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अपने शरीर को भला इस संसार में कौन स्वस्थ नहीं रखना चाहता है और यह बात अब अंतर्राष्ट्रीय (International Day of Yoga) रूप से स्वीकृत हो चुकी है कि 'भारतीय योग या योगा' मानव-शरीर को स्वस्थ रखने में बेहद कारगर है. कई लोग यह तर्क दे सकते हैं कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए 'व्यायाम' ही काफी है, तो रूकिए योग सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य की बात ही नहीं करता है, बल्कि वह मानसिक स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखने की उतनी ही बात करता है. और कहते हैं न कि स्वस्थ मस्तिष्क में ही स्वस्थ विचार आते हैं और विचार से ही मनुष्य नाना प्रकार के कर्म करता है. जाहिर है अगर आपके उत्तम और व्यवस्थित विचार होंगे तो उसका लाभ आपके साथ-साथ आपके पड़ोस, परिवार और पूरे समाज को मिलेगा, अन्यथा सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य से आप 'आतंकवादी' बन सकते हैं, इस बात में दो राय नहीं! यह अतिवादी या डरावना विचार नहीं है, बल्कि आप पहले 'अलकायदा' और अब 'इस्लामिक स्टेट' (आईएस) वालों को देख लीजिए और आप समझ जायेंगे कि मानसिक स्वास्थ्य का उत्तम होना किस कदर आवश्यक है. योग यही तो सिखाता है, उसके मन्त्र यही तो बताते हैं कि सबका कल्याण हो, सब तरफ शान्ति हो! अगर वैज्ञानिक ढंग से भी देखा जाय तो अगर आप उत्तम विचारों को, उत्तम शब्दों को रोज दुहराते हैं तो कोई कारण नहीं कि उसका सकारात्मक परिणाम सामने न आये. कई लोग योग में 'ॐ' शब्द (Om word) के उच्चारण पर विवाद खड़ा करने को उत्सुक हैं, जिसमें छद्म सेक्युलर (so called seculars) लोगों का एक बड़ा समूह है. ऐसे लोगों को हमारे उप राष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी की पत्नी महोदया ने बेहद सटीक जवाब दिया.
International Day of Yoga, 2015, Prime Minister of India, Sh. Narendra Modi at India Gate, |
उप राष्ट्रपति की पत्नी सलमा अंसारी (Salma ansari statement about Yoga) ने इस सन्दर्भ में कहा कि 'ॐ' के उच्चारण से ऑक्सीजन मिलती है इसलिए इसका विरोध गलत है. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में मदरसा अलनूर स्कूल में बच्चों को सम्मानित करने गयीं सलमा अंसारी ने तब यह भी कहा कि वे भी योग करती हैं क्योंकि इससे फिटनेस मिलती है, तो योग से उन्हें बीमारी से उबरने में मदद मिली है. सलमा अंसारी ने गर्व से कहा कि अगर उन्होंने योग नहीं किया होता तो उनकी हड्डी टूट गई होती. जाहिर है, इस बात से उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा लगा है, जो हर कार्य में विवाद घुसेड़ने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं. साफ़ बात है कि अगर आप पढ़े-लिखे हैं तो आपको हर वो काम करना चाहिए, जिससे आपको फायदा मिलता हो. हालाँकि, 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 'ॐ' के उच्चारण को लेकर मचे बवाल के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू (Venkaih naidu on International Day of Yoga) ने इस मामले में सरकार की तरफ से कहा था कि योग दिवस के मौके पर योग सत्रों के दौरान 'ॐ' का उच्चारण जरूरी नहीं है और यह स्वैच्छिक है. नायडू ने यह भी ट्वीट किया था कि योग को विवादास्पद न बनाएं. जाहिर है, सरकार ने इस मामले में व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाया है और अब बारी है उन लोगों की जो इसे फायदेमंद तो समझते हैं लेकिन दकियानूसी लोगों के बहकावे में आकर इसे 'हिन्दुओं का योग' समझते हैं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations on International Day of Yoga) के अध्यक्ष सैम के कुटेसा ने पिछली साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की और कहा कि 170 से अधिक देशों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव का समर्थन किया है. यह एक बड़ी उपलब्धि थी और 'विश्व योग दिवस' वर्ष 2015 में 21 जून को प्रथम बार सम्पूर्ण विश्व में मनाया गया तो प्रत्येक वर्ष यह दिवस 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्प पारित हुआ.
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Salma Ansari, Wife of Shri Hamid Ansari, Vice President of India |
अगर हम योग के इतिहास की बात करें तो योग की शुरुआत भारत में पूर्व-वैदिक काल में हुयी मानी जाती है. योग भारत की धरोहर है (International Day of Yoga and Indian culture) और ये हजारों साल से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रहा है. शायद यही कारण है कि हमारी संस्कृति ने तमाम आक्रमणकारियों को झेलने के बावजूद आज 21वीं सदी में भी अपनी अहमियत कायम रखी है. दुनिया भर के अनगिनत लोगों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया है और इसका प्रचार-प्रसार किया है, जिससे इसकी महत्ता आप ही प्रमाणित हो जाती है. इसी क्रम में अगर हम गहराई में जाते हैं तो संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद (Yoga in Rigveda) में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है. स्वयं भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से योग का प्रारम्भ माना जाता है. बाद में योगीराज कृष्ण (Yoga and Lord Krishna), भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध (Yoga and Bhagwan Mahavir and Mahatma Buddha) ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया. वर्तमान समय में पतंजलि योगपीठ के माध्यम से बाबा रामदेव (International Day of Yoga and Baba Ramdev) ने इसे जन-जन तक पहुँचाने का काम किया है तो दूसरी तमाम संस्थाएं और योग-टीचर अपने-अपने स्तर पर इसके लिए सक्रीय हुए हैं. आज बड़ी कारपोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को तनावमुक्त रखने के लिए योग टीचर (Corporate Yoga and Yoga Teachers) तक हायर कर रखे हैं तो मोटापा, तनाव और दूसरी अनेक बिमारियों से करोड़ों व्यक्ति योग के सहारे मुकाबला करने में खुद को सक्षम बना रहे हैं. अनेक सकारात्मक ऊर्जा लिये योग का गीता (Yoga in Srimad Bhagwat Geeta) में विशेष स्थान है. गीता में लिखा है कि
"सिद्दध्यसिद्दध्यो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्चते"
अर्थात् दुःख-सुख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रखना योग है. स्पष्ट है कि योग का शारीरिक स्वास्थ्य से ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने में योगदान है.
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Baba Ramdev and Mufti doing Yoga |
अलग तरह के विचारक ओशो ने भी योग के महत्त्व को बताया है और कहा है कि ‘योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा प्रायोगिक विज्ञान है'. योग जीवन जीने की कला है और एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है. इन दिनों भारत के साथ ही सम्पूर्ण विश्व के लोगों में योग को लेकर जिज्ञासा बढ़ी है और 'विश्व योग दिवस' का उद्देश्य ही समस्त विश्व में योग से होने वाले लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करना है. आज के प्रदूषित वातावरण में योग का महत्त्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि योग एक ऐसी औषधि है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. योग के कई आसान क्रियाएं लोगों को रोगों से मुक्ति दिलाने में सक्षम साबित हो चुके हैं. कई जगहों पर जहाँ हमारा मेडिकल साइंस फेल हो चुका है, वहां भी योग कारगर साबित हो रहा है. योग का प्रयोग शारीरिक, मानसिक और आध्यत्मिक लाभों के लिए हमेशा से होता रहा है. आज की चिकित्सा शोधों ने ये साफ़ तौर पर साबित कर दिया है कि योग शारीरिक और मानसिक रूप से मानवजाति के लिए वरदान है, क्योंकि इसके विभिन्न आसन विभिन्न रोगों में अति लाभदायक हैं. अगर हम इसके कुछ आसनों का उदाहरण लेते हैं, जैसे शवासन, तो ये ब्लडप्रेसर को नियंत्रित करता है. इसी प्रकार, कपालभांति प्राणायाम स्वस्थ जीवन के लिये संजीवनी के सामान है तो भ्रामरी प्राणायाम के योगासन से मन को शांति मिलती है.
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Yoga Methods, few pics |
जाहिर है कि योग के अंग प्राणायाम एवं ध्यान भी योगासनों की तरह शरीर के लिए बेहद फायदेमंद हैं. प्राणायाम के द्वारा श्वास-प्रश्वास की गति पर नियंत्रण होता है, जिससे श्वसन संस्थान सम्बन्धित रोगों में बहुत फायदा मिलता है. दमा, एलर्जी, साइनोसाइटिस, पुराना नजला-जुकाम आदि रोगों में तो प्राणायाम बहुत फायदेमंद है ही साथ ही इससे फेफड़ों की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है. इससे शरीर की कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन मिलने लगता है जिसका पूरे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ना स्वाभाविक ही है. ऐसे तमाम आसन हैं जिसको करने से बिना दवाइयों के स्वास्थ्य लाभ तमाम लोग उठा रहे हैं. इसी कड़ी में, योगासनों के नित्य अभ्यास से मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है, जिससे तनाव दूर होकर अच्छी नींद आती है तो भूख भी अच्छी लगती है और पाचन भी सही रहता है. आजकल के जमाने में हर काम जब कंप्यूटर के द्वारा किया जाता है तो जाहिर सी बात है कि ऐसे में लोगों को घंटों कंप्यूटर के सामने बैठना पड़ता है और फिर तमाम बीमारियां लोगों के शरीर में घर कर ले रही हैं. ऐसे लोगों को कमर दर्द एवं गर्दन दर्द की शिकायत एक आम बात हो गई है. ऐसे में शलभासन तथा ताड़ासन हमें दर्द निवारक दवा से मुक्ति दिलाता है. बदलते खानपान की वजह से पेट में गैस की समस्या आम बात हो गयी है, तो ऐसे में पवनमुक्तासन अपने नाम के अनुरूप पेट से गैस की समस्या को दूर करता है. बड़े-बुजुर्गो के साथ ही जवां लोगों में भी हड्डियों की समस्या जैसे गठिया आम है, इसमें मेरूदंडासन काफी सफल है.
International Day of Yoga, 21 June, Worldwide |
योग में ऐसे अनेक आसन हैं जिनको जीवन में अपनाने से कई बीमारियां समाप्त हो जाती हैं और खतरनाक बीमारियों का असर भी कम हो जाता है. आखिर, 24 घंटे तो हम इस भागदौड़ की ज़िन्दगी में भागते रहते हैं, फिर ऐसे में चंद मिनट हमें अपने शरीर के लिए भी निकालना चाहिए. कुछ मिनट ही यदि हम नियमित योग करते हैं तो अपनी सेहत को हम चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं. फिट रहने के साथ ही योग हमें पॉजिटिव ऊर्जा से भर देता है, इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि योग हमारे जीवन के लिये हर तरह से आवश्यक और अनिवार्य बन चुका है. इसके लिए अगर आपके पास योग टीचर न हो तो घबराइए नहीं, बल्कि इंटरनेट पर यूट्यूब में आपको हर तरह के आसन सीखने को मिल जायेंगे. इसलिए आइये, हर तरह के विवाद से दूर रखकर हम अपना 'तन मन और जीवन' सकारात्मक दिशा में बढ़ाने के लिए 'योग' को अपना आजीवन साथी बनाएं. न केवल अपने जीवन को, बल्कि अपने विचारों से विश्व को 'शान्ति' का अहसास कराएं. आखिर अमेरिका या विश्व के किसी भी देश में कोई एक व्यक्ति बन्दूक उठाकर सैकड़ों लोगों को मार गिराता है तो इसे उसकी 'मानसिक और आध्यात्मिक' सोच पर प्रश्नचिन्ह ही तो उठता है. ऐसे में योग से बेहतर कुछ नहीं और 'इंटरनेशनल योगा डे' पर इससे बेहतर संकल्प दूसरा नहीं!
- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
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International Day of Yoga, Hindi Article, 21 June 2016, Mithilesh,
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