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टेक्नोलॉजी, आतंकी व पाकिस्तानी आईएसआई! Technology, Terrorism and Pakistan ISI, New Hindi Article

भारत के आर्थिक और सामाजिक उभार से पाकिस्तान को हमेशा से ही दिक्कत रही है और कई पर प्रत्यक्ष युद्धों में मात खाने के बावजूद, आतंक का अप्रत्यक्ष खेल इसने जारी रखा है. दुनिया जितनी तेजी से हाईटेक हो रही है, उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से सुरक्षा-समस्याएं भी खड़ी होती जा रही हैं. आज बेशक आप कंप्यूटर, स्मार्टफोन की सहायता से अपने तमाम कार्य सहूलियत से कर पाते हैं, किन्तु इसके साथ यह भी सच है कि ज़रा सी असावधानी से काम बिगड़ने में देरी नहीं लगती है और आपका सामान्य और संवेदनशील डेटा सबके सामने आ जाता है. समस्या तब और बढ़ जाती है, जब यही कारगुजारियां 'भारतीय फ़ौज' के साथ करने की कोशिश की जाती है. टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) भी भारत की सुरक्षा जानकारी हासिल करने के लिए लगातार सेंध लगाने की कोशिश में रहती ही है, लेकिन इस बार कुछ ऐसी खबर आयी है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े होना स्वाभाविक ही है. दुनिया भर में बदनाम आईएसआई सबसे बड़े सोशल नेटवर्क फेसबुक से लेकर स्मार्टफोन तक से भारत की युवा पीढ़ी को निशाना बना रही है. कुछ उदाहरण देखकर तो आप भी चौंक जायेंगे, मसलन फेसबुक पर कभी किसी यूएस मैगजीन की एडिटर तो कभी किसी स्कूल की टीचर के प्रोफाइल में, खूबसूरत लड़कियों की फोटो की सहायता से युवाओं और भारतीय सैनिकों को लगातार फंसाने की कोशिश जारी है. आईएसआई की इस नापाक चाल का खुलासा इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) की खुफिया रिपोर्ट से हुई है. 

आईएसआई द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे मोबाइल एप्प टाइमपास और एंटरटेनमेंट के लिए ज्यादा हैं, जैसे कि इन एप्प्स की मदद से आप वीडियो देख सकते हैं, गाने सुन सकते हैं और गेम भी खेल सकते हैं और यहीं से आपकी जानकारी बाहर जाने का खतरा उत्पन्न हो जाता है. कुछ ऐसी लिस्ट भी सामने आयी है, जिसका इस्तेमाल आईएसआई अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए कर रही है. इनमें Top Gun (गेमिंग एप), Mpjunkie (म्यूजिक एप), VD Junky (ऑडियो एप), Talking frog (एंटरटेनमेंट एप) शामिल हैं, जो किसी भी स्मार्टफोन में इनस्टॉल होते हैं और उसकी जानकारी को पूरी तरह से उस एप्प के एडमिन को शेयर करने लगते हैं, जो सुरक्षा के लिए सोचनीय स्थिति पैदा करती है. आश्चर्य तो यह है कि जब आप एप्प इंस्टॉल करते हैं तो आपकी मर्जी से यह सारी परमिशन लेती है, मसलन आपके कांटेक्ट, मेमोरी और दूसरी इनफार्मेशन के एक्सेस का, जिसका इस्तेमाल यथा रूप में देश के शत्रुओं द्वारा करने की सम्भावना बलवती हो जाती है. हाल ही में पठानकोट हमले के पीछे भी सोशल नेटवर्किंग की मदद से ख़ुफ़िया सूचनाएं निकालने की बात सामने आयी थी. इसी कड़ी में, हनी ट्रैप हुए एयरफोर्स के जवान रंजीत केके की बड़ी चर्चा हो चुकी है. इसके साथ यह बात भी ध्यान देने वाली है कि आईएसआई बड़ी चालाकी से सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ युवा वैज्ञानिकों को उनकी डिटेल की खंगाल करके फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज रहे हैं तो बड़ी योजना के साथ उन पर नज़र भी रखी जा रही है. ह्यूमन नेचर की वजह से कई लोग उनकी तरफ खिंचे चले जा रहे हैं और मामला यहाँ और भी जटिल होता जा रहा है. 

यूपी के बागपत जिले के विज्ञान प्रसार क्लब में साइंस इनोवेशन एंड ह्यूमेनिस्ट संस्थान के निदेशक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. एक लड़की ने पहले उनको फेसबुक पर अपना फ्रेंड बनाया और फिर अपने काम को अंजाम देने के लिए सरकार से जुड़ी अहम जानकारी हासिल करने की कोशि‍श करने लगी. हालाँकि, समय रहते ही निदेशक को उस पर शक हुआ. बताते चलें कि इस बात का खुलासा संस्थान के निदेशक ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष तब किया, जब उन्होंने लड़की के फेसबुक अकाउंट पर आईएसआई का 'लोगो' देखा और उसके प्रोफइल पर आईएसआई की 'एसीपी' होना लिखा देखा. हालाँकि, यह लड़की कामयाब नहीं हुई और पुलिस मामले की जांच में जुट गई है, किन्तु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि हर बार हनी-ट्रैप इतनी आसानी से पकड़ा नहीं जाता! बागपत जिले में ही यही कहानी एक बार फिर दुहराई गई. बागपत के धनौरा सिल्वर नगर निवासी योगेश के पास रानी राव यदुवंशी नाम की एक लड़की ने फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट आया, जिसे स्वीकारने के बाद दोनों के बीच चैटिंग शुरू हो गई. इसमें, रानी राव ने खुद को एक बाल वैज्ञानिक और गाइड बताते हुए कहा कि उसे जलवायु परिवर्तन और मौसम विषय पर साइंस प्रोजेक्ट बनाना है, इसलिए उसे भारत सरकार की साइंस की वेबसाइट के बारे में जानकारी चाहिए. लड़की ने योगेश को यह भी बताया कि वो सिविल सर्विसेज (IAS) की भी तैयारी कर रही है, जिसके बाद योगेश ने उससे उसकी ई-मेल आईडी और फोटो मांगी! योगेश ने इस सम्बन्ध में बताया कि दो दिन पहले उन्होंने आईएसआई की महिला एजेंटों से जुड़ी एक खबर पढ़ी, जिसके बाद अपनी फेसबुक पर रानी का एकांउट चेक किया तो उन्हें शक हुआ कि यह लड़की कहीं आईएसआई की एजेंट तो नहीं है. इसके बाद योगेश ने पुलिस को इसकी सूचना दी और तत्काल उस लड़की को अपनी फ्रेंड लिस्ट से हटा दिया. 

इन दो मामलों में तो बात खुल गयी, लेकिन क्या हम इस बात से इंकार कर सकते हैं कि ऐसे बहुत से मामले सामने नहीं आ पाते हैं तो कई लोग धन और सेक्स के लालच में जान बूझकर भी सूचनाएं साझा करने लगते हैं. इस मामले में कई लोग अपने कुछ ऐसे राज बता देते हैं अथवा फेसबुक पर कुछ ऐसी आपत्तिजनक फोटो या वीडियो शेयर कर लेते हैं, जिनके सरेआम होने पर अपनी इज्जत के भय से वह देश से गद्दारी कर बैठते हैं. जाहिर है ऐसे में कई स्तर पर हमें सुरक्षा के बारे में विभिन्न संस्थानों में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को जागरूक करना होगा. हालाँकि, इन मामलों को ध्यान में रखते हुए एक गाइडलाइन्स तैयार की गई है जिसे भारतीय सेना के वरिष्ठ, कनिष्ठ अधिकारियों को सोशल मीडिया को यूज करते समय सख्ती से फॉलो करना होगा. जानकारी के अनुसार, इसमें सैनिकों को फेसबुक जैसी सोशल साइट पर भी अश्‍लील चीजें देखना सख्‍त मना है, तो अपनी वर्दी की फोटो को फेसबुक और व्‍हाटसप पर पोस्‍ट करना सख्‍त मना है. यह इसलिए किया गया है ताकि सेना के जवानों को वर्दी में होते हुए उनके रैंक का पता चलने का खतरा रहता है, जिससे शत्रु देश का कार्य आसान हो जाता है. इसी तरह इस गाइडलाइन में, सेना के जवानों को अपनी रैंक, बॅटालियन या उनकी कहां पोस्टिंग है, ऐसी किसी भी जानकारी को सोशल मीडिया पर शेयर करना मना है तो किसी भी सैनिक के लिए सोशल मीडिया पर किसी अनजान की फ्रेंड रिक्‍वेस्‍ट एक्‍सेप्‍ट करना मना किया गया है. 

इसी क्रम में, भारतीय सेना के जवानों और उनके परिवारों से भी यह अपेक्षा की गयी है कि वे आर्मी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी को शेयर ना करें. सैन्‍य‍कर्मियों को साइबर अटैक से बचाने के लिए सेना की ओर से सख्‍त हिदायत दिए गए हैं. उनके लिए रक्षा सेनाओं से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी को लैपटाप, पीसी या मोबाइल में सेव रखना मना है. यह दिशा निर्देश सिर्फ सिर्फ सेना के लिए ही नहीं देश के युवा वर्ग के लिए भी होना चाहिए जिससे कि आईएसआई और आतंकियों की तरफ युवाओं का झुकाव कम हो. आने वाले समय में सोशल मीडिया पर अटैक और भी बढ़ेंगे तो हमें सुरक्षा घेरा भी उतना ही मजबूत करना होगा. आखिर, अच्छे और बुरे की लड़ाई हर युग में चली है और आगे भी चलेगी, किन्तु सबसे महत्वपूर्ण है कि अच्छे को मजबूत रहना भी उतना ही आवश्यक है.

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1 टिप्पणियाँ

  1. पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी हमेशा इसी फ़िराक में रहती है की भारत के सुरक्षा के बार में साडी जानकारी मिले ताकि पठानकोट जैसे हमले की साजिश कर उसे अंजाम दे सके . इसके लिए भारत सरकार से लेकर आम आदमी तक सक्रिय रहने की जरूरत है ...

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