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पतंजलि के बढ़ते 'कद' से परेशान हैं कई! Baba Ramdev and Patanjali Business, Hindi Article, Mithilesh

बाबा रामदेव आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. न केवल भारत में, बल्कि विश्व भर में योगगुरु के तौर पर जो पहचान इन्होंने कमाई हैं, वह बहुत कम ही को नसीब होती है. हालाँकि, यह बात भी स्पष्ट हो चुकी है कि सिर्फ योगगुरु बनकर ही बाबा संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने तमाम कॉर्पोरेट्स को, विभिन्न क्षेत्रों में टक्कर देने की रणनीति बना डाली, जो अब धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ा रही है. आज जब बाबा रामदेव कहते हैं कि वह कोलगेट को 'टूथपेस्ट' मार्किट में पछाड़ देंगे तो उनका मजाक नहीं बनाया जा रहा है, बल्कि उनकी बात को गंभीरता से लिया जा रहा है. भारतीय कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के संस्थापक बाबा रामदेव योग के क्षेत्र में सफलता पाने के बाद अब बिज़नेस में बहुत आगे बढ़ चुके हैं. आज पतंजलि का कारोबार 5000 करोड़ तक पहुंचना इस बात की स्पष्ट तौर पर पुष्टि भी करता है. पतंजलि का कारोबार विश्व की इस अस्थिर आर्थिक हालत में भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है, तो इसके पीछे इस ब्रांड की मजबूती और बाबा रामदेव का आम लोगों से जुड़ना ही है. मार्च 2012 में मार्किट में आने के बाद से पतंजलि के कारोबार में 1100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जो अपने आप में तमाम शोध संस्थानों के लिए 'केस स्टडी' का विषय बन चुका है. पतंजलि के मामले में कहा जा रहा है कि, शायद ही किसी बिज़नेस को इतने कम समय में इतना बड़ी सफलता मिली हो! यदि पतंजलि के कारोबार को देखें तो इसने शुरू करने के तुरंत बाद ही यानि  2011-12 में 446 करोड़ रुपये  और वहीं 2012-13 में 850 करोड़ रुपये का कारोबार किया था, जो 2013-14 में 1200 करोड़ रुपये और 2014-15 में 2006 करोड़ रुपये हुआ. यही नहीं पिछले वित्त वर्ष 2015-16 में 150 प्रतिशत वृद्धि के साथ कंपनी का कारोबार 5,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया. 
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बाबा रामदेव द्वारा स्थापित इस कंपनी ने जिन उत्पादों का ज्यादा कारोबार किया था, उसमें दंतकांति, बालों का तेल केशकांति, गाय का देशी घी, बिस्कुट, शहद, च्यवनप्राश, हर्बल नहाने का साबुन और कुछ अन्य उत्पाद शामिल हैं. यह बात अपने आप में आश्चर्यचकित करती है कि पतंजलि आयुर्वेद में अकेले दंतकांति (दन्तमंजन) का कारोबार ही 425 करोड़ रुपए और केशकांति (केश तेल) का कारोबार 325 करोड़ रुपए का है. बाबा रामदेव के अनुसार, अब कम्पनी का अगला पड़ाव 10,000 करोड़ रुपये का कारोबार करना है, जिसके लिए पतंजलि रणनीति बना कर उसको फॉलो करते हुए आगे बढ़ रही है. अपने महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट्स के लिए  पतंजलि आयुर्वेद 1,150 करोड़ रुपये की लागत से 6 अलग-अलग राज्यों में अपनी यूनिट लगाने जा रहा है, जिसमें 1,000 करोड़ रुपये इन्वेस्ट करने के साथ साथ 150 करोड़ रुपये शोध एवं विकास में भी लगाए जाने की योजना है. इस कड़ी में, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्टू, हरियाणा में पतंजलि आयुर्वेद की यूनिट की स्थापना होगी. पतंजलि ब्रांड के विकास में जितना योगदान बाबा रामदेव का है, उससे कम आचार्य बालकृष्ण का नहीं है. एक कुशल प्रबंधक की भांति, परदे के पीछे रहकर जिस प्रकार आचार्य बालकृष्ण ने पूरे पतंजलि-तंत्र को प्रबंधित किया है, वह अपने आप में एक मिशाल ही है. लोगों की भावनाओं को किस प्रकार सहलाया जाता है, यह बात पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के इस बयान से ही लग जाता है, जिसके अनुसार, पतंजलि की ये इकाइयां सूखा प्रभावित इलाकों महाराष्ट्र के विदर्भ, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में लगाई जाएँगी, जिनमें से कम से कम चार इकाइयां इस वित्त वर्ष के अंत तक चालू भी हो जाएंगी.' जाहिर है, लोग जब आप पर भरोसा करते हैं, तब कारोबार ज़माना इतना कठिन भी नहीं होता और किस कदर करोबार की दुनिया में आप पैठ बनाते हैं, इस बात का जीता-जागता उदाहरण 'पतंजलि आयुर्वेद' है.
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इतना ही नहीं, पतंजलि अपना कारोबार बढ़ाने के लिए 'डेयरी उत्पादों' में भी अपना हाथ आजमाने की फिराक में है, जिस पर योगगुरु बाबा रामदेव कहते हैं कि "हम अपने वृद्धि लक्ष्य को हासिल करने के लिए डेयरी, पशुचारा और योग के लिए खादी के कपड़े जैसे नए क्षेत्रों में कारोबार शुरू करेंगे. ख़बरों के अनुसार, डेयरी उत्पादों का काम इसी साल शुरू हो जाएगा, जिसमें दूध, मक्खन, छाछ और पनीर आदि उत्पाद शामिल होंगे." पतंजलि का कारोबार जिस तरह से इतने कम समय में भारतीय बाज़ार पर हावी हुआ है, उससे तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों के कदम डगमगाने हुए दिख सकते हैं. खाद्य सामग्री से लेकर पतंजलि के सौन्दर्य उत्पाद और औषधियाँ जैसे अनेक उत्पाद यह कंपनी बनाती है, जिसकी रेंज बढ़ती ही जा रही है. आयुर्वेद औषधियों के निर्माण से शुरू हुआ पतंजलि आयुर्वेद धीरे-धीरे खाने-पीने की चीजों से लेकर कांतिवर्धक उत्पादों का उत्पादन करने लगी है. इनके उत्पाद में 45 तरह के कांतिवर्धक (cosmetics) उत्पाद और 30 अलग-अलग किस्म  के खाद्य पदार्थ बनते हैं, जिसमें 13 तो शरीर के इस्तेमाल के लिए ही हैं, जैसे: शैंपू, साबुन, लिप बाम, स्किन क्रीम आदि. इसी क्रम में खाद्य पदार्थ जैसे, सरसों तेल, आटा, घी, बिस्किट, मसाले, तेल, चीनी, जूस, शहद इत्यादि हैं तो किराना के भी बहुत से उत्पादों का निर्माण पतंजलि आयुर्वेद द्वारा किया जाता है. पतंजलि आयुर्वेद के उत्पाद और दूसरी कंपनियों के उत्पाद की कीमत और क्वालिटी की तुलना करें तो पतंजलि के उत्पादों की कीमत कम ही बैठती हैं, जबकि ग्राहक इससे कहीं ज्यादा खुश नज़र आते हैं. ऐसा भी नहीं हैं कि सिर्फ ट्रेडिशनल मार्किट के जरिये ही पतंजलि का कारोबार बढ़ रहा हो, बल्कि आधुनिक माध्यमों का भी भरपूर प्रयोग कर रही है यह कंपनी! पतंजलि के कारोबार में ऑनलाइन मार्केटिंग की भूमिका के बारे में बाबा रामदेव गर्व से बताते हैं कि 'हमें इंटरनेट पर हर महीने पांच करोड़ लोग देखते हैं'. जाहिर है कि विस्तार के साथ ऑनलाइन बिक्री बढ़ने की सम्भावना भी बढ़ेगी ही. न केवल देश में बल्कि, इसके साथ ही कंपनी निर्यात बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है, ताकि सही मायने में इस कंपनी को 'मल्टीनेशनल' बनाने की दिशा में कार्य किया जा सके. कंपनी ने खुदरा वितरण प्रणाली को और मजबूत बनाने के लिए नई रणनीति भी बनाई है, जिसके लिए उत्पादों को चार वर्गों में बांटा गया है. इसमें, होम केयर, नैचुरल कॉस्मेटिक एंड हेल्थ केयर, नैचुरल फूड, बेवरेजिज और हेल्थ ड्रिंक्स. अगर आंकड़ों की कसौटी पर हम पतंजलि को देखते हैं तो देशभर में 4000 वितरक, 10 हजार से ज्यादा पतंजलि स्टोर, 100 पतंजलि मेगा स्टोर और खुदरा विपणन की आधुनिक भागीदारी के साथ पतंजलि की उपस्थिति बेहद मजबूत नज़र आती है. पतंजलि का बिज़नेस कोलगेट, नेस्ले और यूनिलीवर जैसी कंपनियों को पछाड़ने के लिए कमर कस चुकी है. बाबा रामदेव चुनौती के अंदाज में कहते हैं कि 'इस साल कोलगेट, पतंजलि से नीचे आ जाएगा और अगले तीन साल में हम यूनिलीवर को ओवरटेक कर लेंगे'. बाबा रामदेव के अनुसार आज प्रतिदिन के हिसाब से किसानों से 1000 टन कृषि उत्पाद लिया जाता है, जबकि उनका यह लक्ष्य 10,000 टन प्रतिदिन का है.
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पतंजलि के कर्ताधर्ता गर्व से बताते हैं कि यह कंपनी अब तक करीब 1 लाख से भी अधिक लोगो को रोजगार दे चुकी है. हालाँकि, इन आंकड़ों की परख होनी बाकी है, किन्तु देशी कंपनियों को पतंजलि के उभार से अवश्य ही बल मिला है, इस बात में दो राय नहीं! आटा नूडल्स, मिट्टी के बर्तन जैसे महत्वाकांक्षी उत्पादों के बूते यह कंपनी बड़े लक्ष्य लेकर चल रही है. हाल ही में पतंजलि योगपीठ और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके बाद अब पतंजलि आयुर्वेद सेना के जवानों के लिए विशेष पेय और खाद्य-पदार्थ तैयार करेगा. इसमें हर्बल चाय, भोजन के गुणों वाली कैप्सूल और खूबानी का जूस भी शामिल बताया जाता है. जाहिर है प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही यह कंपनी सरकारी उपक्रमों के भरोसा भी जीतने में लगी है. कोलगेट-पामोलिव के ग्लोबल चीफ एक्जीक्यूटिव इयान कूक ने पहली बार पतंजलि की बढ़ती ग्रोथ को हर्बल सेगमेंट में चुनौती के तौर पर स्वीकार किया है. हालाँकि, अभी भी पतंजलि और इन बड़ी कंपनियों के बीच लम्बा फासला है, जिसे पाटने के लिए बाबा रामदेव जी जान लगा रहे हैं. इस क्रम में वह लालू यादव तक से मिलने के 'विशेष योग' भी कर ले रहे हैं. दिल्ली में लालू के घर पर मुलाकात में रामदेव ने पहले लालू को योग की प्रैक्टिस कराई, फिर मीडिया के सामने आकर अपने 'पतंजलि प्रोडक्ट' की जमकर न केवल तारीफ की, बल्कि लालू को क्रीम भी लगाया. जाहिर है, इन सबका असर तो होना ही था और इसलिए योगगुरु को कभी 'डिरेल बाबा' कहने वाले लालू ने भी रामदेव की जमकर तारीफ की. लालू ने रामदेव को योग का महाराज करार दिया तो उनके प्रोडक्ट को भी अच्छा बताया. साफ़ तौर पर बाबा रामदेव के इन पैंतरों से मुकाबला करने में एफएमसीजी (FMCG) कंपनियों के दांतों तले पसीने आ जायेंगे. देखना दिलचस्प रहेगा कि राजनीति, योग के क्षेत्रों में कई खूंटों को उखाड़ने के सफल प्रयत्न कर चुके बाबा रामदेव 'मल्टीनेशनल कंपनियों' को किस हद तक लपेटे में ले पाते हैं!
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