नए लेख

6/recent/ticker-posts

Ad Code

कब आएंगे 'मुस्लिम औरतों' के अच्छे दिन! Muslim women in India, Hindi Article, Divorce Law, Standard of Life

*लेख के लिए नीचे स्क्रॉल करें...


अच्छे दिन की चर्चा यूं तो 2014 के आम चुनावों के समय से ही शुरू हो गयी थी, लेकिन यह महिलाएं और खासकर मुस्लिम महिलाएं ही हैं, जिनकी अच्छे दिनों की आस लगातार धूमिल होती जा रही है. वैसे तो आप किसी भी धर्म को ले लीजिए, हर धर्म के मानने वाले अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ कहेंगे, लेकिन आप देखेंगे कि तमाम धर्मों के नियमों पर पुरुष प्रधानता ही हावी रही है. आदिकाल से लेकर आज २१वीं सदी में भी महिलाओं को अपने बेसिक अधिकारों के लिए कई जगहों पर तरसना पड़ता है तो उन पर अत्याचार, हिंसा तो जैसे सामान्य सी बात रही है. हर धर्म में महिलाओं के लिए तमाम बंदिशें और कठोर नियम बने हैं और जब भी महिलाओं ने अपने धर्म के नाम पर उनके साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है, उन्हें जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा है. अक्सर इस विरोध का नेतृत्व धर्मगुरुओं ने किया है, जो अपने प्रवचनों और जलसों में अल्लाह, भगवान, खुदा का प्रतिनिधि होने का दावा करते नहीं थकते! यहाँ बिना लॉग-लपेट के कहना पड़ेगा कि अन्य धर्मों में जहाँ आवाज उठाने वाली महिलाओं ने ज्यादा तो नहीं लेकिन जरुरी अधिकार अवश्य ही प्राप्त कर लिए हैं, वहीं हमारे देश में मुस्लिम महिलाओं की हालत अभी भी बदतर बनी हुयी है और यह एक कटु सत्य है, जिसे जितना भी झुठलाया जाय, किन्तु यह साफ़-साफ़ दिख जाता है. आज जहाँ लोग चाँद पर जाने लगे हैं, वहीं मुस्लिम औरतें अपने मूल अधिकार के लिए भी संघर्ष कर रही हैं. भारत में लोकतंत्र और संविधान प्रदत्त कई अधिकारों का उनके लिए कोई मतलब नहीं है, क्योंकि उसे शरीयत और इस्लाम के नाम पर सख्ती से कुचल दिया जाता है और हमारी सरकार, न्यायपालिका और समाज मूकदर्शक बना देखता रहता है. हालाँकि वक़्त के साथ कुछ महिलाएं प्रखर होकर आवाज़ उठा रही हैं जैसे, लखनऊ में मुस्लिम महिलाओं के एक समूह ने एक समानांतर पर्सनल लॉ बोर्ड की स्थापना करके उसके जरिये मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने का प्रयास किया है. इसी तरह, चेन्नई की महिला वकील, बदरे सय्यद ने उच्च न्यायालय में काजियों के तलाक की पुष्टि के अधिकार के विरोध में याचिका दर्ज की है, लेकिन बेहद आश्चर्य की बात है कि न्यायपालिका ने इस पर सुनवाई आज तक नहीं की है. 

इसे भी पढ़िए: बहता नीर है धर्म, रूढ़िवादिता है अंत

खैर, न्यायपालिका की मजबूरियाँ और दुश्वारियां हम सब जानते ही हैं. बावजूद इसके  इन सबमें प्रभावशाली प्रयास अखिल भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने किया है. कई वर्षों से देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम महिलाओं के इस समूह ने उन धार्मिक नियमों का विरोध किया है, जिन्हें वे महिला-विरोधी मानती हैं और इस लड़ाई में कई महिलाओं ने अभूतपूर्व हिम्मत और सूझ-बूझ का परिचय दिया है. बताते चलें कि इस आंदोलन की संस्थापक, नूरजहां सफिया नियाज और जकिया सोमन हैं. इन मुस्लिम महिला आंदोलन के संस्थापकों का मानना है कि भारत में जिस तरह से शरिया कानून लागू है, वो मुस्लिम महिलाओं के विकास में बाधक है. इसलिए उन्होंने एक मॉडल निकाहनामा तैयार किया है, और हजारों मुस्लिम महिलाओं के हस्ताक्षर लेकर, एकतरफा तलाक के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के सामने याचिका प्रस्तुत की है. इस संगठन ('भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन') ने देश के 10 राज्यों में एक सर्वे कराया था, जिसमें 4710  मुस्लिम महिलाओं की राय जानी गयी थी. इसमें करीब 92 फीसदी मुस्लिम महिलाएं एक साथ तीन तलाक पर पाबंदी चाहती हैं. जाहिर है, आप कल्पना कर सकते हैं कि भीतर किस कदर आग जल रही है और इसे बुझाने के लिए किस सख्ती का प्रयोग मुस्लिम धर्मगुरु कर रहे होंगे? इस संस्था की ये भी मांग है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार किया जाये. जैसा कि सब जानते हैं कि मुस्लिम समाज में इन महिलाओं की मांग का जबरदस्त विरोध हो रहा है. सारे काजी-मुल्ला शरियत के कानून का हवाला दे कर एक सुर में तीन तलाक का प्रावधान हटाने का विरोध कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि शरियत के कानून को कोई नहीं बदल सकता, बेशक महिलाएं 21वीं सदी में भी 15वीं सदी का जीवन जीती रहें. ऐसे में प्रश्न उठता है कि बदलाव आखिर कहाँ से और किस प्रकार आएगा, क्योंकि हकीकत यही है कि मुस्लिम समाज की आधी आबादी के आवाज बुलंद करने के बावजूद बर्फ पिघलती नहीं दिख रही है. किसी भी समाज में बदलाव तभी आता है जब उस समाज के प्रबुद्ध लोग अपने लोगों की तकलीफों को समझते हैं. लेकिन मुस्लिम समाज अपनी रूढ़िवादिता और कट्टरता के लिए कुख्यात है तो इसी कारण से वह पिछड़ा भी रहा है. शायद यही वजह है कि इस धर्म में औरतों की ज़िन्दगी सबसे ज्यादा मुश्किलों से भरी है. 

इसे भी पढ़िए: बदलती दुनिया और बेटियां

यहाँ औरतों को सिर्फ बच्चा पैदा करने वाली मशीन समझा जाता है, मर्द चाहे जितनी शादियां कर ले और औरतें उनकी इस इच्छा को पूरी करने को मजबूर हैं, क्योंकि कई लोग इस्लाम की गलत व्याख्या करने से नहीं चूकते हैं और बेशर्मी से कहते हैं कि बच्चे तो अल्लाह की देन हैं और भला अल्लाह की देन को इंकार किस प्रकार कर दें? पता नहीं उन कुरआन के विद्वान् लोगों से कोई क्यों नहीं पूछता है कि अल्लाह की देन तो सर के बाल और उँगलियों के नाखून भी हैं, आखिर उन्हें वह क्यों काटते और छांटते हैं? इस्लाम की सही व्याख्या करने वाले भी कम नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज जैसी हो जाती है. अब लाखों सदस्यों वाली मुस्लिम महिलाओं के उपरोक्त वर्णित संगठन को ही देख लीजिए, कौन सुन रहा है उनकी? टीवी चैनलों पर मुल्ला एक ही रट लगाते हैं कि शरीयत को कोई बदल नहीं सकता, क्योंकि वह अल्लाह की बनायी हुई चीज है, वहीं मुस्लिम महिलाएं लाख तर्क देती हैं, आयतों और हदीसों का उदाहरण देती हैं कि ऐसा कुछ भी कुरआन में नहीं कहा गया है, बल्कि पुरुषों ने इसे अपनी सहूलियत के अनुसार बनाया है, लेकिन उनकी सुने तो कौन सुने? यह तो यह, बल्कि कई भारतीय मुल्ले और मौलवी तो पाकिस्तान में चली उस चर्चा से भी इत्तेफाक रखते हैं कि पुरुष, औरतों की हलकी पिटाई कर सकता है.' बताते चलें कि पाकिस्तान में ऐसे विधेयक के मसौदे पर बहस जारी है जिसमें पति को पत्नी को 'हल्की पिटाई' करने की इजाज़त होगी. 

इसे भी पढ़िए:  ... तो 'महिला अधिकारों की गाड़ी रूक गयी यहाँ!

महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित 'मॉडल' क़ानून बनाने के इस मसौदा विधेयक को काउंसिल ऑफ़ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) में रखा गया है. अब ऐसे प्रस्ताव के भारत में लाये जाने चाहिए? अगर मुस्लिम कट्टरपंथियों की मानें तो हाँ! ट्विटर पर इसकी बेशक खूब आलोचना हो और ट्विटर यूज़र इस मसौदे को 'मूर्खतापूर्ण' और इसे महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा बढ़ाने वाला क्यों न बताएं, लेकिन कोई कट्टरपंथी एक शिगूफा छोड़ देगा कि ऐसा तो उस धर्मग्रन्थ में लिखा है, तो फिर किसकी मजाल है जो इससे छेड़छाड़ कर लगा! जाहिर है, धर्म के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार किसी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है तो इसके खिलाफ मुस्लिम महिलाओं को ही एकजुट होकर सड़कों पर उतरने की जरूरत है. तब शायद मुस्लिम समाज के उदारवादी लोग भी सामने आएं और तब भारतीय न्यायपालिका और प्रशासन भी उनकी मदद कर सके. हालाँकि, यह लड़ाई अभी काफी लम्बी है और इसके कुचले जाने की सम्भावना ज्यादा है, क्योंकि मुस्लिम महिलाओं के प्रयासों को उदारवादी मुस्लिम भी चुप्पी साधे देख रहे हैं, मानों यह मसला उनका नहीं है! तो फिर यह मसला किसका है भई? यक्ष प्रश्न तो यही है आज के समय!

- मिथिलेश कुमार सिंहनई दिल्ली.



यदि आपको मेरा लेख पसंद आया तो...

f - फेसबुक पर 'लाइक' करें !!
t - ट्विटर पर 'फॉलो'' करें !!





तलाक, पति, पत्‍नी, दिल्‍ली, हाई कोर्ट, divorce, husband, wife, delhi, high court. Supreme Court, Muslim personal law, divorce, Kerala, divorce on whatsapp, divorce policy, Sunni ulema council, Divorce case in Bihar, reasons for divorce, divorced for not recieving phone, divorce trends in hindi,Aisha, Al-Masjid al-Nabawi, Allah, Allah الله, Allah(swt), Almighty Allah, Apostle, Girl, Hadith/Sunnah, Indian Muslims, Islam, koran, life, muhammad, Muslim, Muslim Girl, muslim women, Muslimah, Muslims, prophet, Religion, sunnah, Umar, Ummah, women, Women In Islam, Ban triple talaq, Bharatiya Muslim Mahila Andolan, BMMA, Muslim women, Noorjehan Safia Niaz, Quran, triple talaq, 
Muslim women in India, Hindi Article, Divorce Law, Standard of Life,

इसे भी पढ़िए: लिंगानुपात, शिक्षा, आबादी एवं मुस्लिम महिलाएं

Breaking news hindi articles, Latest News articles in Hindi, News articles on Indian Politics, Free social articles for magazines and Newspapers, Current affair hindi article, Narendra Modi par Hindi Lekh, Foreign Policy recent article, Hire a Hindi Writer, Unique content writer in Hindi, Delhi based Hindi Lekhak Patrakar, How to writer a Hindi Article, top article website, best hindi article blog, Indian blogging, Hindi Blog, Hindi website content, technical hindi content writer, Hindi author, Hindi Blogger, Top Blog in India, Hindi news portal articles, publish hindi article free,

Website design in Afghanistan, Website design in Albania, Website design in Algeria, Website design in Argentina, Website design in Armenia, Website design in Australia, Website design in Austria, Website design in Azerbaijan, Website developer in Bahamas, Website developer in Bahrain, Website developer in Bangladesh, Website developer in Barbados, Website developer in Belarus, Website developer in Belgium, Website developer in Bermuda, Website developer in Bolivia, Website developer in Bosnia and Herzegovina, Website developer in Brazil, Website developer in Brunei, Website developer in Bulgaria, Saudi Arabia, Build A Website for Serbia, Build A Website for Singapore, Build A Website for Slovakia, Build A Website for Slovenia, Build A Website for South Africa, Build A Website for South Korea, Build A Website for Spain, Build A Website for Sri Lanka, Build A Website for Sudan, Build A Website for Sweden, Build A Website for Switzerland, Build A Website for Syrian Arab Republic, Build A Website for Taiwan, Build A Website for Tanzania, Build A Website for Thailand, Build A Website for Trinidad and Tobago, Build A Website for Tunisia, Build A Website for Turkey, Build A Website for US Virgin Islands, Build A Website for Uganda, Build A Website for Ukraine, Build A Website for United Arab Emirates, Build A Website for United Kingdom, Build A Website for United States, Build A Website for Uruguay, Build A Website for Uzbekistan, Build A Website for Venezuela, Build A Website for Vietnam, Build A Website for Yemen, Build A Website for Zimbabwe, Build A Website for 
इसे भी पढ़ें:  टीना डाबी, अतहर और जसमीत से आगे... !
Website designing for Cambodia, Website designing for Canada, Website designing for Chile, Website designing for China, Website designing for Colombia, Website designing for Costa Rica, Website designing for Cote d'Ivoire, Website designing for Croatia, Website designing for Curaçao, Website designing for Cyprus, Website designing for Czech Republic, Website designing for Denmark, Website designing for Dominican Republic, Website designing for Ecuador, Website designing for Egypt, Website designing for El Salvador, Website designing for Estonia, Website designing for Finland, Website designing for France, Website designing for French Polynesia, Website designing for Georgia, Website designing for Germany, Website designing for Ghana, Website designing for Gibraltar, Website designing for Greece, Website designing for Guadeloupe, Website designing for Guam, Website designing for Guatemala, Website designing for Guyana,
मिथिलेश  के अन्य लेखों को यहाँ 'सर्च' करें... ( More than 1000 Articles !!)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ