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... तो क्या 'अन्ना हज़ारे' फिर मैदान में आएंगे? Anna Hazare, Movement, Hindi Article, New, Black Money, Political Parties Under RTI Act, Lokpal Aandolan



अन्ना हज़ारे को भला कौन नहीं जानता है! उनके देशव्यापी आंदोलन ने ही कांग्रेस पार्टी को सबसे बुरा दिन दिखा दिया, जिसमें उसकी सीटें किसी क्षेत्रीय पार्टी, यानी मात्र 44 तक सिमट कर रह गयीं, तो भारतीय जनता पार्टी को अपने सबसे अच्छे दिनों में लाने में भरपूर मदद भी कर दी. ये दो बड़े प्रभाव अन्ना हज़ारे के नाम से उत्पन्न हुए तो थोड़ा बहुत जो इस आंदोलन का प्रभाव इधर-उधर छिटक गया था, उसे अरविन्द केजरीवाल ने लपक लिया और दिल्ली की गद्दी पर झटके से सवार हो गए. खैर, जो जानकारी छन-छनकर सामने आ रही है, उसके अनुसार अन्ना हज़ारे एक बार फिर मैदान में आने की तैयारी (Anna Hazare, Movement, Hindi Article, New, Black Money, Political Parties Under RTI Act) कर रहे हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि महात्मा गाँधी और जयप्रकाश नारायण के बाद यदि किसी के लिए पूरा देश एक साथ हुआ है तो वह अन्ना हजारे ही रहे हैं, किन्तु जैसे बाद में गाँधी और जेपी के शिष्यों ने उन्हें दरकिनार कर दिया था, ठीक वैसे ही अन्ना के तथाकथित शिष्यों ने उनके साथ भी वही किया. आज से ठीक पांच साल पहले अगस्त 2011 में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन में पूरा देश इकठ्ठा हुआ था. तब इसी समाजसेवी अन्ना हज़ारे के उस आंदोलन के आंदोलनकारी भ्रष्टाचार को मिटने के लिए राजनीति में आये और उन्होंने सत्ता में कदम भी जमा लिया, लेकिन भ्रष्टाचार को मिटाने की बजाय कथित तौर पर और बढ़ावा ही दे दिया. अन्ना हज़ारे उस आम आदमी पार्टी से ज्यादा दुखी हुए, जिसमें कथित तौर पर उनके शिष्य सबसे ज्यादा हैं, क्योंकि इसके विधायकों और कार्यकर्ताओं पर आये दिन कोई न कोई इल्जाम लगता ही रहता है. 

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ऐसे में आंदोलन के उद्देश्य की ऐसी-तैसी हो गयी है, तो लोकपाल को 'जोकपाल' बना कर औपचारिकता पूरी कर दी गयी है. ऐसे में इसी लोकपाल के लिए अन्ना हजारे एक बार फिर रामलीला मैदान में पहले की तरह ही धरना करने की तैयारी में हैं. इस बीच बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या पहले की ही तरह भारत की जनता एक बार फिर अन्ना का साथ देगी? अपने पुराने अनुभवों पर अन्ना का कहना है कि किसी के मन में क्या चल रहा है, जानना बहुत ही मुश्किल है. तो ऐसे में अन्ना कहते हैं कि महात्मा गाँधी के सिद्धान्तों का पालन करते हुए आंदोलनकारियों का किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ना ठीक नहीं (Anna Hazare, Movement, Hindi Article, New, Black Money, Political Parties Under RTI Act, Aam Aadmi Party, Arvind Kejriwal) है और कमोबेश अन्ना के संभावित आंदोलन की यही लाइन भी होगी. इसके पीछे उनका तर्क है कि पार्टी से जुड़ने के बाद तो आप देश के उज्जवल भविष्य को भूल ही जाइये. अपने पुराने अनुभव पर आह भरते हुए अन्ना कहते हैं कि उनके पुराने संगठन के सहयोगियों का दिल राजनीति में आ गया और उन्होंने पार्टी बना भी ली, तो बाकी बचे लोगों ने दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली. ऐसे में पिछली गलतियों से सीखते हुए इस बार जो संगठन हैं उसके सदस्यों को पहले ही किसी भी राजनीतिक पार्टी से दूर रहने और कभी भी चुनाव नही लड़ने का संकल्प लेना होगा. हालाँकि, यह बड़ा अजीब और अविश्वसनीय संकल्प ही होगा, क्योंकि शायद ही ऐसे संकल्प को व्यवहार में लाये. खैर, देखना दिलचस्प होगा कि पिछली बार की गलतियों से सीख लेते हुए अन्ना आगे किस प्रकार बढ़ते हैं और उनके साथ आखिर आता कौन है? 

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इस बीच अगर हम दुसरे तथ्यों की ओर दृष्टि दौड़ाते हैं तो पाते हैं कि लोकपाल पारित हो चुका है, किन्तु उसे व्यवहार में नहीं लाया जा सका है. ऐसे में अन्ना इसे पारित कराने पर ज़ोर लगाएंगे! उनके अनुसार केंद्र सरकार लोकपाल को अमल करने में ज्यादा दिलचस्पी नही ले रही है और इसलिए  इस बार संगठन के दबाव में सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए आंदोलन करेंगे. हालाँकि, उन्होंने अपनी ओर से क्लियर करने की भी कोशिश की है कि यह आंदोलन किसी भी राजनीतिक पार्टी के विरोध में न होकर सिस्टम के विरोध में होगा. सच्चे मन से गांधीवादी अन्ना हजारे को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गए वादों को पूरा नही करने का भी मलाल है. भले ही नरेंद्र मोदी भारत की व्यवस्था को ठीक करने (Anna Hazare, Movement, Hindi Article, New, Black Money, Political Parties Under RTI Act, PM Narendra Modi) और आगे बढ़ाने के लिए लगातार लगे हुए हैं, लेकिन काला धन का अभी तक देश में नही लौटना देश के नागरिकों के साथ-साथ अन्ना हजारे को भी सवाल पूछने का मौका दे रहा है. इसके साथ ही राजनीतिक दलों की आर्थिक व्यवस्था को सार्वजनिक न करने की बात पर एकता से भी अन्ना नाराज हैं. हालाँकि, यह सवाल तो आम जनता भी पूछती है कि राजनीतिक दलों को खुद को आरटीआई के दायरे में लाने पर आपत्ति क्या है? ऐसे में अगर अन्ना आते हैं मैदान में तो थोड़ा बहुत पब्लिक सपोर्ट भी मिल सकता है, किन्तु इसकी डगर निश्चित रूप से काफी कठिन होगी, पर जो कठिन को आसान कर दे, वही तो आंदोलनकारी है और अन्ना हज़ारे ने महाराष्ट्र सहित पूरे देश को दिखला दिया है कि वह एक आंदोलनकारी और लोगों को प्रेरित कर सकने वाले मजबूत चेहरा हैं. लोगों की दिलचस्पी उनके संभावित साथियों में भी है, जिनका सामने आना अभी बाकी है तो आंदोलन का अजेंडा भी तय करने में समय लग सकता है.

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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