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भारतीय सैनिक हमारे दुश्मन नहीं हैं - Indian army is best and responsible, accepted worldwide, hindi article

कहते हैं कि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वह कश्मीर में है और ऐसा हर वह शख्स महसूस करता है जो एक बार भी कश्मीर गया है, वहां की वादियों को देखा है. लेकिन, पिछले कुछ सालों में हम देखें  तो कश्मीर अपनी खूबसूरती के लिए नहीं बल्कि दंगे, फसाद, गोली-बारी, हिंसक प्रदर्शन अथवा खून-खराबे के लिए ही चर्चा में रहता है. अभी ताजा मामला है कश्मीर के हंदवाड़ा का, जहां किसी ने अफवाह फैला दी कि एक लड़की के साथ छेड़छाड हुयी है, जिसे एक सैनिक ने कथित रुप से अंजाम दिया है! अगर ज़रा सा भी कॉमन सेन्स किसी व्यक्ति के पास होगा तो वह समझ जायेगा कि बीच बाजार में इस तरह की हरकत भारतीय सैनिक तो क्या कोई पागल भी नहीं करेगा, फिर भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान तो पूरे विश्व में सम्मानित और जिम्मेदार संस्था मानी जाती रही है. खैर, हंगामे के बाद सैकड़ों लोग चौक में जमा हो गए और प्रदर्शन करने लगे, साथ ही साथ सेना के बंकर पर धुआंधार पत्थरबाजी भी शुरू कर दी. नौजवानों की इस बेवजह आक्रामकता के कारण स्थिति बद से बदतर होती चली गयी और नतीजतन सेना को भी मजबूरी में उन उपद्रवियों पर फायरिंग करनी पड़ी. 

दुर्भाग्यवश, इस घटना में अब तक पांच लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, जबकि 40 सुरक्षाकर्मियों समेत 60 लोग घायल हुए हैं. हंदवाडा  में जो हुआ वो बेहद निराशाजनक दुखभरी घटना है और इस घटना के बाद एक बार फिर शांति स्थापित करने की कोशिश को झटका लगा है. यह बात भी गौर करने वाली है कि कश्मीर का यह हिस्सा पाकिस्तानी सीमा से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहाँ माहौल काफी तनावपूर्ण है. सरकार ने क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात भी कर दिया है. मगर गौर किया जाये तो एक बात साफ तौर दिखती है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के मन में आक्रोश को सोची समझी साजिशों के तहत उकसाया जा रहा है, जिससे वह सेना को अपना रक्षक न मान कर उन्हें अपना दुश्मन मानने को मजबूर हो रहे हैं. अगर ऐसा न होता तो लड़की के बयान का बकायदे वीडियो सामने आने के बावजूद हंगामे को बढ़ाने का क्या तुक है भला? पीडीपी प्रवक्ता नईम अख़्तर ने एक पत्रकार को बताया कि ''जो हालात थे उसमें अगर लड़की का बयान सामने नहीं आता तो कश्मीर उबल रहा होता. अतः ये ज़रूरी था कि लोगों को हक़ीकत पता चले और वो लड़की ही बता सकती थी कि क्या हुआ.'' लड़की का सिर्फ वीडियो ही सामने नहीं आया, बल्कि सेना, पुलिस और ज़िला प्रशासन ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं. साफ़ है कि राज्य सरकार अपनी प्राथमिकता के तहत कानून व्यवस्था को ठीक करने में लगी है. 

हालाँकि, कश्मीर की मुख़्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती भी की दोधारी राजनीति भी इन परिस्थितियों के लिए कम जिम्मेदार नहीं है. उनके पिता जब मुख़्यमंत्री थे, तब आसानी से परिस्थितियां काबू में थीं, किन्तु महबूबा ने उनके दिवंगत होने के बाद महीनों तक ड्रामा किया और घाटी में बिला वजह राष्ट्रपति शासन लगा रहा. जाहिर है, चुनी हुई सरकार न होने के कारण अफवाहों को बल मिला. खैर, इस केस में पुलिस ने लड़की को ये कहते हुए हिरासत में लिया था कि उसका बयान जारी होने के बाद उसकी जान को ख़तरा था, किन्तु मानवाधिकार संगठनों की टीम यहाँ भी उकसाने से बाज नहीं आ रही है. सच कहा जाय तो मानवाधिकारों की रक्षा के नाम पर शासन व्यवस्था को चुनौती देना एक शगल सा बन गया है. जब इस लड़की का एक वीडियो सामने आ गया है, जिसमें वो यौन शोषण के लिए भारतीय सैनिक के बजाय स्थानीय युवकों पर आरोप लगा रही है, फिर शक की गुंजाइश कहाँ रह जाती है. परिस्थिजन्य साक्ष्यों पर गौर करने से शक की गुंजाइश पूरी तरह समाप्त हो जाती है. इस केस से पहले भी देखें तो सेना हर बार कश्मीरियों के हितों के लिए ही कार्य करती नज़र आयी है. 

कश्मीरियों को बखूबी याद होगा भयानक बाढ़ का वो सीन जब चारों तरफ पानी ही पानी था! लोग बेबश होकर खुदा को याद कर रहे थे, तब सेना के जवानों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर लोगों को हर संभव मदद पहुंचाई थी. और सिर्फ एक बार ही क्यों, हर रोज सैनिक लोगों की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं. मानवाधिकारों के तथाकथित रक्षकों को यह बात समझनी होगी कि हमेशा से कुछ लोगों के द्वारा सेना के खिलाफ माहौल तैयार किया जाता रहा है, जिससे लोगों के मन में सेना के प्रति द्वेष हो, जिससे इन अलगाववादी मानसिकता के लोगों को अपना काम करने में आसानी हो जाये! अगर जनता सेना को पसंद नहीं करेगी, उनके साथ सहयोगात्मक व्यवहार नहीं करेगी, तो सरकार पर दबाव बनाकर सेना को कश्मीर से हटाया जा सकता है. अगर साफ़ तौर पर कहा जाय तो ऐसे अलगाववादी पाकिस्तानी आईएसआई के हाथों सीधे खेलते रहे हैं. भोले-भाले कश्मीरी इनके बातों में आकर उग्र हो जाते हैं और अपनी ही सुरक्षा में लगे सैनिकों के प्रति कई बार हिंसक व्यवहार करने लगते हैं. परदे के पीछे के अलगाववादी, उग्रवादी नेता किसी कश्मीरी को सोचने-समझने का अवसर ही नहीं देते हैं और भड़काऊ नारों और भाषणों से पाकिस्तानी जासूस इनको भड़काने में कोर-कसर नहीं छोड़ते. इस बार भी यही हुआ, छेड़छाड के विरोध में लोगों ने बहकावे में आकर खूब हंगामा किया, पत्थर चलाये, बंद का एलान किया, लेकिन बिचारी लड़की से किसी ने नहीं पूछा! 

अगर सच्चाई का पता लगाते तो 'शीतल' कश्मीर में इतनी 'तपिश' न होती. वायरल हो रहे वीडियो में साफ-साफ दिखाया गया है कि लड़की अपने साथ सेना के द्वारा किसी भी तरह की छेड़छाड़ की कोशिश से इनकार कर रही है, बल्कि वहीं के स्थानीय युवकों पर इल्ज़ाम लगा रही है. और तो और उनमें से किसी एक को 'वो' पहचानती भी है. लोगों को चाहिए कि भारतीय प्रतिष्ठान के साथ कदम-दर-कदम मिलाकर वह अपने विकास की सोचें, न कि किसी गफलत में पड़कर अपने और अपने बच्चों का भविष्य बर्बाद करें. इस घटना से जो नुक्सान हुआ हैं, उसकी भरपाई असम्भव है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने अपने परिजन खोए हैं. जहाँ तक प्रश्न भारतीय सेना का है तो उसे सम्पूर्ण विश्व में सम्मान हासिल है. यही बात सेना प्रमुख ने कुछ दिनों पहले बेहद साफगोई से कही थी. सेना प्रमुख दलबीर सिंह ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सेना देश में ‘सबसे अधिक प्रशंसित और सम्मानित संस्था’ है और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इसकी अहमियत को स्वीकारता है. चेन्नई में ‘ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी’ में पासिंग आउट परेड के निरीक्षण के बाद अपने संबोधन में उन्होंने तब कहा था कि, ‘भारतीय सेना की एक छवि है.' बाह्य एवं आंतरिक चुनौतियों से निपटने में सेना ने अनुकरणीय सेवा दी है.’ यहाँ तक कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भारतीय सेना की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सराहा है बल्कि यह भी कहा है कि भारतीय सेना ना केवल ताकत का पर्याय है बल्कि यह परिपक्वता और जिम्मेदारी के लिए भी जानी जाती है. कश्मीर के सन्दर्भ में भी एक नहीं हज़ार उदाहरण ऐसे हैं, जब सेना देवदूत बनकर सामने आयी है. ऐसे में कश्मीरियों और वहां की सरकार को उपद्रवियों की पहचान कर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए तो सेना के साथ मजबूती से खड़ा होना चाहिए, क्योंकि सेना हमारी, हम सबकी 'शान' है. कल भी, आज भी और आने वाले कल में भी भारतीय सेना बखूबी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगी, इस बात में ज़रा भी संदेह नहीं!

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1 टिप्पणियाँ

  1. सेना है तो शांति है, जब तक ये बात कश्मीरी नहीं समझेंगे तब तक उनकी मुसीबतें कम नहीं होने वाली.

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