हाल फिलहाल, ईरान वैश्विक राजनीति में कई कारणों से चर्चित हुआ है. एक तो सऊदी अरब द्वारा ईरान के खिलाफ तगड़ी गुटबाजी वैश्विक सुर्खियां बन रही हैं तो दूसरी ओर सीरिया के गृहयुद्ध मामले में इस देश को अनदेखा करना वैश्विक बिरादरी के लिए लगभग असंभव सा बन गया है. जाहिर है, ऐसे समय अमेरिका और वैश्विक बिरादरी द्वारा लिया गया एक फैसला खुशियाँ लेकर आया है. आखिर एक लम्बे विरोध के बाद अमेरिका ने ईरान पर लगाए सभी आर्थिक-परमाणु प्रतिबंध हटा ही लिए. हालाँकि, अमेरिका द्वारा यह फैसला तभी लिया गया जब, ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम रोकने का वादा पूरा करने में सफल रहा. आज जब ईरान के सम्बन्ध सऊदी अरब समेत दुसरे इस्लामी देशों से शिया नेता निम्र अल निम्र की फांसी के बाद बिगड़ते जा रहे हैं, ऐसे में अमेरिका समेत शेष विश्व बिरादरी द्वारा आर्थिक-परमाणु प्रतिबन्ध हटाया जाना उसके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है. वियना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के मुख्यालय में अमेरिका ने यह घोषणा की और कहा कि वह ईरान पर लगाए गए सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को वापस ले रहा है. इस पर यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख फेडरीके मॉगरीनी ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और कहा कि इससे शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा. जाहिर तौर पर इस अपडेट पर वियना में मौजूद ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ बेहद खुश नज़र आये और अपनी प्रतिक्रिया में इस फैसले को दुनिया के लिए एक अच्छा दिन बताया. संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था के मुताबिक ईरान ने परमाणु कार्यक्रम पर वैश्विक शक्तियों के साथ हुए जुलाई के ऐतिहासिक समझौते का पालन किया है. गौरतलब है कि ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध इस वजह से लगाए गए थे कि वह परमाणु हथियार तैयार करने की कोशिश कर रहा था. हालांकि ईरान ने इस बात से हमेशा मना ही किया है.
इससे पहले अपने ऊपर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाए जाने की संभावना को देखते हुए ईरान ने अमेरिका के चार कैदियों को रिहा किया तो अमेरिका ने भी ईरान के सात नागरिकों को जेल से रिहा करके कूटनीतिक संबंधों के लिए सकारात्मक माहौल तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस फैसले से ईरान के लिए जो सबसे बड़ा फायदा होने वाला है, वह निश्चित रूप से उसके आर्थिक विकास से सम्बंधित है. यदि उँगलियों पर इन फायदों को गिना जाय तो ईरान की लगभग 100 अरब डॉलर की सील की हुई संपत्ति उसे मिलने की सम्भावना लगभग निश्चित ही हो गयी है. इसके अतिरिक्त, ईरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना तेल बेच पाएगा जबकि अभी वो सिर्फ़ चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को ही अपना तेल बेच पाता है. इस तरह ईरान जो वर्तमान में, प्रतिदिन 11 लाख बैरल कच्चे तेल का निर्यात करता है, प्रतिबंध हटने के बाद इसमें पांच लाख बैरल का फ़ौरी इज़ाफ़ा कर सकेगा, जबकि बाद में इसे पांच लाख बैरल तक और भी बढ़ाया जा सकता है. जाहिर है ईरान की तरफ़ से प्रतिदिन 25 लाख बैरल तक के निर्यात का लक्ष्य है और इससे कच्चे तेल के दामों में और कमी आएगी जिससे तेल वैश्विक स्तर पर सस्ता हो सकता है. कच्चे तेल की बिक्री से ईरान को मिलने वाले उसके राजस्व में अगले साल तक 10 अरब डॉलर का इज़ाफा होगा. इस कड़ी में जो आगे फायदे होने वाले हैं वह प्रतिबंध हटने के बाद ईरान की जीडीपी में 2016-17 में पांच प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिसकी वृद्धि दर अभी लगभग शून्य जैसी है. इसके अतिरिक्त, ईरान प्रतिबंध हटने के बाद यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी एयरबस से 114 यात्री विमान ख़रीद पाएगा, जो अभी तक प्रतिबंधित है. भारत के सम्बन्ध में भी ईरान से प्रतिबन्ध हटने को विशेषज्ञ सकारात्मक मान रहे हैं, क्योंकि भारत की नीतियां अमेरिका और ईरान के बीच में सैंडविच की तरह हो रही थीं. अब निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच हर तरह के संबंधों में परिपक्वता आएगी.
इसके साथ-साथ भारत की मैंगलोर रिफ़ाइनरी ईरान से आने वाले तेल के परिशोधन करने के लिए ख़ास तौर पर डिज़ाइन की गई थी, उसको तेल मिलने लगेगा. जाहिर तौर पर, भारत अब ईरान से अधिक तेल और गैस आयात करना चाहेगा. ईरान में एक रुके हुए बड़े गैस प्लांट को लेने की भी पेशकश भारत ने की है. इस प्लांट पर पहले एक जर्मन कंपनी काम कर रही थी, जिसमें भारत अरबों डॉलर के निवेश का इच्छुक है. भारत ने ईरान में कई और तेल भंडार भी लिए हुए हैं तो, ईरान की सरकार ने नया निवेश आमंत्रित किया है, जिसमें भारत अब खुले रूप में शामिल हो सकेगा. उधर, ईरान भारत के लिए एक बड़ा बाज़ार साबित होगा. इस बदले हुए हालातों से पाकिस्तान भी सजग हो गया है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के साथ उसके सेना प्रमुख राहील शरीफ़ सऊदी अरब के साथ-साथ ईरान भी जाएंगे. जाहिर तौर पर, पाकिस्तान के इस दौरे को हाल में सऊदी अरब और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की पाकिस्तान की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. पाकिस्तान बखूबी जानता है कि अगर सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव लम्बे समय तक खींचे तो उसकी हालत सैंडविच के जैसी हो जाएगी और भारत इस बदले हालात का बखूबी फायदा उठा सकता है. हालाँकि, ईरान के मुख्यधारा में आने से निश्चित रूप से इस शिया बहुल देश के साथ पूरे विश्व को कच्चे तेल की कीमत नीचे रहने का फायदा मिलने वाला है तो सीरिया समेत दूसरी समस्याओं के सुलझने की उम्मीदें भी बढ़ गयी हैं.
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