नए लेख

6/recent/ticker-posts

आतंक और पाक एक ही हैं मोदीजी!

कभी-कभी खोटे सिक्के कह लें या फिर अगम्भीर व्यक्ति भी सामूहिक दिलों की भड़ास को एक स्वर दे देते हैं, जो काबिल और जिम्मेदार व्यक्तित्व भी नहीं दे पाते. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने पठानकोट आतंकी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जो करारा हमला बोला है, निश्चित रूप से उसने कई दिलों के ज़ख्मों पर कुछ मरहम का काम किया होगा. सोशल मीडिया पर अपनी अनर्गल बयानबाजी के लिए बदनाम रहे दिग्गी बाबू ने इस बार सटीक निशाना साधते हुए यह कह दिया कि पिछले साल दिसंबर के आखिरी हफ्ते में नवाज शरीफ की नातिन की शादी में अचानक पहुंचकर पीएम मोदी ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का जो हाथ बढ़ाया था, उस दोस्ती के जवाब में पाकिस्तान ने भारत में आतंकी भेजे हैं. जाहिर है, न केवल दिग्विजय बाबू बल्कि मोदी के अचानक 'हीरो-विजिट' से सुरक्षा विश्लेषक भी कई तरह की आशंकाएं जता रहे थे, जो नए साल की शुरुआत में ही ठीक साबित होती दिख रही हैं. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि ये सीधे तौर पर इंटेलीजेंस की नाकामी है. भारतीय वायु सेना के पठानकोट स्थित एयरबेस पर हुए चरमपंथी हमले से वहां के स्थानीय लोग काफ़ी दर्द और गुस्से में हैं और वह बड़ी तादाद में एयरबेस के दरवाजे के बाहर इकट्ठा होकर पाकिस्तान के ख़िलाफ नारे लगा रहे हैं. यहाँ यह बड़ा सवाल उठता है कि उनके गुस्से और दर्द का अहसास दिल्ली स्थित पीएम हाउस पहुँच रहा है कि नहीं? आखिर, किरण रिजीजू और खुद गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस हमले में सीमापार का हाथ होने को एक तरह से स्वीकार कर चुके हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतनी सहजता से यह कहकर किस प्रकार पल्ला झाड़ सकते हैं कि 'यह मानवता के दुश्मनों का हमला है!' कुछ समय पहले तक इस प्रकार के हमले पाकिस्तान प्रायोजित हमले होते थे और अब यह मानवता के दुश्मनों के हमले हो गए?

आखिर, शब्दों में यह झोल किसलिए और इससे क्या हासिल हो जायेगा? आखिर, प्रधानमंत्री मोदी और एनएसए डोवाल ने यह मिशन पाकिस्तान क्यों शुरु किया और पहले क्यों नहीं, यह इन दोनों के अलावा अब तक अँधेरे में है! प्रधानमंत्री मोदी की 'हीरो-स्टाइल' में पाकिस्तान विजिट के सन्दर्भ में कयास पर कयास लगते रहे हैं, जैसे नवाज शरीफ से तो प्रधानमंत्री कई बार मिल चुके हैं, तो क्या लाहौर-यात्रा इतनी ज्यादा जरूरी थी कि आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि और भविष्य की 'जुबान' पर ताला तक लगा देने का खतरा मोल लिया गया? आखिर, आज पठानकोट हमले पर पूरी की पूरी सरकार बैकफुट पर है कि नहीं? सभी वीआईपी इस सधे तरीके से बयान दे रहे हैं, मानो वह पाकिस्तान को बचाने की कोशिश में ज्यादा लगे हों! आखिर, सीधी कूटनीति और राजनीति उससे की जाती है, जहाँ कुछ बदलाव की गुंजाइश हो और वह पाकिस्तान में रंच-मात्र भी तो नहीं है! कौन नहीं जानता है कि पाकिस्तान में असली सत्ता नवाज शरीफ के नहीं, बल्कि सेना के हाथ में हैं. शरीफ एक तो पाकिस्तान की परंपरागत नीति के विपरीत कुछ करने की हालत में नहीं हैं और कुछ भी करेंगे, तो पाकिस्तान की सेना उस पर कारगिल स्टाइल में पानी फेर देगी और फेरती ही रहेगी. बेशक, नवाज शरीफ ने सेना के ही जनरल जंजुआ को ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बना लिया हो और इसको सेना के साथ अपनी वार्ता मानकर मोदी ने पाकिस्तान की तरफ हाथ बढ़ाया हो, किन्तु 'पठानकोट' ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि 2016 की शुरुआत में ही एक पुराना गिफ्ट, नए रैपर में लपेट कर पाकिस्तानी सेना ने दे दिया है. यह सोचना अपने आप में बड़ी मूर्खता होगी कि वगैर पाकिस्तानी सेना के सपोर्ट के जैश या लश्कर, भारत विरोधी गतिविधियाँ करने की थोड़ी भी कोशिश करेंगे. वह पाकिस्तान में बेशक कुछ आत्मघाती हमले कर लें, किन्तु भारत के सन्दर्भ में उनकी प्रत्येक रणनीति 'आईएसआई' के मार्क से बाकायदा अप्रूव होती है. यह भी समझना दिलचस्प है कि मोदी के पाकिस्तान विजिट के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी पठानकोट हमले पर 'चलताऊ-प्रतिक्रिया' ही आयी है. 

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि अमेरिका भारतीय वायुसेना के पंजाब स्थित एक स्टेशन पर हुए हमले की कड़ी निन्दा करता है. वाह! क्या जबरदस्त 'निंदा-प्रस्ताव' है मानवता के दुश्मनों को... !! अपनी जुबान हमने सिल लिया और उनको हमसे कुछ लेना देना नहीं .... !! मोदीजी को समझना होगा कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की मजबूरियों और पेचीदगियों को अगर हीरो-स्टाइल में ही सुलझाया जा सकता तो अब तक चार बड़े युद्ध और 70 साल का खुनी इतिहास न होता! बात सिर्फ पठानकोट की ही नहीं है, बल्कि पठानकोट के बाद अब दिल्ली में आतंक का ख़ुफ़िया अलर्ट है. खुफिया एजेंसियों ने चेताया है कि दिल्ली में जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी हो सकते हैं और जनता समेत सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना रहने की आवश्यकता है. और अब तो आतंकियों के हौंसले इसलिए भी बढ़ जायेंगे कि अब पाकिस्तानी सेना और प्रशासन पर सीधे हमले नहीं हो रहे हैं. कहीं कोई अख़बार, कहीं कोई बयान उसके खिलाफ नहीं... जबकि, हकीकत तो सबको ही पता है! इस बारे में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और राष्ट्रवादी छवि की दृढ़ता से बेशक आम जनता उन पर सीधे हमले नहीं कर रही है, किन्तु एकाध और आतंकी हमलों के बाद शिवसेना की वह टिप्पणी सही साबित हो सकती है कि जिस भी नेता ने पाकिस्तान से करीबी बढ़ाने की कोशिश की, उसने उसे राहु-केतु की भांति डंस लिया है. पठानकोट हमले पर ही, न केवल कांग्रेस, बल्कि बीजेपी के अंदर से भी ऐसी मांग उठ रही है कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं हो सकती है. इस तरह की मांग की वकालत करने वालों में बीजेपी के प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री शामिल हैं. प्रधानमंत्री को यह समझना होगा कि पाकिस्तान अपनी रणनीति बदलने से तो रहा, क्योंकि उसने अगर यह गलती की तो न केवल वह टुकड़ों में बंट जायेगा, बल्कि चीन को नाराज होने का एक बड़ा जोखिम भी उसके सर पर आ जायेगा. आखिर, विदेशी-अनुदान और भारत-विरोध ही तो पाकिस्तान की राष्ट्रीय पहचान है! ऐसे पीएम के एक एक्जीक्यूटिव-स्टाइल में लाहौर जाने से आतंकी हमलों पर पूरे देश का मुंह सिल गया है. पहले देश में यह चर्चा होती थी कि आतंक से किस प्रकार निपटें, किन्तु आज भीतर ही भीतर यह चर्चा हो रही है कि 'मोदी जी ने यह क्या किया'? उन्होंने पाकिस्तान पर नहीं, बल्कि आतंकियों पर 'सॉफ्ट-कार्नर' किस प्रकार पचा लिया? क्योंकि आतंक और पाकिस्तान एक ही तो हैं ... या फिर शक है इस बाबत किसी को? 

Mithilesh hindi article on pathankot terror attack, narendra modi policy about pakistan, 

शताब्‍दी एक्‍सप्रेस, गाजियाबाद, ट्रेन में बम, मुंबई एटीएस, Shatabdi Express, Ghaziabad, bomb threat in Train, Bomb scare, पठानकोट हमला, एयरफोर्स बेस पर हमला, राजनाथ सिंह, खुफिया एजेंसी, सुखबीर सिंह बादल, पंजाब, आतंकवादी हमला, Pathankot Attack, Rajnath Singh, Airforce base, intelligence agencies, Sukhbir Singh Badal, जैश-ए-मोहम्मद, दिल्‍ली, आतंकी, दिल्‍ली पुलिस, Jaish e Mohammed, Delhi, terrorist, अमेरिका, आतंकी हमला, जैश ए मोहम्‍मद, Pathankot, USA, Terrorist attack in pathankot, Jaish e Mohammed, नरेंद्र मोदी, नवाज शरीफ, पाकिस्‍तान यात्रा, Narendra Batra, Nawaj sharif, Pakistan tour, pm modi's pakistan tour, pm narendra modi's afgansitan tour, पीएम मोदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनीति, Politics, विदेश, overseas

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ