नए लेख

6/recent/ticker-posts

Ad Code

New Hindi Articles on Different Topics, News letter 5 July 2016.



If texts are unreadable, visit:: http://editorial.mithilesh2020.com/

1. अर्नब को ट्रोल करना कितना सही? Arnab Goswami and Trolls...
...कई पत्रकार इस बाबत यह प्रतिक्रिया व्यक्त करने नज़र आये कि अर्नब, प्रधानमंत्री के प्रति नरम थे! अरे भाई, अगर कोई विनम्र होकर सवाल पूछ ले रहा है तो इसमें बुराई क्या है? नरेंद्र मोदी अब चुनाव-प्रचार कर रहे नेता नहीं हैं, बल्कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं और अर्नब गोस्वामी क्या इतने मूर्ख हैं कि प्रधानमंत्री से तू-तड़ाक और बदतमीजी से सवाल करते! यह प्रोटोकॉल और बिजनेस-सेन्स से पैदल व्यक्ति ही कर सकता है. वास्तव में इस साक्षात्कार को इतने विस्तृत ढंग से कवर किया गया था कि अगले दिन यह समस्त राष्ट्रीय मीडिया की ‘हेडलाइन’ बन गयी. प्रिंट मीडिया हो, टेलिविजन मीडिया या फिर डिजिटल मीडिया, सबने इसे फॉलो किया और बावजूद इसके अर्नब की आलोचना समझ से परे है. इस इंटरव्यू के प्रसारित होने के अगले दिन चीन की सरकार इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और फिर पाकिस्तान सरकार ने पाक में दो शक्तिकेंद्र होने की बात पर सफाई दी. एक आंकड़े के अनुसार, ट्विटर पर इस इंटरव्यू को लेकर 1.4 बिलियन ट्वीट हुए तो, लगभग एक मिलियन से ज्यादा लोगों ने इंटरव्यू देखा और...

Read & Publish free this full article here:  http://bit.do/arnab-goswami ]



2. सेवंथ पे कमीशन देश पर निस्संदेह 'बोझ' है! 7th pay commission...
... मोदी सरकार ने अपने केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में 23 फीसदी (Seventh pay commission) तक के बढ़ोत्तरी को मंजूरी दे दी है, जिसे वर्तमान हालातों के अनुसार अगले 3 साल तक टाला जाना चाहिए था. जी हाँ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है. लेकिन आलम ये है कि केंद्रीय कर्मचारियों की यूनियंस इसे अब तक का सबसे खराब ‘वेतन आयोग’ बता रही है. कहा जा रहा है कि केंद्रीय कर्मचारी सातवें वेतन आयोग की बढ़ोत्तरी से खुश नही हैं. अब भाई, सारा टैक्स का पैसा इन्हीं को दे दो, तब कहीं ये खुश होंगे! वैसे भी, अब तक विकास-कार्यों से कमीशन भी इन्हीं की जेब में जाता रहा है. हालाँकि, मोदी सरकार में घूसखोरी पर कुछ लगाम लगने की बात सामने जरूर आ रही है, किन्तु मोदी सरकार की सख्ती कितनी कारगर साबित हो रही है, यह धीरे-धीरे सामने …

Read & Publish free this full article here: http://bit.do/pay-commission  ]



3. आतंक पर 'इस्लाम' के अनुयायी चुप क्यों? Terrorism, Dhaka Attack
... ‘यू कैन विन’ के लेखक शिव खेड़ा लिखते हैं कि अगर ‘आपके पड़ोसी पर अत्याचार हो रहा हो और आप चुप रह जाते हैं तो अगला नंबर आपका ही है.’  जाहिर है, आतंकियों को आतंक फैलाने की जो खुराक मिल रही है, उसमें ‘मुस्लिम जगत’ की चुप्पी का बड़ा हिस्सा ही जिम्मेदार है. इसके साथ कई मुसलमान आतंकियों को आर्थिक, शारीरिक, धार्मिक सपोर्ट देते हैं, वह तो अलग आश्चर्य है. थोड़ा और स्पष्ट रूप से चर्चा करें तो, डोनाल्ड ट्रम्प जैसे लोग इसलिए भी जल्दी से हीरो बन जाते हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि ‘इस्लामिक आतंक’ से हिन्दू, ईसाई, सिक्ख और दुसरे समुदाय के लोग बड़े-स्तर पर भयभीत हैं और उनके इसी डर का फायदा उठाना ‘ट्रम्प’ जैसे व्यक्ति को विश्व भर में चर्चित कर देता है. आप इस बात को थोड़े अलग ढंग से देखिये और सोचिये कि ‘इस्लामिक आतंक’ का पूरी दुनिया में कितना बड़ा भय फ़ैल चुका है, जिसका नुक्सान…

Read & Publish free this full article herehttp://bit.do/terrorism-islam ]




4. भारत की 'एमटीसीआर' में एंट्री के मायने! MTCR Membership India
... ज़रा ध्यान से सोचिये कि ऐसी चर्चाओं से हमारी स्वाय्यत्ता पर आने वाले समय में क्या असर पड़ेगा! मैं ऐसा कहने की कोशिश नहीं कर रहा हूँ कि हम अमेरिका की सहायता न लें, किन्तु इस बीच यह ध्यान रख जाना चाहिए कि उसके हाथों खेलने से हमें अवश्य ही बचना चाहिए. क्या वाकई कूटनीति अब मीडिया के सहारे होने लगी है? या फिर अमेरिका ऐसा चाहता है कि वैश्विक समुदाय में इस बात का मेसेज जाए कि अब भारत अमेरिका के पूरी तरह साथ है. चूंकि, भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उसे बेहद संभल-संभल कर खुद को मजबूत करने की राह में आगे बढ़ना पड़ेगा, अन्यथा ‘खाया पीया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना’ वाली बात चरितार्थ हो जाएगी. साफ़ है कि…

Read & Publish free this full article herehttp://bit.do/mtcr ]




5. वृहस्पति पर 'नासा': वैज्ञानिकों की असीम उड़ान 
... सबसे बड़े ग्रह की उत्पत्ति का रहस्य सुलझाने के लिए शुरू किए गए इस मिशन की इससे बड़ी उपलब्धि भला और क्या होगी? इस यान ने रात 11 बजकर 53 मिनट पर (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार सुबह तीन बजकर 53 मिनट पर) बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश किया. ज्ञातव्य हो कि पांच साल पहले फ्लोरिडा के केप केनवेराल से प्रक्षेपित इस यान ने यहां पहुंचने से पहले 2.7 अरब किलोमीटर का सफर तय किया है. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ‘टीम नासा’ का यह अब तक का सबसे कठिन अभियान रहा है. मेरे एक मित्र ने ज़िक्र किया कि ‘वृहस्पति (Jupiter Mission NASA) पर पहुँचने से क्या लाभ’? तो उन जैसे मित्रों को यही कहना चाहूंगा कि वैज्ञानिक शोध करते रहते हैं, नयी खोजें, नए रास्ते निकालते रहते हैं. हाँ, उससे हानि होगा कि लाभ, यह बाकी लोगों पर भी निर्भर करता है. यदि किसी भी रिसर्च या शोध का मकसद मानव-जाति को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाए तो उससे लाभ होगा, अन्यथा इसके विपरीत भी कई उदाहरण भरे पड़े हैं...

Read & Publish free this full article herehttp://bit.do/jupiter-mission ]





Inline image 1



 || लेखों का कलेक्शन देखें||  “हिंदी समाचार“ ||  न्यूज-मैगज़ीन वेबसाइट बनवाएं. || WEBSITE / BLOG DESIGN QUOTATION || मिथिलेश (लेखन, पत्रकारिता, वेबसाइट उद्यम)
ईमेल अनसब्सक्राइब करने के लिए इस मेल पर बताएं: [email protected]


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ