अभी पिछले साल की ही बात है, जब विवादित सिंगर मीका द्वारा थप्पड़ मरने की घटना पर एक डॉक्टर के कान का परदा फट गया था और उनको डिप्रेसन तक में जाना पड़ा! इस ममले में बॉलीवुड के सिंगर मीका सिंह को दिल्ली पुलिस ने अरेस्ट भी किया था, हालांकि मीका को तुरंत बेल भी मिल गई थी. तब पुलिस ने पीड़ित डॉ. श्रीकांत की शिकायत पर आईपीसी की धारा 323 और 342 में केस दर्ज किया था. गौरतलब है कि 11 अप्रैल 2015 को नई दिल्ली में मीका एक शो करने आए थे. कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली आफ्थैल्मालॉजी सोसाइटी की ओर से किया गया था, जिसमें कई डॉक्टर जुटे थे. शो जब खत्म होने वाला था तो अचानक से म्यूजिक रोक दिया गया और मीका ने अपने बाउंसरों को कहा कि भीड़ में मौजूद एक डॉक्टर को स्टेज पर लाएं. डॉक्टर श्रीकांत के स्टेज पर आते ही मीका की उनसे बहस हुई और उसके बाद गायक ने उन्हें थप्पड़ मार दिया. थप्पड़ लगने के चलते डॉक्टर ने कान का पर्दा फटने की शिकायत की थी तो एक अन्य खबर के मुताबिक, इस घटना के बाद डॉक्टर श्रीकांत डिप्रेशन में चले गए थे. बात-बेबात पर बड़ी सेलिब्रिटीज द्वारा किसी आम व्यक्ति को थप्पड़ मार देना एक शगल सा बन गया था, लेकिन हाल ही में उच्चतम न्यायलय के फैसले से जो नज़ीर निकली है, उसका असर निश्चित रूप से दूर तलक तक जायेगा! साल 2008 में संतोष राय नाम के एक युवक को थप्पड़ मारने के मुक़दमे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गोविंदा बिना शर्त माफ़ी मांगने और 5 लाख रुपये हर्जाना देने को तैयार हो गए हैं. इस मामले में, गोविंदा ने पत्रकारों के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि "मैं न्यायालय और अपने फ़ैन्स का सम्मान करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को स्वीकार करता हूं." हालाँकि, कांग्रेस पार्टी के सांसद रह चुके गोविंदा ने इस मामले में राजनीतिक साज़िश के सवाल की बात भी दबी जुबान में कह ही दी कि, "हो सकता है आपको जल्द ही पता लग जाए कि यह एक राजनीतिक साज़िश थी या नहीं .... ." थप्पड़ मारने की यह घटना 16 जनवरी 2008 की है.
इस मामले में कई सीढ़ियां तय करने के बाद आख़िरकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "आप हीरो हैं, आप किसी को थप्पड़ क्यों मारते हैं?" आपकी फिल्मों को हम भी एंजाय करते हैं, लेकिन आप किसी को मारें, यह हम बर्दाश्त नहीं कर सकते. और 'रील के साथ रियल लाइफ' में अंतर समझिए. कोर्ट ने इस बारे में कहा था कि आम आदमी को आप थप्पड़ मारें यह शोभा नहीं देता. आप बड़े हीरो हैं, बड़ा दिल भी रखिये! साफ़ है कि अदालत ने इस मामले में निष्पक्ष न्याय की उम्मीद को ज़िंदा रखा, क्योंकि संतोष राय जैसे कई लोग हैं, जो थप्पड़ की मार से उबर नहीं पाते और समाज में एक तरह से दरकिनार कर दिए जाते हैं! हालाँकि, गोविंदा ने बताया कि वो "पहले भी संतोष से मिल चुके हैं तथा वे जल्द ही संतोष राय से मिलकर अदालत के आदेश का पालन करेंगे. खैर, गोविंदा अब तो अदालत के आदेश का पालन करेंगे ही, लेकिन काश उन्होंने पहले ही इस मामले को संजीदगी से लिया होता तो न उनकी किरकिरी हुई होती और न ही संतोष को इस मामले में इतनी ज़िल्लत मिलती! जरा गौर कीजिये, एक शख्स अपनी आंखों में ढेरों सपने सजाए, एक लंबा सफर तय करके मुंबई पहुंचा, लेकिन महीने भर में ही उसके सपने चूर-चूर हो गए. यह कहानी है बिहार के रहने वाले 35-वर्षीय संतोष राय की, जिनका दावा है कि जनवरी, 2008 में बॉलीवुड एक्टर गोविंदा ने बिना वजह उन्हें थप्पड़ जड़ा था. संतोष के मुताबिक, उनकी गलती बस यही थी कि वह गोविंदा के बहुत बड़े फैन थे. सेलिब्रिटी के पीछे भागने वालों में से एक संतोष को जल्द ही एहसास हो गया कि फिल्मों में काम पाना आसान नहीं. इसी बीच, उन्हें एक शूटिंग के दौरान गोविंदा को पास से देखने का मौका मिला. यह फिल्म 'मनी है तो हनी है' थी, जिसकी शूटिंग के दौरान पड़ा था थप्पड़! संतोष बताते हैं, गोविंदा की फिल्म 'मनी है तो हनी है' की शूटिंग चल रही थी. वह चुपचाप खड़े शूटिंग देख रहे थे और जब गोविंदा शॉट खत्म करके वापस आए, तो वह उनकी कुर्सी के पीछे खड़े हो गए. अचानक गोविंदा पीछे मुड़े और उनसे पूछा - क्या है. उन्होंने जवाब में कहा, कुछ नहीं सर, शूटिंग देख रहा हूं. बस, अचानक ही गोविंद उठे, और उन्हें थप्पड़ जड़ दिया. संतोष आज भी उस घटना को नहीं भूल पाए हैं.
वह कहते हैं कि भले ही कोर्ट उन्हें माफ कर दे, मैं दिल से उन्हें कभी माफ नहीं कर पाऊंगा. वह यह भी कहते हैं कि अपने सम्मान को वापस पाने के लिए मैंने आठ साल लड़ाई लड़ी है, और इस दौरान न मैं कुछ कर पाया, और न कुछ बन पाया. इस बात में कुछ हो न हो, किन्तु ऐसे युवकों की तारीफ़ तो करनी ही पड़ेगी कि वह अपनी सच्चाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा! संतोष बताना नहीं भूलते कि इस दौरान उनके छह लाख रुपये से ज्यादा खर्च हुए. उन्होंने जो भी कमाया, वह सब अपने सम्मान को वापस पाने में गंवा दिया. संतोष के ही शब्दों में, आज उनकी शादी नहीं हो पा रही है, क्योंकि कोई भी लड़की ऐसे लड़के का हाथ नहीं थामना चाहती! साफ़ है कि संतोष ने इस दरमियान काफी कुछ झेला है, जबकि गोविंदा ने इस पूरे प्रकरण में झूठे अहम का ही प्रदर्शन किया है. अब जब इस मामले का पटाक्षेप हो गया है, तब गोविंदा जैसे अन्य हाथ छोड़ने वाले सेलेब्स से भी संयमित व्यवहार की उम्मीद तो की ही जा सकती है! ऐसा भी नहीं है कि इस मामले में सिर्फ मीका या गोविंदा ही बदनाम हों, बल्कि कई ऐसी दूसरी सेलिब्रिटी का नाम भी इस लिस्ट में आता है, जिन्होंने पब्लिकली अपना संयम खो दिया था! ऐसे ही एक वाकये में, 23 जनवरी 2015 को जबलपुर में जब शंकराचार्य से एक पत्रकार ने मोदी को लेकर सवाल पूछा तो वो भड़क उठे और उन्होंने जवाब में पत्रकार को थप्पड़ रसीद कर दिया. इसी क्रम में, राखी सावंत की दोस्त ने एक फिल्म की म्यूजिक लांच के दौरान स्टेज पर ही फिल्म निर्माता को थप्पड़ मार दिया था. सेलिब्रिटी वर्ल्ड में राखी सावंत का अपने प्रेमी अभिषेक अवस्थी को मारा गया थप्पड़ सुर्खियों में रहा तो एक पार्टी में शाहरुख खान ने फराह खान के पति शिरीष कुंदर को थप्पड़ जड़ दिया था. ऐसे ही थप्पड़बाजों में शामिल जॉन अब्राहम ने एक लड़की को थप्पड़ जड़ दिया था तो अभिनेता सलमान खान की थप्पड़ से सम्बंधित तमाम घटनाएं हम सब जानते ही हैं.
इस मामले में आम लोग भी पीछे नहीं हैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को पानीपत में एक युवक ने थप्पड़ जड़ दिया जब वह पानीपत में एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे थे. ऐसे ही एक अन्य वाकये में दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में रोड शो करने पहुंचे आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक ऑटो ड्राइवर ने थप्पड़ जड़ दिया था तो फिल्म अभिनेत्री गौहर खान को एक म्यूजिक टीवी शो की शूटिंग के दौरान एक युवक ने थप्पड़ मार दिया था क्योंकि उसका मानना था कि गौहर मुसलमान होने के बावजूद अश्लील कपड़े पहनती हैं. जाहिर है, गुस्सा उगलने में कोई किसी से पीछे नहीं है! हालाँकि, बात जब सेलिब्रिटीज की आती है तो निश्चित रूप से मामला गंभीर हो जाता है, क्योंकि उनसे आम लोग प्रेरित होते हैं. बेहतर हो कि मीका, गोविंदा, शाहरुख़, राखी, सलमान और ऐसे अनेक लोग अपना हाथ उठाने से पहले अपने स्टेटस का ध्यान रखें, ताकि संतोष राय जैसे व्यक्तियों के जीवन पर संकट न आ जाये और सुप्रीम कोर्ट को इन मामलों में सख्ती न अख्तियार करनी पड़े! जाहिर है. थप्पड़ खाने से तो डर लगता ही था, किन्तु अब मारने से भी डरना पड़ेगा, यही उच्चतम न्यायालय के फैसले का अभिप्राय है!
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