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टेरिटोरियल आर्मी: देशभक्ति के ज़ज्बे को सलाम - Territorial Army, Hindi Article, New, Anurag Thakur Entry, Bharatiya Sena, Patriotism, Successful People



देश की रक्षा करना, सीमाओं पर जाकर दुश्मनों के दांत खट्टे करने की हिलोरें भला किस भारतवासी के हृदय में नहीं उठती होंगी! यूं तो भारतीय सेना में भर्ती होना कई युवा-साथियों का सपना होता है, लेकिन कई बार तमाम कारणों के चलते कुछ लोगों का यह सपना मन ही में दबा रह जाता है. चूंकि नियमित सेना में भर्ती होने की एक खास उम्र भी होती है, जो देखते-देखते निकल जाती है और सैनिक बनने का सपना कई लोगों के दिल में दबा ही रह जाता है. हालाँकि, हमारे देश की सेना सफल एवं सक्रिय लोगों को (Territorial Army, Hindi Article, New) अपनी 'टेरिटोरियल-विंग' के जरिये ऐसा मौका एक बार फिर मुहैया कराती है. टेरिटोरियल आर्मी या प्रादेशिक सेना (Territorial Army /TA) भारतीय सेना की ही एक ईकाई है, किन्तु इससे प्रशिक्षित व्यक्ति नियमित सेवा देने की बजाय एक स्वयंसेवक की तरह आपात स्थिति के लिए तैयार रहता है, वह भी बिना किसी मानदेय या वेतनमान के. इसके स्वयंसेवकों को प्रतिवर्ष लगभग एक महीने का व्यवस्थित सैनिक-प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर देश की रक्षा के लिये उनकी सेवायें ली जा सकें. इस क्षेत्र के बारे में थोड़ा और जानकारी लें तो, भारतीय संविधान सभा द्वारा सितंबर, 1948 में पारित प्रादेशिक सेना अधिनियम के अनुसार भारत में अक्टूबर, 1949 में प्रादेशिक सेना स्थापित हुई. 

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इसका उद्देश्य संकटकाल में आंतरिक सुरक्षा का दायित्व लेना और आवश्यकता पड़ने पर नियमित सेना को यूनिट (दल) प्रदान करना तथा इस प्रकार नवयुवकों को देशसेवा का अवसर प्रदान करना है. सामान्य श्रमिक से लेकर सुयोग्य प्राविधिज्ञ तक भारत के सभी नागरिक, जो शरीर से समर्थ हों, इसमें भर्ती हो सकते हैं और इसकी आयु सीमा 18 से 42 वर्ष के बीच है. भारत के किसी भी विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट व्यक्ति, जो किसी सरकारी सर्विस में (सेना के अतिरिक्त), प्राइवेट जॉब में या स्व उद्यम में लगा हो एवं शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ हो, वह टेरिटोरियल आर्मी में शामिल (How to join territorial Army, information in Hindi) हो सकता है. इसके लिए बकायदे परीक्षा पास करनी पड़ती है. पिछले दिनों आर्मी का यह हिस्सा काफी चर्चित रहा, क्योंकि दुनिया के सबसे ताकतवर क्रिकेट संस्था बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर (Territorial Army, Hindi Article, New, Anurag Thakur) भी इससे जुड़ गए हैं. सेना में जाने का सपना देखने वाले तमाम युवाओं की तरह का ही सपना भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने भी देखा था, जो अब जा कर पूरा हो गया है. अनुराग ठाकुर को टेरिटोरियल आर्मी में कमिशन दिया गया है. खबरों के अनुसार, 41 वर्षीय अनुराग ठाकुर को एक अधिकारी के तौर पर टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती हो गए हैं. इसके लिए उन्होंने बाकायदा परीक्षा दी और इंटरव्यू को भी पास किया, तब जा कर उनका चयन हुआ है. इतना ही नहीं, उन्होंने भोपाल में इसके लिए खास ट्रेनिंग भी ली है. 


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सामान्य तौर पर अनुराग ठाकुर के इस निर्णय का चहुंओर स्वागत हुआ है तो कई लोग जो टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) से अनजान थे, उनमें भी सेना के साथ स्वयंसेवी के तौर पर ही सही, जुड़ने की हिलोरें उठी हैं. यह ख़बर पढ़कर मेरे छोटे भाई साहब ने आने वाले दिनों में टेरिटोरियल आर्मी से जुड़ने की इच्छा जताई, जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजिनियर के पद पर कार्यरत हैं. इस तरह की रुचि कई युवाओं एवं सफल व्यक्तियों के मन में भी अवश्य जगी होगी, इस बात में दो राय नहीं है. क्षेत्रीय सेना किसी भी तरह से रोजगार पाने का माध्यम नहीं है. इसे कुछ इस तरीके से समझ सकते हैं कि यह आर्मी खास कर उन लोगों के लिए है जो पहले से ही किसी रोजगार में हैं और देश की सेवा सेना के माध्यम से करना चाहते हैं. दरअसल इस सेना में भर्ती होने की एक मुख्य शर्त यह है कि आप पहले से ही असैन्य पेशे में हों या स्वरोजगार कर रहे हों. अपने चुने जाने की ख़ुशी में अनुराग (Territorial Army, Hindi Article, New, Anurag Thakur) ये कहते नहीं थकते कि यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है और मैं हमेशा से (सेना की) वर्दी पहनना चाहता था और देश की सुरक्षा में योगदान देना चाहता था. 

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उन्होंने यह भी कहा है कि एक सांसद के तौर पर भी वह सेना को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश करेंगे, समस्याओं को करीब से देखने की कोशिश करेंगे, जिससे देश के रक्षकों को और संबल मिल सके. हालाँकि, इस लिस्ट में सिर्फ अनुराग ठाकुर ही हों, ऐसा नहीं है, बल्कि उनसे भी पहले साउथ के मशहूर एक्टर मोहन लाल, क्रिकेट की पहली विश्व विजेता टीम के कैप्टन रहे कपिल देव, भारत को दूसरा विश्व कप दिलाने के साथ-साथ क्रिकेट को नयी पहचान देने वाले महेंद्र सिंह धोनी, सचिन तेंदुलकर, मिल्खा सिंह, राज्यवर्धन सिंह राठौर, शूटिंग-खिलाड़ी विजय कुमार एवं नेता सचिन पायलट जैसे लोग शामिल रहे हैं. जाहिर है, देश-सेवा की ललक आम-ओ-खास सबमें ही रहती है, बस जरूरत होती है आगे बढ़कर पहल करने की.

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उम्मीद की जानी चाहिए कि अनुराग सहित अन्य सेलिब्रिटीज (Territorial Army, Hindi Article, New, Anurag Thakur) से प्रेरणा लेकर और भी युवा अपने अपने व्यावसायिक क्षेत्र में कार्य करते हुए देश के लिए भी काम आ सकने की भावना को विस्तार देंगे. सरकार को भी चाहिए कि आर्मी के इस क्षेत्र के बारे में जोर शोर से लोगों के बीच प्रचार करे, जिससे ज्यादा से ज्यादा युवा इससे जुड़ सकें. इसका सबसे बड़ा फायदा यह तो होगा ही कि अपने देश से विरक्त हो रहे लोगों के मन में देश प्रेम की भावना का उदय होगा, बल्कि आज देश नक्सलवाद, आतंकवाद (Controlling Terrorism in India) जैसी तमाम समस्याओं से जूझ रहा है, उससे भी निपटने में काफी सहूलियत मिल सकती है. हालाँकि, इस क्षेत्र की बारीकियां हो सकती हैं जिस पर सुरक्षा विशेषज्ञ बेहतर बात कर सकते हैं, किन्तु अगर सफल लोग, सक्षम लोग सैनिकों की तरह ट्रेनिंग लें तो इससे हमारी देश की एकता और अखंडता का भाव और मजबूत होगा, इस बात में दो राय नहीं!

- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.




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