'देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें', इस गीत का मतलब जितना समझने की कोशिश की जाय, उतनी ही गहराई नज़र आती है. वस्तुतः, देश हमें क्या नहीं देता और वह भी जब भारत जैसे उदार, लोकतान्त्रिक और सर्व धर्म समभाव वाले देश की बात हो तो यह बात और भी विशेष हो जाती है. किन्तु, कुछ समझदार और खुद को बुद्धिजीवी समझने वाले जीव भी इस तथ्य को कितनी आसानी से भुला देते हैं, यह बात 'आमिर खान' से बेहतर कौन समझ सकता है? पिछले दस सालों से 'अतुल्य भारत' की पहचान बन चुके आमिर खान अब इस जिम्मेदारी से मुक्त किये जा चुके हैं. हालाँकि, 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की भारी जीत के बाद जिस तरह से आमिर खान प्रधानमंत्री मोदी से मिले थे, उसे लेकर यह कयास लगाए जा रहे थे कि यह आपसी रिश्ते सुधारने की एक कवायद है. किन्तु, 2015 के आखिर में जिस तरह आमिर खान ने 'सहिष्णुता-असहिष्णुता' के मुद्दे में गैर जरूरी रूप से हाथ डाला, उससे उनका हाथ जलना तय हो गया था. ऐसा भी नहीं है कि यह सिर्फ सरकार के स्तर पर ही हो, बल्कि आम जनमानस को भी आमिर खान के इस कदम से गहरा धक्का पहुंचा था. दादरी प्रकरण निश्चित रूप से एक बेहद दुखद प्रकरण था, किन्तु उसे लेकर जिस प्रकार से पूरे देश को नीचा दिखाने का प्रयत्न किया गया, उसने घृणास्पद-राजनीति का ही एक चेहरा प्रस्तुत किया था. कांग्रेस, वामपंथी, सत्ता के चाटुकारों द्वारा बिहार चुनाव से पहले जी-जान लगा दिया गया कि 'मोदी सरकार' को बदनाम किया जाय. इसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे, किन्तु 'मोदी और देश' में फर्क किये बिना 'देश' की प्रतिष्ठा को भी राजनीति की बिसात पर मोहरा बना दिया गया. चूँकि, आमिर खान की छवि सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई और देशभक्त के रूप में उन्होंने स्थापित की है, इसलिए लोगों को इस बात से बेहद आश्चर्य हुआ कि वह इतनी सस्ती राजनीति कैसे कर सकते हैं? अथवा इस तुच्छ राजनीति का उनके जैसा मिस्टर परफेक्शनिस्ट शिकार भी किस प्रकार हो सकता है? इस पूरे प्रकरण से कहीं न कहीं यह भी साबित हुआ कि 10 साल से भारत की प्रशंसा करके दुनिया को लुभाने वाला व्यक्ति अचानक किस प्रकार चेंज हो गया, या फिर उसने देश को समझा ही नहीं?
आखिर, 3650 दिन, यानी 87600 घंटे एक व्यक्ति भारत को अतुल्य बताता है और मात्र कुछ दिनों की राजनीति में ही, वह 'देश छोड़ने की बात' करने लगता है! इस राजनीति की कीमत उन्हें चुकानी ही थी, और सरकार ने उन्हें 'अतुल्य भारत' कैम्पेन से हटाकर एक तरह से उन पर अहसान ही किया है! क्योंकि, उन्हें भारत के ऊपर प्रश्न उठाकर नैतिक रूप से इस कैम्पेन से जुड़ने का हक़ था ही नहीं! चूँकि, आमिर सरोकारों से जुड़े व्यक्ति रहे हैं, इसलिए वह प्रायश्चित करने की हिम्मत भी रखते हैं. सरकार द्वारा उन्हें हटाये जाने पर उन्होंने जो प्रतिक्रिया दी, इसमें प्रथम दृष्टया साफ़दिली और प्रायश्चित के स्वर ही नज़र आते हैं. मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से मशहूर बॉलीवुड अभिनेता ने 'अतुल्य भारत' अभियान के ब्रांड एंबेसडर के रूप में उनकी सेवाएं समाप्त करने के भारत सरकार के फैसले से न केवल सहमति जताई, बल्कि साथ में यह भी जोड़ा कि यह उनके लिए बड़े गर्व और खुशी की बात रही है कि वह 10 साल तक 'अतुल्य भारत' अभियान के ब्रांड एंबेसडर रहे. आगे उन्होंने यह भी जोड़ा कि 'अपने देश की सेवा करते हुए मैं खुश था और आगे भी देश की सेवा करता रहूंगा'. आमिर खान ने अपने स्पष्टीकरण में यह भी कहा कि 'वे साफ करना चाहते हैं कि उन्होंने आज तक जनसेवा से जुड़ी जितनी भी फिल्में की हैं, उनके लिए कोई पैसा नहीं लिया है क्योंकि देश की सेवा करना उनके लिए सम्मान की बात है और हमेशा रहेगी.' जाहिर है, खुद के कार्यों की सफाई देते हुए उन्हें कहीं न कहीं कोफ़्त भी हो रही होगी, लेकिन यह भारतीय सभ्यता ही है, जो 'प्रायश्चित' शब्द की बेहतरीन व्याख्या करती है. आने वाले दिनों में आमिर खान निश्चित रूप से खुद की छवि को निर्मल करना चाहेंगे.
जाते-जाते उन्होंने यह कह कर एक उम्मीद भी जताई कि 'मैं ब्रांड एंबेसेडर रहूं या नहीं, भारत हमेशा 'अतुल्य' रहेगा! उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में आमिर खान से सीख लेकर तमाम जागरूक लोग, तुच्छ राजनीति से दूर रहने को तरजीह देंगे, विशेषकर 'देश की प्रतिष्ठा' पर प्रश्नचिन्ह उठाने के मामले में! देश की जनता का हृदय विशाल है और उम्मीद की जानी चाहिए कि वह आमिर खान को भी प्रायश्चित का अवसर जरूर देगी! आमिर खान जैसे व्यक्ति की 'अनर्गल बातों' को देश की जनता ने कितना दिल से लगाया, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि जिन ब्रांड्स का वह विज्ञापन करते थे, उसके सॉफ्टवेयर (एप) तक को मोबाइल से अनइंस्टॉल करने लगे थे लोग! और भी ब्रांड्स पर निश्चित रूप से असर पड़ा है. जाहिर है, देश के लोग कुछ भी बर्दाश्त कर सकते हैं, किन्तु देश का नमक खाकर, कोई देश पर ही थूकने की कोशिश करे, यह उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं होगा और होना भी नहीं चाहिए! आप किसी व्यक्ति के विरोधी हो सकते हो, किसी संस्था के विरोधी हो सकते हो, सरकार की आलोचना कर सकते हो, किन्तु 'देश' पर ऊँगली उठाने वालों से जनता का शांतिपूर्ण तरीके से नाराज होना वाजिब है! हालाँकि, अतुल्य भारत की 'अतुल्य जनता' बेहद नरमदिल है और आमिर खान यह बात बखूबी जानते हैं. अच्छा है, आमिर की मानसिकता भी अगर साफ़ हो रही है, तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए.
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