बिहार के सुशासन बाबु ने चुनाव के दौरान किये गए वादे को पूरा करने के लिए इस साल अप्रैल में शराब को पूरी तरह से बंद करने की घोषणा कर दी. इसके उपरांत बिहार देश का चौथा ड्राई स्टेट तो बन गया, पर इसके साथ रोज कुछ न कुछ सवाल भी उठने लगे, जिसमें ताड़ी से लेकर शराब की तस्करी तक की बातें कही गयीं. सीधा सवाल उठा कि क्या सही मायने में बिहार शराब मुक्त हो गया है ? इसका अंदाजा गोपालगंज जिले में हुई हालिया घटना से लगाया जा सकता है, जिसमें जहरीली शराब पीने से 18 लोगों की मौत (Bihar, Dry State, Nitish Kumar, Gopalganj District) हो गई है. हालाँकि जिला प्रशासन यह बात मानने को तैयार नही था, जबकि मृतकों के परिजनों का कहना है कि मौत शराब पीने से ही हुई है. अब बात जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यही आयी तो मजबूर होकर पूरे का पूरा थाना ही नीतीश कुमार ने सस्पेंड कर दिया. नगर थाना के प्रभारी समेत सभी 25 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया, तो जिला प्रशासन ने 14 लोगों के ख़िलाफ़ अवैध शराब के कारोबार में संलिप्त रहने के आरोप में नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज की. गौरतलब है कि कथित तौर पर शराब के सेवन से मरने वालों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है. यह मामला अवश्य ही नीतीश कुमार को हिला रहा होगा, क्योंकि यह उनकी इज्जत का सवाल जो है. आखिर, कभी उत्तर प्रदेश तो कभी किसी और प्रदेश में घूम-घूम कर बिहारी बाबू शराबबंदी की नसीहत दे रहे थे, किन्तु इस घटना ने समस्या की अंदरूनी परतों को उजागर कर दिया है.
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देखा जाय तो जब से बिहार में शराब को बंद किया गया है, तब से जहरीले और जानलेवा मादक पदार्थो का बाजार गर्म हो गया है. ऐसे में शराब के नाम पर लोग मिलावटी देशी शराब और अल्कोहल वाली दवाओं के साथ साथ स्प्रिट का सेवन कर रहे हैं, जिसके बाद उनको अपनी जान से हाथ धोना तक धोना पड़ जा रहा है. इस पूरे वाकये का सर्वाधिक दुःखद पहलु तो यह है कि इन सब लापरवाहियों का शिकार बिचारा गरीब ही हो रहा है, क्योंकि अमीर तबका तो यहाँ वहां से अपना जुगाड़ कर ही लेता है. गोपालगंज जिले में जितने लोगों की मौत हुई है, उनमें से कोई रिक्शा चालक (Bihar, Dry State, Nitish Kumar, Gopalganj District, Poor people dead) तो कोई रेहडी वाला या फिर मजदुर ही है. ऐसे में क्या सरकार उन कारणों का तलाश करना चाहेगी कि आखिर शराब बंद होने के बाद भी इन लोगों को शराब क्यों और किस जरिये मिली? बात कहीं न कहीं जाग्रति और काउंसिलिंग की भी है, क्योंकि जब तक योजनाओं और उसके उजले पक्ष के बारे में बार-बार हर बार नहीं बताया जायेगा, तब तक लोगबाग़ उसे हल्के में लेते ही रहेंगे. बिहार सरकार के लिए यह भी बड़ी चिंता की बात होनी चाहिए कि बिहार में अप्रैल से पूर्णतः शराब बंद होने के बाद से उत्तर प्रदेश बिहार बॉर्डर पर स्प्रिट का पकड़े जाना, कई नेताओं (जिसमें जदयू के नेता भी शामिल है) के घर शराब का मिलना कोई बड़ी बात नही है. ऐसे में साफ़ है कि मामला किस स्तर से ख़राब हो रहा है.
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सरकार में शामिल लालू यादव की पार्टी राजद के कई लोग शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार की आलोचना कर चुके हैं तो जाहिर है इस अभियान का जनता में सही प्रभाव तो नहीं ही पड़ेगा. छापेमारी में रोज कहीं न कहीं से शराब, देशी शराब, महुआ शराब मिल जा रही है, तो फिर यह सवाल उठना लाजमी ही है कि आखिर इन लोगों को उत्साह कहाँ से मिल रहा है? आखिर कोई तो है जो इन्हें सपोर्ट कर रहा है और जिसकी पहुँच सरकार और प्रशासन तक भी है. हालाँकि गोपालगंज केस में 25 पुलिसकर्मियों के साथ साथ पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को भी निलंबित किया गया है और आगे की कार्यवाही (Bihar, Dry State, Nitish Kumar, Gopalganj District, Policemen Suspension) भी होनी हैं, पर इस पूरे वाकये ने राज्य में सरकार की शराबबंदी की पोल खोल कर रख दी है. थोड़ी ईमानदारी से देखा जाए तो शराब को पूरी तरह से बंद करने वाला बिहार देश का चौथा राज्य है, लेकिन ऐसा भी नही है कि इसके पहले जो तीन ड्राई स्टेट हैं, वहां से जहरीली शराब पीकर मरने की खबर नही आती. यदि गुजरात की ही बात करें तो यहाँ पिछले 56 सालों से शराब पूरी तरह से बंद है. उसके बाद भी यहाँ पिछले कुछ सालों में 2500 करोड़ की अवैध शराब पकड़े जाने के साथ ही 150 लोगों की मौत भी हुई है. कमोबेश ऐसा ही हाल दूसरी जगहों का भी है.
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ऐसे में साफ़ तौर पर लोगों में जाग्रति और उन्हें प्रेरित करने की जरूरत महसूस होती है, जिसे शायद ठीक ढंग से अब तक नहीं किया जा सकता है. नीतीश कुमार ने निश्चित रूप से यह एक बढ़िया कदम उठाया है, किन्तु दुसरे राज्यों में जा जाकर अपनी पीठ थपथपाने और राजनीतिक फायदा लेने की सोचने से पहले अपने राज्य के कील-कांटे दुरुस्त कर लेने चाहिए. यह बेशक एक बड़ा कदम है, किन्तु इतना आसान भी नहीं है कि कह दिया और लोगों ने शराब छोड़ दी! अरे कई शराबियों (Bihar, Dry State, Nitish Kumar, Gopalganj District, Tuff Task at Execution Leval) के घर-बार इसके चक्कर में बिक जाते है, तो कइयों के परिवार बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार को इन स्थितियों से निपटने का प्लान बनाना और उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए और इसके लिए उन्हें इधर-उधर घूमने की बजाय 'शराबबंदी' की निगरानी लगातार करनी होगी. अन्यथा बिहार की 'शराबबंदी' खोखली साबित हो जाएगी, इस बात में नीतीश को रत्ती भर भी शक नहीं होना चाहिए!
- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
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