नए लेख

6/recent/ticker-posts

Ad Code

गृहयुद्ध के मुहाने पर तो नहीं पाकिस्तान! Pakistan on terror target, must be stand against jehadi, hindi article by mithilesh

सच तो यह है कि पाकिस्तान के ही अलग-अलग धड़े वह चाहे सरकारी हों, फौजी हों या फिर आतंकी संगठन ही क्यों न हों, इस राष्ट्र का मजाक उड़ाने में लगे रहते हैं. ज़रा गौर कीजिए, जमात-उद-दावा चीफ और मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने भारत को धमकी दी सो अलग और उसने यह तक कह डाला कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की रेंज में भारत है. उसने यह भी कहा कि पाकिस्तान सरकार ने जैश सरगना को गिरफ्तार करके गलती की है और पाकिस्तान सरकार भारत के साथ दोस्ती के चक्कर में देश का हित भूल रही है. इन बातों और नीतियों पर गौर किया जाए तो यह पाकिस्तान की राष्ट्रीय नीतियां हैं और कोई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध झेल रहा आतंकी इन मामलों पर कितनी आसानी से बोल जाता है, यह समझ से बाहर है. सवाल यह भी है कि ऐसी बकवास करने वाले पाकिस्तान के प्रवक्ता की तरह नज़र आते हैं और वैश्विक बिरादरी में भी कुछ ऐसा ही सन्देश जाता है कि पाकिस्तान का पूरा सिस्टम इन्हीं आतंकियों के हाथ में है या इनसे प्रभावित जरूर है. जहां तक बात पाक के घरेलु मसलों की है तो, पाकिस्तान में स्कूलों पर हमले का दूसरा बड़ा मामला सामने आया है, जिसने न केवल इस देश को बल्कि समूचे विश्व को बड़ी चोट पहुंचाई है. आखिर, पेशावर में बच्चों पर हमले को अभी कितना दिन हुआ है और ठीक उसी अंदाज में पाकिस्तानी विद्यार्थियों को टारगेट किया गया है. उत्तरी पश्चिमी पाकिस्तान के चारसद्दा में एक यूनिवर्सिटी में चार आतंकियों ने हमला बोलते हुए बचा खान यूनिवर्सिटी, जो खैबर पख्तूनवा में है, उसे दहला दिया है. इस दौरान 25 की मौत, जिसमें एक गार्ड भी शामिल है, जबकि कई छात्रों के घायल होने की खबर आ रही है. रेस्क्यू वालंयिटर्स के मुताबिक आतंकियों द्वारा 60-70 छात्रों को सिर में गोली मारने की खबर है. 

हालाँकि, आतंकी मारे जा चुके हैं और सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है, किन्तु अपने पीछे इसने एक बड़ा प्रश्नचिन्ह जरूर छोड़ दिया है. आतंकियों ने हमला करके सनसनी फैला दी और उन्होंने परिसर में आते ही अंधाधुंध गोलियां चलाईं. इसके साथ ही परिसर में सात धमाके भी सुने गए हैं. हालाँकि, पाकिस्तानी सेना को इस प्रकार के हमलों से निपटने में काफी अनुभव हासिल हो गया और जल्द ही इस पर काबू पा लिया गया, किन्तु यह सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि हमले के वक्त विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 3600 छात्र मौजूद थे. यही नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय में इसी समय एक मुशायरा भी होना था, जिसके लिए बाहर से कई मेहमान भी वहां आए हुए थे. हमले के मद्देनजर पेशावर में और अन्य अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है. भारत के प्रधानमंत्री ने इस पूरे मामले पर दुःख जताया और इस जघन्य आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की. समूचे विश्व से इस मामले पर संवेदना सन्देश आये तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि हमले में जान गँवा चुके बच्चों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी और आतंक के खिलाफ पाकिस्तान जी जान लगा देगा. सच कहा जाय तो ऐसे मामलों में बजाय दिमाग से काम लेने के पाकिस्तान को भावुकता से काम लेना चाहिए! बच्चों तक की हत्या कर देने वाले आतंकी, कम से कम इंसान तो नहीं ही हैं और इनको लेकर किसी राजनीति, कूटनीति की बजाय 'डायरेक्ट एक्शन' लिया जाना चाहिए! आश्चर्य देखिये, मात्र कुछ ही दिनों पहले भारत के पठानकोट पर हमले को लेकर पाकिस्तान की ओर से शुरुआत में तो कुछ कठोर कदम उठाते हुए दिखाए गए, यहाँ तक कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर की गिरफ्तारी की बात भी सामने आयी, मगर जल्द ही पता चला कि यह सारी बातें छलावा थीं. कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती ही की गयी और इसका परिणाम यह हुआ कि भारत पाकिस्तान के बीच बड़ी मशक्कत से शुरू हुई विदेश सचिव वार्ता रद्द हो गयी. हालाँकि, इस बात सकारात्मक बात यही थी कि भारत ने आक्रामक बयानबाजी की बजाय इन्तजार किया और अमेरिका सहित वैश्विक बिरादरी से कूटनीतिक दबाव का दांव चला. 
अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने भारतीय पठानकोट का सन्दर्भ लेकर पाकिस्तान को आतंकियों के लिए जन्नत कह डाला, मगर सब टांय टांय फिस्स! वह आतंकी बाहर निकलकर फिर ज़हर उगल रहा था. अब सवाल यही है कि क्या पाकिस्तान वाकई सुधरेगा, क्योंकि आतंकियों और पाकिस्तानी धर्मांधों पर कार्रवाई करने का यह सबसे सही वक्त है! खुद नवाज शरीफ, वहां की आवाम और पेशावर सैनिक स्कूल हमले के बाद सेना भी आतंकियों के खिलाफ है. हाँ! अगर इस पूरी उहापोह में किसी बात का संशय है तो वह निश्चित रूप से 'अच्छा आतंकवाद' और 'बुरे आतंकवाद' का भेद! काश पाकिस्तान अब भी समझ ले कि जिन आतंकियों को वह अफगानिस्तान के खिलाफ भड़काता है, जिन आतंकी संगठनों और सरगनाओं को वह जम्मू कश्मीर के रास्ते भारत के खिलाफ उकसाता है, उसी का परिणाम ही तो उसके लिए 'आत्मघात' बन रहा है. पाकिस्तान के दोनों शरीफों को इस बात के लिए एकराय बनानी होगी कि आतंक की नीति से, हर प्रकार के आतंक से उनका देश अब दूर होगा, अन्यथा वह अपनी सारी नस्लों को इस ज़हर से ग्रसित कर देगा, इस बात में कोई दो राय नहीं है! इसके अलावा जो दूसरी आशंका नज़र आ रही है, वह पाकिस्तान को दो फाड़ कर सकती है, क्योंकि मासूमों की मौत से आम जनमानस चीख-चीख कर सड़कों पर सवाल पूछ रहे हैं कि आतंक में उनके बच्चों की जानें कब तक जाती रहेंगी? अगर यह क्रम यूँही चलता रहा तो कोई बड़ी बात नहीं होगी, अगर पाकिस्तान गृहयुद्ध की चपेट में चला जाए! ऐसे हालात में बेहतर यही होगा कि पाकिस्तान दूसरों को ज़ख्म देने की सरकारी नीति से पूरी तरह हाथ खींचे और समय रहते अपने देश और उसके मासूमों को बचाने के लिए सब कुछ झोंक दे! जाहिर है, पाकिस्तान की इस नीति से उसको तो फायदा होगा ही साथ ही साथ भारत और अफगानिस्तान को भी राहत की सांस मिलेगी, विशेषकर अफगानिस्तान को, जो ठीक इसी दिन रूसी और इटली दूतावास पर हुए आत्मघाती हमलों में 12 लोगों की मौत का गम मना रहा है! साफ़ है कि वहां हमले करने वालों को पाकिस्तानी सेना का सीधा सपोर्ट मिलता रहा है. इसलिए पाकिस्तान के लिए अब एक ही सन्देश है कि अब तो सुधरो... अब तो सम्भलो !!
Pakistan on terror target, must be stand against jehadi, hindi article by mithilesh,

Terror Attack On Pakistan University, पाकिस्तान हमला, bacha khan university, चारसद्दा, बाचा खान, afghanistan, terror, विदेश, overseas

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ