Sports Administration Article, Hindi, New, Suresh Kalmadi, Abhay Chautala, IOA, Olympic Preparation, |
देश में खेल से संबंधित दो बड़ी खबरें आईं, जिस पर बड़े स्तर पर लोगों का ध्यान गया. एक तो शायद आप सिनेमा हाल में जा कर देख भी चुके होंगे, जो बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले आमिर खान की दंगल है. वहीं, दूसरी खबर आई है 'डॉ. मशहूर गुलाटी' की तरह मशहूर सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को भारतीय ओलंपिक संघ का आजीवन अध्यक्ष नामित करने की! आप कहेंगे कि दोनों खबरें एक सी कैसी हैं, तो मैं बताता दूं कि तालमेल है और यह अद्भुत तालमेल कुछ ऐसा है कि हमें पूछना पड़ रहा है कि ऐसा 'खेल' कौन खेलता है भाई? फिल्म 'दंगल' में यह बात साफ तौर पर दर्शाई गई है कि खिलाड़ियों के साथ और तमाम खेल संस्थानों में राजनीति होती ही है, जो अंततः हमारे पदकों की संख्या को कम कर देती है. दंगल में हालाँकि, कोच के ट्रेनिंग देने के लहजे और उसकी बेपरवाही पर सवाल उठा कर ही आमिर बच निकले हैं, पर हम सब जानते हैं कि देश भर में तमाम खेल संघ किस तरह से राजनीतिज्ञों के अखाड़े बने हुए हैं! आखिर, किस तरह से खिलाड़ियों को राजनीति की बिसात पर मोहरे की तरह चला जाता है और ऐसे में अच्छी से अच्छी प्रतिभा दम तोड़ देती है. खेल संघों में राजनेताओं के कब्ज़े की बात पर थोड़ा और व्यापकता से देखा जाए तो, भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय क्रिकेट की संस्था बीसीसीआई में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की खूब जद्दोजहद चली है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद बीसीसीआई के अनुराग ठाकुर और दूसरे पदाधिकारी टस-से-मस तक नहीं हो रहे हैं. यहां तक कि अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई चीफ से हटाने तक की बात भी कई खबरों में सामने आ रही है, क्योंकि खबरों के ही अनुसार उन्होंने कोर्ट में गलत हलफनामा पेश किया है, पर 'लोढ़ा कमिटी' की सिफारिशों को यह धनाढ्य खेल संस्थान लागू ही नहीं कर रहा है और 'भ्रष्टाचार के साथ अपारदर्शिता' जस की तस बनी हुई है. यही हाल बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन.श्रीनिवासन को लेकर भी था, जो सुप्रीम कोर्ट के डिसीजन के बाद हटे थे. कुल मिलाकर बात यह है कि तमाम खेल संघों में आख़िर राजनीतिज्ञों का क्या काम, जिस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक आपत्ति जता चुका है? मामला तब और गंभीर हो जाता है जब सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला जैसे लोग भारतीय ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष नामित कर दिए जाते हैं! समझा जा सकता है कि यह दोनों ही भ्रष्टाचार और गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं. Sports Administration Article, Hindi, New, Suresh Kalmadi, Abhay Chautala, IOA, Olympic Preparation, Medals Counting, Hindi Essay, Corruption in Sports
Sports Administration Article, Hindi, New, Suresh Kalmadi, Abhay Chautala, IOA, Olympic Preparation, Medals Counting, Hindi Essay, Corruption in Sports |
Sports Administration Article, Hindi, New, Suresh Kalmadi, Abhay Chautala, IOA, Olympic Preparation, Medals Counting, Hindi Essay, Corruption in Sports |
आईओए जैसे संस्थानों के शीर्ष पर अगर अपराधी और भ्रष्टाचारी लोग बैठेंगे, तो पदक आखिर आएंगे कहां से? आमिर खान अपनी फिल्म दंगल में महावीर फोगाट के किरदार में एक बात बड़े साफ तौर पर कहते हैं, जो सभी खेल-प्रशासकों पर समान रूप से लागू होती है कि जब तक 'ऐसे पदाधिकारी खेल संघों में कब्जा जमाए रहेंगे', तब तक भारत में अन्य देशों के मुकाबले पदक लाना मुश्किल और नामुमकिन ही माना जाता रहेगा. आला दर्जे की बदतमीजी यह कि 'इंडियन ओलिंपिक असोसिएशन (IOA) की चेन्नै में हुई आम सभा बैठक में भ्रष्टाचार के आरोपी आईएनएलडी के नेता अभय सिंह चौटाला लाइफटाइम प्रेजिडेंट चुने जाने को लेकर उठे सवालों के बाद बेशर्मी से कहते हैं कि "उन्हीं की वजह से भारतीय खिलाड़ी मेडल्स जीत रहे हैं." आखिर सम्पूर्ण विश्व में इस हद तक गिरावट कहीं देखने को मिलेगी क्या? जहाँ तक मेडल्स की बात है तो देश के कुछ खिलाड़ियों का संघर्ष-स्तर इतना ऊंचा होता है कि व्यक्तिगत तौर पर वह तैयारी करके देश को पदक दिला पाने में सफलता हासिल कर पाते हैं, अन्यथा तमाम खेल संघ और पदाधिकारी खिलाड़ियों का हौसला तोड़ने में जरा भी कमी नहीं करते हैं. हालाँकि, जब हम देश में आ रहे ओलंपिक पदकों की संख्या को चीन या दूसरे देशों को प्राप्त पदकों से तुलना करते हैं तो एक भारतीय होने के नाते शायद ही गर्व महसूस करते होंगे! शायद ही कोई ओलंपिक गेम हो, जिसमें हमारे देश के पदकों की संख्या दहाई में पहुंची हो और कई बार तो हमें एक 'कांस्य' पदक से ही काम चलाना पड़ता है. ऐसे में चौटाला का बयान आला दर्जे की बेशर्मी कही जा सकती है. जिन्होंने दंगल पिक्चर देखी होगी या देखेगा, वह यह बात बखूबी समझ जाएगा कि कोई खिलाड़ी ओलंपिक के लिए तैयार होने में बचपन से ही जुट जाता है. कई तो 5 साल की उम्र से ही अखाड़े में कुश्ती करने लगते हैं या दूसरे खेलों में अभ्यास करने लगते हैं और यह अभ्यास ताउम्र चलता है. तमाम कठिनाइयों से जूझते हुए, समस्याओं से दो-चार होते हुए उनकी जिंदगी दांव पर लगी होती है, तो अभाव में जूझते-जूझते बाकी दुनिया से वह कट से जाते हैं, पर उनके मुख से उफ़ नहीं निकलती है, क्योंकि देश के लिए उन्हें पदक लाना होता है. पर पदक लाने के लिए बनायी गयी जिम्मेदार संस्था 'आईओए' ही अगर सुरेश कलमाड़ी और अभय चौटाला जैसे लोगों के हवाले हो जाए तो फिर भगवान ही मालिक है हमारे देश के खेलों का और उसके भरोसे पदक की आस लगाए सवा सौ करोड़ देशवासियों का!
- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
Sports Administration Article, Hindi, New, Suresh Kalmadi, Abhay Chautala, IOA, Olympic Preparation, Medals Counting, Hindi Essay, Corruption in Sports
मिथिलेश के अन्य लेखों को यहाँ 'सर्च' करें... (More than 1000 Hindi Articles !!)
|
Disclaimer: इस पोर्टल / ब्लॉग में मिथिलेश के अपने निजी विचार हैं, जिन्हें पूरे होश-ओ-हवास में तथ्यात्मक ढंग से व्यक्त किया गया है. इसके लिए विभिन्न स्थानों पर होने वाली चर्चा, समाज से प्राप्त अनुभव, प्रिंट मीडिया, इन्टरनेट पर उपलब्ध कंटेंट, तस्वीरों की सहायता ली गयी है. यदि कहीं त्रुटि रह गयी हो, कुछ आपत्तिजनक हो, कॉपीराइट का उल्लंघन हो तो हमें लिखित रूप में सूचित करें, ताकि तथ्यों पर संशोधन हेतु पुनर्विचार किया जा सके. मिथिलेश के प्रत्येक लेख के नीचे 'कमेंट बॉक्स' में आपके द्वारा दी गयी 'प्रतिक्रिया' लेखों की क्वालिटी और बेहतर बनाएगी, ऐसा हमें विश्वास है.
इस लेख से जुड़े सर्वाधिकार इस वेबसाइट के संचालक मिथिलेश के पास सुरक्षित हैं. इस लेख के किसी भी हिस्से को लिखित पूर्वानुमति के बिना प्रकाशित नहीं किया जा सकता. इस लेख या उसके किसी हिस्से को उद्धृत किए जाने पर लेख का लिंक और वेबसाइट का पूरा सन्दर्भ (www.mithilesh2020.com) अवश्य दिया जाए, अन्यथा कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
0 टिप्पणियाँ