपण्णी नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों की शहादत से जुड़ा विषय है. हालाँकि, इतने होहल्ले के बावजूद काटजू का दिमाग ठिकाने आएगा, इसकी उम्मीद कम ही है, इसलिए हे प्रभु! इन्हें माफ़ ही कर देना ... !! ये 'पगला' गए हैं .... !!

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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