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इसरो ने रची 'बेमिसाल' कामयाबी - ISRO launches 20 satellites, Hindi Article, Mithilesh

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आज़ादी के बाद से ही भारत अंतरिक्ष-क्षेत्र में अग्रणी रहने की कोशिशों में जुट गया था, जिसे विक्रम साराभाई से लेकर डॉ. अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिकों ने परवान चढाने में अपनी ज़िन्दगी झोंक दी तो इस मोर्चे पर लगभग सभी सरकारों ने 'इसरो' को सक्रीय सहयोग भी किया है. इसी क्रम में, इसरो ने एक बार फिर भारतवासियों को गौरव करने का मौका उपलब्ध कराया है. स्वदेशी राकेट पीएसएलवी-सी के द्वारा सिर्फ 26 मिनट में एक साथ 20 उपग्रह (ISRO launches 20 satellites) का प्रक्षेपण कर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया गया है. बताते चलें कि इससे पहले इसरो ने 2008 में एक साथ 10 उपग्रह छोड़े थे और इस बार की उपलब्धि के साथ ही भारत का नाम उन देशों में शामिल हो गया है जो एक साथ एक से ज्यादा उपग्रह छोड़ चुके हैं. पिछले कुछ दशकों पहले अंतरिक्ष में सिर्फ अमेरिका का ही व्यापक दबदबा था, तो रूस जैसे देश ने भी इसमें सक्रियता दिखाई थी. हालाँकि, अब अंतरिक्ष-क्षेत्र में अमेरिका की हिस्सेदारी मात्र 60 प्रतिशत ही रह गयी है. अगर एक साथ अधिक सैटेलाइट छोड़ने की बात करें तो अमेरिका ने 2013 में 29, जबकि रूस ने 2014 में एक साथ 33 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजा था और अब भारत ने एक साथ 20 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष की कक्षाओं में भेज कर अमेरिका और रूस के बाद 'इलीट क्लब' में शामिल हो गया है. 
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बताते चलें कि जो 20 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे गए हैं उनमें से 3 भारतीय और 17 विदेशी उपग्रह थे. जिसमें काटरेसैट-2 श्रृंखला का एक उपग्रह और दो चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय और पुणे के कॉलेड ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा तैयार उपग्रह था. बाकी के 17 उपग्रह अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के थे जो व्यापारिक दृष्टि से अंतरिक्ष में स्थापित किये गए हैं. जाहिर है, यह खबर सुनकर हर एक भारतीय को ख़ुशी होनी चाहिए, क्योंकि अब भारत की मदद अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़े और विकसित देश सहजता से लेने लगे हैं. अंतरिक्ष के असीमित क्षेत्र से भारत को कमाई के बड़े अवसर खुलने लगे हैं और इस का महत्त्व आने वाले दिनों में बढ़ते ही जाएगा, इस बात में दो राय नहीं! काटरेसैट-२ (ISRO launches 20 satellites) को पृथ्वी पर निरीक्षण के लिए भेजा गया है, जिसकी तस्वीरों से काटरेग्राफिक, शहरी, ग्रामीण, तटीय भूमि उपयोग, जल वितरण और अन्य प्रयोगों के लिए मददगार मिलेगी. जैसे कहीं सड़क बिछ रही है तो उस पर आसानी से प्रशासन नजर रख सकता है. ऐसे में सड़क का ठेका लेने वाली कंपनी झूठ बोलकर बेवकूफ नहीं बना पायेगी. ऐसे ही, जो पानी सरकार के द्वारा वितरित किया जाता है, उसका हिसाब भी आसानी से रखा जा सकता है. इससे भी बढ़कर बात यह है कि इसका मुख्य काम धरती की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी तैयार करना है. 
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काटरेसैट में खास तरह के कैमरे लगे हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पतिक या भूगर्भीय परिवर्तन को बारीकी से पहचान सकेगा. इस सेटेलाइट के जरिए भारत ये सही-सही जान सकता है कि कहाँ पर किस तरह के और कितने जंगल हैं! साथ ही नदियों के कटाव और पहाड़ों के उत्खनन के बारे में सटीक जानकारी भी इस सैटेलाइट के जरिए मिल पाएगी. इसी कड़ी में, सत्याभामा सैट उपग्रह ग्रीन हाउस गैसों के आंकड़े एकत्र करेगा, तो पुणे का स्वायन उपग्रह हैम रेडियो कम्युनिटी को संदेश भेजने का काम करेगा. मतलब जितने महत्वपूर्ण कार्य इन सैटेलाइट्स से हो सकते हैं, उसे करने के उद्देश्य के तहत, इस कामयाबी के साथ इन सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में स्थापित करने वाले राकेट PSLV का मान दुनिया भर में बढ़ गया है. कई हलकों में इसे सफलतम रॉकेटों में गिना जा रहा है. यदि तकनीकी दृष्टि से बात करें तो, इस सेटेलाइट का वजन 725.5 किलोग्राम है. भारत का अपना बनाया हुआ राकेट 44 मीटर ऊंचा है. बताते चलें कि इसरो ने मंगलयान और चंद्रयान को भी PSLV की मदद से ही अंतरिक्ष में भेजा था. जाहिर तौर पर यह एक बेहद मजबूत और सक्षम प्लेटफॉर्म की तरह व्यवहार कर रहा है और ऐसे में इसकी साख बढ़ने ही वाली है. 
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1993 से लेकर अब तक इसरो  ने पीएसएलवी (PSLV) की मदद से, 39 भारतीय और 74 विदेशी सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में पहुंचाए है. और इसके साथ ही  अपनी 36वीं उड़ान के साथ पीएसएलवी (PSLV) दुनिया का सबसे भरोसेमंद 'सॅटॅलाइट लांच वेहीकल' बन गया है. यह जानना बेहद दिलचस्प है कि ग्लोबल सैटेलाइट इंडस्ट्री 13 लाख करोड़ रुपए (ISRO launches 20 satellites) की है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 4 फीसदी से भी कम है, लेकिन इसरो की लगातार बढ़ती सफलता से भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है. एक बात और गौर करने लायक है कि दुनिया की बाकी सैटेलाइट लॉन्चिंग एजेंसियों के मुकाबले इसरो की लॉन्चिंग 10 गुना सस्ती है. मतलब सोने पर सुहागा! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की इस सफलता पर बधाई देते हुए कहा है कि ‘हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम ने समय-समय पर लोगों के जीवन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी क्षमता को दिखाया है.’ पिछले कुछ साल में हमने दूसरे देशों की उनके अंतरिक्ष कदमों में मदद करने में विशेषज्ञता और क्षमता विकसित की है. प्रधानमंत्री की बात बिलकुल सत्य है और इसरो ऐसे ही कामयाबी के कीर्तिमान गढ़ते हुए देश का सम्मान बढ़ाता रहे, इस बात की दुआ आज हर भारतीय के हृदय में है.

- मिथिलेश कुमार सिंहनई दिल्ली.



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