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अटल बिहारी वाजपेयी: वर्तमान भारतीय राजनीति की नींव!

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आजादी के बाद हमारे देश में कांग्रेस का 60 सालों तक एक छत्र राज्य रहा. निश्चित रूप से आजादी की लड़ाई में गाँधी, तिलक सरीखे पुराने कांग्रेस नेताओं की सक्रियता का इस पार्टी को लाभ मिला तो भारतीय लोकतंत्र में एक योग्य विपक्ष का ना होना भी कहीं ना कहीं खलता रहा. हालाँकि, कहने को तो बीच में जनता पार्टी की सरकार आई और उससे निकले तमाम नेता कांग्रेस पार्टी के विपक्ष की भूमिका निभाते रहे पर यह कारवां इतना सशक्त नहीं था कि कांग्रेस को एक मजबूत विपक्ष की भांति लंबे समय तक निरंतर चुनौती दे सकता. इसलिए कई बार यह कांग्रेस पार्टी जिसे विश्व की सबसे पुरानी पार्टी होने का गौरव हासिल है वह निरंकुश होती दिखी, तो कालांतर में बेतहासा भ्रष्ट शासन भी इस पार्टी ने ही दिया. छोटे बड़े दल देश में जरूर उभरे, किन्तु वह उतने प्रभावी नहीं हुए, जितना एक सशक्त विपक्ष को होना चाहिए, पर भारतीय जनता पार्टी के रुप में अब देश में एक मजबूत राजनीतिक दल है, जो केंद्र में सत्तासीन होने के साथ-साथ तमाम राज्यों में अपनी जड़ पकड़ चुका है और इस बात का श्रेय अगर किसी एक व्यक्ति को देना पड़े तो वह निश्चित रूप से अटल बिहारी वाजपेई ही होंगे. सबसे लंबे समय तक संसदीय गरिमा का निर्वहन करते हुए माननीय वाजपेई जी विपक्ष की भूमिका निभाते रहे तो दक्षिणपंथी विचारधारा की पोषक के रूप में जानी जाने वाली भाजपा को उन्होंने सर्वग्राही भी बनाया. कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उनकी बनाई नींव पर ही आज न केवल मोदी सरकार का भव्य महल खड़ा है, बल्कि आधुनिक भारतीय राजनीति ही उनके दिखलाये रास्तों पर बढ़ी है. तमाम राज्यों में भाजपा की तूती बोल रही है, किन्तु दुर्भाग्य की बात यह भी है कि जैसे-जैसे भाजपा का उभार हो रहा है, कांग्रेस का पतन भी उतनी ही तेजी से होता दिख रहा है. पुनः संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की जगह कमजोर सी दिख रही है, किन्तु इसकी जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी की भ्रष्ट नीतियां कहीं ज्यादा जिम्मेदार रही हैं. खैर, उस विषय पर चर्चा गाहे-बगाहे इधर-उधर होती ही रही है, अभी बात करते हैं भारतीय राजनीति के युगपुरुष अटलजी के बारे में! अटल बिहारी वाजपेई के बारे में इतिहास बेहद सकारात्मक रहेगा, इस बात में दो राय नहीं है. आखिर 24 दलों की गठबंधन सरकार पूरे 5 साल चला पाना वाजपेई जी के ही बस की बात थी, तो उनके व्यक्तित्व का अद्भुत करिश्मा और उनकी अतुलनीय भाषण-शैली का भी इसमें काफी कुछ योगदान था. राजनीतिक पटल पर तमाम लोग आएंगे जाएंगे, कई नेताओं का उद्भव होगा पतन होगा, किंतु आज़ादी के बाद की भारतीय राजनीति में अटल नाम की शाश्वतता को शायद ही नकारा जा सकेगा. Atal Bihari Vajpayee in Hindi, Biography, BJP History, Politics, Essay in Hindi, Great Personalities, Atomic Test in Indian History, Congress downfall, Democracy History in India, Janta Party, Rashtriya Swayamsewak Sangh, Jansangh

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राष्ट्रधर्म, राजधर्म और उन सब से बढ़कर व्यवहारिक धर्म की परिभाषा गढ़ने वाले अटल बिहारी वाजपेई का योगदान भारतीय राजनीति में सदा ही अमूल्य ही रहेगा, इस बात में दो राय नहीं! एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार के अध्यापक के पुत्र अटल बिहारी वाजपेई विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के ना केवल प्रधानमंत्री बने, बल्कि विविधता भरे इस देश में उन्होंने सफलतम नेतृत्व भी प्रदान किया, जिससे समाज बंटा नहीं, आपस में लड़ा नहीं, बल्कि समरसता का भाव ही मजबूत हुआ. 25 दिसंबर 1925 को जन्मे अटल बिहारी वाजपेई की शुरूआती शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई. राजनीति विज्ञान में उन्होंने स्नातकोत्तर किया, तो राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसी कालजयी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. उत्तम कोटि के कवि अटल बिहारी वाजपेई की कई कविताएं आज भी बड़े शौक से गुनगुनायी जाती हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में राष्ट्रधर्म का पाठ अटल बिहारी वाजपेई ने बखूबी पढ़ा और अपने संपूर्ण राजनीतिक कैरियर में इसे उन्होंने कभी छुपाया भी नहीं! गर्व से कहा कि मैं स्वयं सेवक हूं! यहाँ तक कि जनता पार्टी के दुसरे नेताओं ने जब यह शर्त रखी कि या तो कोई नेता जनता पार्टी से जुड़ा रह सकता है अथवा आरएसएस से तो अटल जी के नेतृत्व में सरकार से निकलने में वाजपेयी जी ने ज़रा भी देरी नहीं की. अपनी जड़ों से कैसे व्यक्ति जुड़ा रहता है इसका उत्तम उदाहरण अटल बिहारी वाजपेई के अतिरिक्त दुसरे लोग कम ही मिलेंगे! आजीवन अविवाहित रहने के निर्णय के फल के रूप में देश सेवा उनका चिरस्थाई विचार रहा, तो अपने ऊपर पदलोलुपता की निकृष्ट विचारधारा को उन्होंने कभी हावी होने नहीं दिया. 7 दशकों से भारतीय राजनीति में अपना स्थान अक्षुण्ण रखने वाले अटल बिहारी वाजपेई के वैचारिक प्रेरणा के श्रोत स्वर्गीय दीनदयाल उपाध्याय एवं डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे राष्ट्रवादी महानुभाव रहे, तो राज धर्म के पथ पर चलते हुए उन्हें भारत सरकार और भारतीय जनमानस दोनों ने भारत रत्न की पदवी से ख़ुशी-ख़ुशी नवाजा. जी हां, ऑफिसियल पुरस्कार तो उन्हें मिला ही, किंतु उस से भी बढ़कर जनमानस के हृदय में उनका स्थान कहीं ज्यादा बड़ा रहा है. यहाँ तक कि विपक्षियों ने भी भारत के संसदीय इतिहास में हमेशा अटल बिहारी का उदाहरण प्रस्तुत किया है. सिर्फ भारतरत्न ही क्यों 1996 में पद्मविभूषण, 94 में लोकमान्य तिलक अवार्ड, 1994 में ही बेस्ट सांसद अवार्ड और पंडित गोविंद बल्लभ पंत अवार्ड अटल बिहारी बाजपेई जी को प्राप्त हुए. इसके साथ 2015 में डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय) और 2015 में ही 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड' (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त) वाजपेयी जी की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल किया जा सकता है. Atal Bihari Vajpayee in Hindi, Biography, BJP History, Politics, Essay in Hindi, Great Personalities, Atomic Test in Indian History, Congress downfall, Democracy History in India, Janta Party, Rashtriya Swayamsewak Sangh, Jansangh

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अपने सात भाई बहनों में सबसे विलक्षण प्रतिभा के धनी अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद तो कभी शादी नहीं की, लेकिन दो बेटियां नमिता और नंदिता को उन्होंने गोद लिया था. यदि उनकी जीवनी को शुरू से देखते हैं तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में भी भारत छोड़ो आंदोलन में बाकी नेताओं के साथ उन्होंने हिस्सा लिया था और जेल भी गए थे. जेल में ही उनकी मुलाकात भारतीय जनसंघ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई थी और यही से उनका राजनीतिक सफर शुरु हो गया था. 1954 में बलरामपुर से वह पहली बार मेंबर ऑफ पार्लियामेंट चुने गए तो 1968 में दीनदयाल उपाध्याय की मौत के बाद जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए. तत्कालीन समय में नानाजी देशमुख, बलराज मधोक व लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर जन संघ को भारतीय राजनीति में स्थापित करने के लिए अटल बिहारी वाजपेई ने कड़ी मेहनत की. इसी कड़ी में आगे देखते हैं तो 1977 में इंदिरा गाँधी की तानाशाही से परेशान होकर भारतीय जनसंघ और भारतीय लोकदल में गठबंधन हुआ, जिसे जनता पार्टी का नाम मिला और इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के बाद इसे सफलता भी मिली. इस सरकार में अटल बिहारी वाजपेई विदेश मंत्री बने, किंतु जल्द ही जनता पार्टी में बिखराव हुआ और बिखराव के बाद 1980 में लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व उप राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत जैसे नेताओं के साथ मिलकर अटल बिहारी वाजपेई ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की. इस सन्दर्भ में आगे वाजपेयी जी का जीवन देखते हैं तो, 1984 में भाजपा को सिर्फ दो सीटें ही मिली थी, किंतु पार्लियामेंट के अगले चुनाव 1989 में भाजपा 88 सीटों पर विजई रही. इसके बाद 1993 में अटल जी संसद में विपक्ष के लीडर बने, तो 1995 में अटल जी को भाजपा का प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित किया गया. 1996 में हुए चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी और अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री भी बने, किंतु 13 दिन में ही अटल जी को पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि 1996 से 1998 के दौरान दो बार दूसरी सरकारें बनी लेकिन वह भी गिर गयीं. इसके बाद भाजपा ने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स यानी एनडीए का गठन किया. भाजपा फिर सत्ता में आई लेकिन इस बार भी दुर्भाग्य से उनकी सरकार 13 महीने ही चली. हालाँकि, उसके बाद बनी अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया. उस दौरान, आर्थिक सुधारों के लिए अटल जी ने बहुत सी योजनाएं शुरु की थी, जिसके बाद छः से सात परसेंट की ग्रोथ दर्ज की गई और समूचे विश्व में भारत का नाम मजबूती से लिया जाने लगा. सत्ता में आने के बाद 1998 में राजस्थान के पोखरण में पांच अंडरग्राउंड न्युक्लियर बम के सफल टेस्ट ने अटल बिहारी वाजपेई की चर्चा पूरे विश्व में फैला दी थी और भारत परमाणु शक्ति संपन्न देशों की अगली कतार में मजबूती से खड़ा हो गया था. तत्पश्चात विश्व के कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबन्ध भी लगाए, किन्तु उन प्रतिबंधों से वाजपेयी जी न तो घबराये और न ही रुके, बल्कि अपना कार्यकाल बीतते-बीतते शेष विश्व को अपनी परमाणु शक्ति के बारे में यह विशवास दिला पाने में सफल रहे कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और वह परमाणु हथियारों का कभी भी पहले प्रयोग नहीं करेगा. Atal Bihari Vajpayee in Hindi, Biography, BJP History, Politics, Essay in Hindi, Great Personalities, Atomic Test in Indian History, Congress downfall, Democracy History in India, Janta Party, Rashtriya Swayamsewak Sangh, Jansangh

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यह वही नींव थी, जिसके ऊपर वाजपेयी जी के उत्तराधिकारी डॉ. मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ सिविल न्यूक्लियर के सहयोग की शुरुआत की. आज हम न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में शामिल होने की अंतिम दहलीज पर खड़े हैं, उसका श्रेय माननीय वाजपेयी जी को भी दिया ही जाना चाहिए. विकास की इसी कड़ी में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा शुरू किए गए नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने भारत की आधारभूत संरचनाओं को बदल कर रख दिया और इस तरह से भारतीय जनता पार्टी के भविष्य की राह भी बेहद सुदृढ़ होती चली गई. हालांकि 2004 के चुनाव में भाजपा बाजपेई जी के नेतृत्व में हार गई, किंतु बदलते भारत की कहानी लिखने की प्रेरणा उन्होंने मजबूती से स्थापित कर दी थी. गठबंधन सरकारों को बेहद सफलतापूर्वक चलाने के लिए वाजपेयी जी का कार्यकाल निश्चित तौर पर शोध का विषय है. पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल के लिए भी अटल बिहारी वाजपेई को जाना जाता है, जिसमें दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू करना और परवेज मुशर्रफ, नवाज शरीफ से मुलाकात का जिक्र किया जा सकता है. हालांकि पाकिस्तान ने अटल बिहारी वाजपेई और भारत की पीठ में छुरा ही भोंका और भारत पर कारगिल युद्ध थोप दिया. किंतु, अटल बिहारी वाजपेई के मजबूत नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को एक बार और धूल चटाई और कारगिल की चोटियों से उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. इसके अतिरिक्त सैकड़ों साल से ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाने के लिए भी अटलजी को जाना जाता है. हालांकि यह विवाद एक बार फिर नए सिरे से शुरु हो गया है. इसके अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर, सॉफ्टवेयर सर्विसेज, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और विद्युतीकरण में गति लाने के लिए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन वाजपेई जी के मुख्य कार्यो में गिनाया जा सकता है. साथ ही साथ उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिए सात सूत्रीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत करना, आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त करना, ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिए बीमा योजना शुरू करना वाजपेई जी के मुख्य कार्यो में सहज ही गिनाया जा सकता है. भारत के तेजस्वी वक्ताओं में गिने जाने वाले अटल बिहारी वाजपेई का जिक्र तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक उनकी साहित्यिक कृतियों की बात न की जाए. उनकी प्रकाशित कृतियों में मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान, कैदी कविराय की कुंडलिया, संसद में तीन दशक, अमर आग है, कुछ लेख: कुछ भाषण, सेक्युलरवाद, राजनीति की रपटीली राह, बिंदु बिंदु विचार इत्यादि प्रमुख रूप से गिनाई जा सकती हैं तो भारत को लेकर उनकी वह टिप्पणी आज भी राजनीतिक जगत के लिए उतनी ही सामयिक है जिसमें अटल जी ने साफ़ कहा था कि "भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है: ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो." अटल जी के मार्गदर्शन में पैदा और पोषित हुई पार्टी भाजपा अब जवान हो चुकी है और भारत के आधे राज्यों सहित केंद्र में मजबूती से विराजमान भी है, तो देखना दिलचस्प होगा कि अपने मार्गदर्शक अटल जी के भारत के बारे में व्यक्त की गयी "भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त" देश की परिकल्पना कब तक साकार होती है.

हे युगपुरुष! तुमको नमन
सींचा है तुमने नव चमन
दिया तंत्र सच में लोक को
जन जन के तुम आलोक हो

सद्भावना के कर्म फल
अनेकता में भी सफल
समरसता के प्रयत्न हो
तुम सच में ‘भारत रत्न‘ हो
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
(25 दिसंबर 2015 को रचित)

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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