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उसके बाद सीबीआई अगर कानून का पालन करती है और आरोपी की गिरफ्तारी करती है तो उसके कार्यकर्ता / समर्थक खुलेआम गुंडागर्दी पर उतर आते हैं और बजाय कि राज्य का पुलिस-प्रशासन गुंडों को सलाखों के पीछे भेजने की जुगत करता, वह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में उलझकर ही समय बर्बाद करता रहता है. देखा जाए तो इन दिनों ममता बनर्जी के भीतर राष्ट्रीय नेतृत्व की चाह कुछ ज्यादा ही तेजी से उभर रही है और वह इस मामले पर शोर-शराब भी कर रही हैं! जिस मुखरता से ममता बनर्जी नोट बंदी पर जनता की परेशानियों का या मोदी सरकार की दूसरी निर्णयों का विरोध करती हैं, उससे उनकी छवि संघर्षशील नेता की तो बनती है, किन्तु उसी सक्रियता से वह अपने कार्यकर्ताओं पर लगाम लगाने की बात जाने भूल क्यों जाती हैं? अभी तो सिर्फ कुछ ही नेता इस घोटाले में फंसे हैं और इस रोजवैली स्कैम में तृणमूल के छह और नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं. इसमें भी दो ऐसे कद्दावर नेता हैं, जिनका कद गिरफ्तार तृणमूल सांसदों तापस से भी बड़ा है. अगर आरोपियों की गिरफ़्तारी पर ऐसे ही कानून को हाथ में लिया जाता रहा तो समझना मुश्किल नहीं है कि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में और भी हंगामा और हिंसा होने की सम्भावना भी बढ़ जाएगी. सीबीआई की मानें तो रोज वैली समूह के मालिक गौतम कुंडू के होटल व्यापार को बढ़ाने में सांसद तापस और सुदीप में अहम भूमिका निभाई थी और दोनों नेताओं ने अपनी पद, पहचान और प्रभाव का इस्तेमाल कर रोज वैली के होटल व्यापार को बढ़ाने में 'मास्टर की' का रोल निभाया था. इतने संगीन आरोपों पर होने वाली गिरफ्तारियों पर अगर ममता बनर्जी कहती हैं कि "बंदोपाध्याय सीनियर नेता हैं, उन्हें इस तरह गिरफ्तार नहीं करना चाहिए,” तो ऐसे में उन्हें यह भी कह देना चाहिए कि भ्रष्टाचार को सरकारी संरक्षण मिलना चाहिए. उनका ट्विटर पर गुस्सा निकालना भी अजीब है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 'ये सब नोटबंदी का विरोध करने की वजह से हो रहा है'. अगर सीबीआई का तर्क सुनें तो उसके अनुसार रोज वैली ने निवेशकों को लगभग 17,000 करोड़ रुपए का चूना लगाया है. बताते चलें कि सीबीआई ने रोज़ वैली के खिलाफ 2016 की जनवरी में चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें कहा गया था कि रोज वैली ने पश्चिम बंगाल के अलावा उड़ीसा, असम, झारखण्ड, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, त्रिपुरा, आन्ध्र प्रदेश में जमकर पैसे लूटे हैं. इस फर्जी कंपनी के 21 रीजनल ऑफिस, 880 ब्रांच और लगभग 20 लाख एजेंट थे. समझा जा सकता है कि सारधा, पर्ल की ही तरह रोज वैली भी एक पोंजी स्कीम वाली चिट फंड कंपनी थी, जिसमें अलग-अलग स्कीम में पैसे लगाने के बदले भारी रकम वापसी का वादा किया जाता था और फिर उस जाल में फंसाकर लोगों को लूटने का कार्य लंबे समय तक चलाया गया. ईडी के अनुसार इससे जुड़े लोगों ने 15,000 करोड़ से ज्यादा पैसे बनाए. बताया तो यहाँ तक जा रहा है कि अनुमानतः सारधा चिट फंड घोटाले से यह घोटाला सात गुना ज्यादा बड़ा है. Corruption, Violence, Riots in West Bengal, Hindi Article, New, Mamta Banerjee, Rose Valley Scam, Malda Violence Analysis, Intellectual, Secular People, CBI Investigation and arresting of Trinmool Congress Leaders
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- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
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