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स्तन कैंसर में जागरूकता बेहद जरुरी! Hindi article on Breast cancer, Health Tips

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पिछले दिनों जब मुझे पता चला कि मेरी पड़ोस की ऑन्टी को स्तन-कैंसर है, तो मुझे विश्वास नहीं हुआ. एक अच्छी भली 40 साल की वर्किंग वूमेन को देखकर भला कौन सोच सकता था कि उन्हें इतनी घातक बीमारी होगी. इस तरह की समस्याओं से घिरने वालों में सिर्फ मेरी पड़ोस की आंटी ही नहीं हैं, बल्कि अब तो यह खबर अब अक्सर सुनने को मिल जाती है, जो कई बार तो पूरे परिवार को उजाड़ देती है. हाँ, अगर यह बीमारी शुरूआती स्तर पर पकड़ में आ जाए तो नुक्सान को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही स्वस्थ सा दिखने वाला आदमी भी बीमार सा महसूस करने लगता है. इस बीमारी ने न जाने कितने लोगों को असमय मौत के मुंह में जाने को मजबूर कर दिया है. वैसे तो हर तरह के कैंसर का रोग खतरनाक होता है लेकिन महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसे समझने पर कंपकंपी छूट जाती है. क्यूंकि हमारे देश में  काफी औरतें इन चीजों को लेकर जागरूक नहीं होती है और फिर शर्म, लिहाज की वजह से कब यह बीमारी शुरूआती स्तर से निकलकर गम्भीरता की ओर बढ़ जाती है, पता ही नहीं चलता है. भारत में हालत किस कदर ख़राब है, यह स्तन कैंसर के खतरे पर हाल ही में किये गये एक अध्ययन में ज्ञात हुआ कि, हर 28 में से एक महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होता ही है. शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिशत थोड़ा अधिक (हर 22 में से एक) है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में जोखिम कुछ कम (हर 60 में से एक) है. स्तन कैंसर के आंकड़ों के मामले में भारत पश्चिमी देशों से  भिन्न है. यहां यह रोग अपेक्षाकृत युवा महिलाओं (30 से 40 वर्ष के बीच) में भी पाया जाता है, जबकि पश्चिम में यह 50 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाओं का रोग है. वैसे भी, भारत के मामले में जागरूकता तथा जांच के अभाव में रोग का पता लगने तक पहले ही काफ़ी देर हो चुकी होती है, ऐसे में अगर हमारे देश की महिलाएं जागरूक नहीं होती हैं तो यह घातक बीमारी न केवल एक महिला को, बल्कि उसके साथ पूरे परिवार को तोड़ देती है. 
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चूंकि भारत में महिलाओं का मतलब पूरा परिवार ही होता है और आप समझ सकते हैं कि अगर किसी 35 साल की महिला को स्तन कैंसर हो गया तो उसके बच्चों की शिक्षा से लेकर, उसके परिवार की क्या हालत होगी? जाहिर तौर पर सब डगमगा जायेगा. चिंता का विषय ये भी है कि पिछले कुछ सालों में भारत में कैंसर की चपेट में आने की अनुमानित आयु में और भी गिरावट आ चुकी है और लगभग 48 प्रतिशत स्तन कैंसर रोगी 50 वर्ष से कम आयु की पायी गयी हैं. स्तन कैंसर से पीड़ित रोगियों की बहुत बड़ी संख्या 25 से 40 वर्ष के आयु वर्ग में भी है और यह स्थिति बेहद चिंतनीय और निराशाजनक है. कैंसर को लेकर जागरूकता की कमी का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि लगभग 60 प्रतिशत रोगी जी नहीं पाते क्योंकि रोग का पता ही तीसरी या चौथी स्टेज में  लगता है.और तो और युवा महिलाओं में रोग अधिक आक्रामक रूप में होता है और आमतौर पर यह कीमोथेरॅपी के प्रति संवेदनशील नहीं होता. हम स्तन कैंसर को होने से रोक तो नहीं सकते, लेकिन थोड़ी सी जागरूकता अपनाकर इससे होने वाले असमय मौत को टाल जरूर सकते हैं. अगर इस रोग के आरंभिक लक्षण का पता लगा लिया तो इलाज काफी आसान हो जाता है और लगभग 80 प्रतिशत रोगी ठीक हो जाते हैं. जाहिर है इस मामले में झिझक को छोड़कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है. इसके लिए कैंसर के सामन्य लक्षण को ध्यान देने की आवश्यकता भी है. युवतियों और महिलाओं को चाहिए कि सप्ताह में एक बार नहाते समय स्तन को अच्छी तरह से जांचे इसके लिए वो अपने एक हाथ को ऊपर उठाये तथा दूसरे हाथ को  स्तन के ऊपर हल्के हाथ से गोल-गोल घुमाएँ और देखें कि कहीं कोई गांठ तो नहीं बन रही. उन महिलाओं व युवतियों को खास ध्यान रखना होगा, जिनकी मां, नानी, दादी, बुआ को यह समस्या रही हो क्योंकि ये बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है. इस मामले में आज के पुरुष वर्ग को भी विशेष सचेत रहना चाहिए कि वह अपनी फेमिली को इन मामलों में जैसे भी संभव हो, जागरूक करते रहे! बताते चलें कि पहली स्टेज में स्तन के अंदर दो सेंटीमीटर तक की गांठ बनती है और इससे सूजन, हल्का दर्द, निप्पल से लाल पदार्थ आना शुरू होता है. 
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इसके अतिरिक्त, इस बीमारी में और भी लक्षण हो सकते हैं, जैसे स्तन के आकार में बदलाव, निप्पलों का अंदर की ओर धंसना, त्वचा का सिकुड़ना, निप्पलों से रक्तस्राव, त्वचा की रंगत में बदलाव, बग़लों में सूजन इत्यादि. आज की महिलाओं को इन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए. कई जगह से यह भी ख़बरें आती हैं कि तमाम मरीज अंधविश्वासों की चपेट में आज जाते हैं. ऐसे में, मरीज देशी दवाओं और झाड़फूंक से बचें और समय पर उपचार कराएं. शुरू में बीमारी का पता चल जाए तो ऑपरेशन से उपचार संभव है. इसके अलावा, कीमोथेरेपी (इसमें इंजेक्शन दिया जाता है) और रेडियोथेरेपी (इसमें सेंक लगाई जाती है) से उपचार संभव है. स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने का प्रमुख तरीका है, स्तन सजगता कार्यक्रम, जिसमें शिक्षा, परीक्षण और मैमोग्राफ़ी तथा ब्रेस्टल अल्ट्रा साउंड जैसे जॉंच उपकरण शामिल किये जाते हैं. इन सबके साथ-साथ जीवनशैली में सुधार भी एक महत्वपूर्ण बात है, जिससे हम न केवल कैंसर, बल्कि तमाम घातक रोगों द्वारा बच सकते हैं. अभी हाल ही में मैगी, फिर उसके बाद ब्रेड इत्यादि में कैंसरजनित पदार्थों के होने की बातें खूब कही गयीं, किन्तु यह देखकर भी बेहद दुःख हुआ कि सब जानने के बावजूद इन फास्टफूड पदार्थों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. मैं अपने सामने किराने वाले के पास जब सुबह दूध लेने जाता हूँ तो उसके यहाँ मैगी की आ रही डिमांड को देखकर अजीब सा महसूस करता हूँ. लोग अजब तर्क देते हैं कि 'जब मरना होगा, तब मर जायेंगे'! ऐसे कुतर्कों से हमें बचना चाहिए, विशेषकर महिलाओं को! क्योंकि अगर महिलाएं ठान लें कि हमें नुकसानदायक रेडीमेड पदार्थों का सेवन नहीं करना है तो न केवल उनके लिए स्तन कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम होगा, बल्कि पूरे परिवार पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ना तय है. इसी कड़ी में, हमें अपने आहार में ताजे फलों और हरी सब्जियों को स्थान देना चाहिए, तो इसके साथ जितना संभव हो शारीरिक श्रम और योग करें, क्योंकि मोटापा भी अहम रोल निभाता है स्तन कैंसर में! 
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बच्चे के जन्म के बाद उसे भरपूर स्तनपान कराएं, स्तन-पान से स्तन-कैंसर विकसित होने का जोखिम कम हो जाता है. अपने रोजमर्रा के जीवन में विषाक्तम रसायनों, जैसे, प्लास्टिक के बर्तनों में माइक्रोवेव किया हुआ भोजन, उच्च तापमान पर बार्बेक्यूर, ग्रिल और फ्राई किया हुआ मांस लेने से बचें. याद रखिये हमें कैंसर से डरना नहीं बल्कि जागरूक होकर लड़ना है. अगर कैंसर जैसी बीमारी को समय रहते जांच में शुरुआती दिनों में ही पकड़ लिया जाए तो इसका बेहद आसान और कारगर इलाज है. चूंकि महिला मरीज पर सामाजिक, मानसिक और आर्थिक दबाव वैसे ही ज्यादा होता है, इसलिए उनका जितना हो सके हौसला बढ़ाएं. जैसाकि हम जानते हैं हॉलीवुड की सुपर स्टार एंजलिना जोली जैसी विश्व की तमाम हस्तियां स्तन कैंसर के जागरूकता अभियान की हिस्सा हैं और अब तो अपना बॉलीवुड भी इसके सपोर्ट में खुल कर अपनी बात कह रहा है. अभी हाल ही में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस के लिए एक कैंपेन 'वॉट डू यू कॉल योर बूब्स' के तहत मैसेज देने का प्रयास किया गया है. इस विडियो में सोनाक्षी सिन्हा समेत कई अभिनेत्रियां ब्रेस्ट कैंसर के बारे में अवेयरनेस फैलाने का काम बड़े ही चुलबुले तरीके से कर रही हैं. विडियो के अंत में सोनाक्षी सिन्हा कहती हैं कि आपका जो भी मन करे, अपने बूब्स को कहिए लेकिन उनका ख्याल रखिए. कैंसर और खास तौर से ब्रेस्ट कैंसर के प्रति देश की महिलाएं अब भी संकोच करती हैं. अब भी वे इसकी जांच कराने के लिए मेमोग्राफी जैसे टेस्ट कराने से बचती हैं. ब्रेस्ट और उनसे संबंधित समस्याओं पर अधिकतर महिलाएं खुलकर बात नहीं करती हैं और ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हो जाती हैं. याद रखिये सावधानी ही बचाव है. आप भी जागिये और दूसरों को भी प्रेरित कीजिये, अन्यथा आप भी मेरी पड़ोस वाली ऑन्टी की तरह दुखी होंगी और आपके साथ दुखी होगा आपका पूरा परिवार!




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