Press Council Act 1978 in Hindi |
भारतवर्ष में पत्रकारों के हितों के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना हुई है, और अगर आप एक पत्रकार हैं, तो आपको प्रेस काउंसिल एक्ट 1978 के प्रावधानों को निश्चित तौर पर समझना चाहिए।
आपको बता दें कि, भारत में प्रेस की फ्रीडम और न्यूज़ पेपर और समाचार एजेंसियों के स्टैंडर्ड को बनाए रखने के लिए ही प्रेस परिषद की स्थापना हुई थी, और उसी संदर्भ में यह एक्ट लाया गया।
अगर इस काउंसिल की स्ट्रक्चर की बात करें, तो इसमें एक अध्यक्ष और 28 सदस्यों के साथ मिलाकर इसे बनाया गया है। अध्यक्ष के बारे में बात करें, तो अध्यक्ष इसमें वही व्यक्ति होता है, जिसका समिति द्वारा नाम दिया जाता है। यह समिति राज्यसभा के सभापति, लोकसभा के अध्यक्ष और उपधारा 6 के अधीन परिषद के सदस्यों द्वारा निर्वाचित एक व्यक्ति से मिलकर बनेगी, अर्थात आप इसे साधारण भाषा में सर्वोच्च मान सकते हैं। इसे ऑथेंटिक मान सकते हैं।
इसमें और भी कई प्रावधान हैं, किंतु हम चलते हैं उस तरफ, जो हमारे और आप जैसे पत्रकारों के लिए जरूरी विषय हैं।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण भाग है कि प्रेस काउंसिल की क्या पावर है, और उसका क्या कर्तव्य है? उसकी शक्तियां क्या हैं, और क्या उसके कृत्य हैं?
तो आपको बताते चलें कि इनमें सबसे पहला उद्देश्य है भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और समाचार पत्रों एवं समाचार एजेंसियों के स्टैंडर्ड को बनाए रखना एवं उनमें सुधार करते रहना।
इसी प्रकार से इन समाचार पत्रों एवं एजेंसियों के साथ-साथ पत्रकारों के लिए भी एक आचार संहिता बनाना।
बता दें कि प्रेस काउंसिल ही यह सुनिश्चित करती है, कि समाचार-पत्रों, समाचार एजेंसियों और दूसरे पत्रकारों से लेकर लोगों की रूचि के हाई स्टैंडर्ड को बनाए रखने के लिए नागरिकों के अधिकारों और उत्तरदायित्व की भावना को मजबूत करें।
अब पत्रकारों की बात की जाए, तो इस पेशे में जो भी पत्रकार लगे हुए हैं, उनमें जिम्मेदारी और लोक सेवा की भावना को प्रोत्साहित करना भी प्रेस काउंसिल का ही दायित्व है। अर्थात जो भी पत्रकारिता कर रहे हैं, वह जिम्मेदारी पूर्वक पत्रकारिता करें, और जनता की सेवा-भावना से ओतप्रोत होकर पत्रकारिता करें। इस बात के लिए प्रेस काउंसिल लगातार प्रोत्साहित करती रहती है।
हालांकि बता दें कि, अगर प्रेस काउंसिल को लगता है कि कोई पत्रकार या कोई समाचार पत्र या एजेंसी लोक भावना के विपरीत कार्य कर रही है, लोगों के हितों के विपरीत कार्य कर रही है, तो वह उस पर जांच कर सकती है, और अगर आवश्यक लगता है, तो समाचार पत्र, संपादक या पत्रकार को चेतावनी दे सकती है, उसकी निंदा कर सकती है।
इसी प्रकार से एक महत्वपूर्ण भाग यह है, जिसमें प्रेस काउंसिल की पावर स्पष्ट होती है, और वह किसी भी समाचार पत्र, समाचार एजेंसी, संपादक या पत्रकार को किसी प्रकाशित खबर का सोर्स प्रगट करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।
वहीं काउंसिल द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि, परिषद द्वारा की गई प्रत्येक जांच भारतीय दंड संहिता की धारा 193 और धारा 228 के अर्थ में न्यायिक कार्यवाही समझी जाएगी। हालांकि काउंसिल एक्ट में यह बात भी कही गई है, कि परिषद किसी ऐसे मामले में जांच करने की शक्ति नहीं रखती है, जिसके बारे में कोई कार्यवाही पहले से न्यायालय में चल रही हो।
आप कहेंगे इन सब चीजों का एक पत्रकार से क्या संबंध है, तो यह जान लीजिए कि पत्रकारिता के पेशे में बहुत सारे विवाद, बहुत सारी समस्याएं आती रहती हैं। ऐसी अवस्था में अगर प्रेस काउंसिल आफ इंडिया में पत्रकारों के खिलाफ कोई शिकायत करता है, या एक पत्रकार शिकायत करता है, तब प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की ये तमाम शक्तियां विवादों के निपटारे में सहायता प्रदान करती हैं।
अगर आप काउंसिल एक्ट 1978 के बारे में और डिटेल में जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए पीडीएफ लिंक पर जाकर पूरे डिटेल में इसे पढ़ सकते हैं: https://www.presscouncil.nic.in/WriteReadData/Pdf/ACT_1978_Hindi.pdf
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Web Title: Press Council Act 1978 in HIndi, Premium Unique Content Writer, Hindi Editorial Articles
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