21वीं सदी में लगभग हर वह चीज बदल चुकी है या बदल रही है जो हमारे जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती रही है. इनमें कृषि, मीडिया-क्षेत्र, नौकरियों का प्रारूप इत्यादि शामिल किया जा सकता है, किन्तु दुर्भाग्य से यही बात 'एजुकेशन सिस्टम' के लिए समग्रता से नहीं कही जा सकती है. इसी क्रम में अगर हम आगे बात करते हैं तो पाते हैं कि इन्टरनेट की दुनिया में वेबसाइट/ ब्लॉग बनाने का चलन अब प्रोफेशनल आकार लेने लगा है, खासकर भारत जैसे विकासशील देश में भी इसने पिछले कुछ सालों से ज़ोर पकड़ लिया है. पिछले 8 साल से वेबसाइट, डिजिटल मार्केटिंग (Blogging for Students, College Guys, Knowledge and Earning, Hindi Article, New, Digital Marketing Expert) में कार्य करने के पश्चात् मैंने अनुभव किया है कि वेबसाइट या ब्लॉग चलाने का प्रशिक्षण 10वीं के बाद से स्कूल स्तर पर ही अनिवार्य रूप से शुरू कर दिया जाना चाहिए. इस सुझाव के पीछे आगे की पंक्तियों में ठोस कारण देने का प्रयत्न करूंगा, जो काफी हद तक व्यवहारिक दृष्टिकोण पर आधारित रहेगा. कुछ ही दिन पहले विश्व की बड़ी आईटी फर्म्स में शुमार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के पूर्व चेयरमैन एवं पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. एफसी कोहली ने कहा है कि 'भारत में इंजीनियरिंग की पढ़ाई ऑउटडेटेड है.' यह बात उन्होंने इलाहाबाद के सम्मानित आईटी संस्थान ट्रिपलआई-टी (IIIT) में कही. सिर्फ वह ही क्यों, बल्कि ऐसे कई वक्तव्य पहले भी आते रहे हैं, जो हमारी शिक्षा-व्यवस्था की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हैं. इसके कारणों के रूप में पुराने सिलेबस, लेबोरेट्री इत्यादि की असुविधा, फैकल्टी इत्यादि को गिनाया जाता रहा है पर काश कि हम समझ पाते कि 14 - 15 साल की एज के बाद मनुष्य का मस्तिष्क बेहद विस्तृत हो जाता है और किसी एक या दो किताब की सीमा से बाहर सोचने को तत्पर भी हो जाता है.
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अगर स्कूली शिक्षा-पद्धति में ही हम ब्लॉगिंग शामिल कर इसकी आदत बच्चों में डाल देते हैं तो इसके बड़े फायदे सामने आ सकते हैं. चूंकि ब्लॉगिंग में एक तरह से सूचनाओं को एकत्रित करके, रिपोर्ट रूप में, लेख रूप में हमें इन्टरनेट पर डालना होता है तो ऐसे में बहुत उम्मीद होती है कि बच्चा 'रिसर्च' के प्रति प्रोत्साहित होगा और फिर स्वाभाविक रूप से वह 'आउटडेटिड' नहीं रहेगा! इसके लिए परिस्थितियां इतनी ज्यादा मुफीद हैं कि आज हर स्टूडेंट के हाथ में स्मार्टफोन है, जिस पर वह घंटों सर्फिंग भी करते हैं तो क्यों न उनकी सर्फिंग को एक दिशा दे दी जाए? इंजीनियरिंग या दूसरे सब्जेक्ट्स में भी ग्रेजुएशन के बाद ऐसे तमाम पासआउट स्टूडेंट्स हैं, जो आज फुल टाइम ब्लॉगिंग (Blogging for Students, College Guys, Knowledge and Earning, Hindi Article, New, Discipline, Self Study, Academic Excellence Methods, Being Full Time Blogger) अपना रहे हैं, क्योंकि इसमें उनकी पसंद और आज़ादी तो होती ही है तो ब्लॉग के सफल होने पर अच्छी खासी इनकम भी होती है, कई बार तो किसी प्रोफेशनल जॉब से भी ज्यादा! मैं ऐसे कई युवकों को जानता हूँ जो कॉलेज के बाद जॉब ढूंढते हैं और मनपसंद स्थिति न होने पर उन्होंने ब्लॉगिंग को चुना है और खुद को सफल साबित किया है. समझने वाली बात है कि स्कूल या कॉलेज में ब्लॉगिंग को अगर रेगुलर कोर्स में शामिल कर दिया जाए और उस पर बाकायदा अकादमिक-ग्रेडिंग की जाए तो कोई कारण नहीं होगा कि वह बच्चा कालेज से निकलने-निकलने से पहले प्रोफेशनल सोच वाला न हो जाए. फिर अगर वह जॉब भी करे तो काफी अपग्रेडेड सोच और तकनीक से उसका दिमाग लैस होगा और फिर टाटा कंसल्टेंसी जैसी फर्म का मुखिया शायद उसकी शिकायत नहीं कर सकेगा! या फिर वह अपना पोर्टल, ब्लॉग, बिजनेस तक सफलता से चला सकता है, क्योंकि सक्रीय रूप से ब्लॉग चलाने के दो-चार सालों में आप काफी कुछ सीख जाते हैं.
ऐसे में ब्लॉग बनाने और चलाने के सम्बन्ध में कुछ कॉमन चीजें हैं, जिन्हें समझना आवश्यक है:
रुचि के 'विषय' का चुनाव: यदि आप स्टूडेंट हैं और ब्लॉगिंग शुरू करना चाहते हैं तो उन विषयों की पहचान करें, जो आपको पसंद हैं और जिस पर आप कंटेंट पढ़ना और लिखना चाहते हैं. अगर आप आर्ट्स के स्टूडेंट हैं तो आपके पसंदीदा सब्जेक्ट राजनीति, सामाजिक मुद्दे हो सकते हैं तो अगर आप अर्थशास्त्र के विद्यार्थी हैं तो इकॉनमी, टैक्स या बचत संबंधी विषय पर आपका ब्लॉग हो सकता है. ऐसे ही अगर आप जीव-विज्ञान या मेडिकल साइंस की ओर इंटरेस्ट रखते हैं तो हेल्थ और न्यूट्रिशन के फील्ड (Blogging for Students, College Guys, Knowledge and Earning, Hindi Article, New, Blog Topics) में अपार संभावनाएं खुली हुई हैं तो इंजीनियरिंग के फील्ड में आप जिस भी ट्रेड के हों, उसमें ही असीमित सब्जेक्ट आपको मिल जायेंगे. मसलन अगर आप इलेक्ट्रॉनिक्स के स्टूडेंट हैं तो एलईडी लाइटिंग से लेकर प्रोग्रामिंग तक पढ़ और लिख सकते हैं. ऐसे ही मैकेनिकल वाले स्टूडेंट्स ऑटोमोबाइल या किसी अन्य इंडस्ट्री पर ब्लॉगिंग की शुरुआत कर सकते हैं. शुरू में आप एक से अधिक ब्लॉग भी शुरू कर सकते हैं, जो आपको पसंद हों, तो आगे चलकर आपको समझ आ सकता है कि उनमें आप किसको लेकर चलना चाहेंगे. विषय के चुनाव में आप पहले से चल रहे अपने रुचि के ब्लॉग्स का अध्ययन भी करें, जो काफी लाभकारी सिद्ध हो सकता है. भाषा को लेकर आप निश्चिन्त रहें और वहीं भाषा चुनें जिसमें आप कम्फर्टेबल हों, वह चाहे हिंदी हो या अंग्रेजी या कोई अन्य क्षेत्रीय भाषा!
ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एवं कंटेंट राइटिंग: अगर आपने ब्लॉग का सब्जेक्ट चुन लिया है तो फिर आपका आधा कार्य संपन्न हुआ समझिये. फिर दूसरी स्टेज में आपको ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म चुनने की जरूरत पड़ेगी, जिनमें अधिकांश फ्री ही हैं तो कई कंपनियां पेड-ब्लॉगिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराती हैं. निश्चित रूप से शुरू में आपको 'फ्री प्लेटफॉर्म' का ऑप्शन ही चूज करना चाहिए. गूगल पर इससे सम्बंधित सर्च करने पर आपको कई ऑप्शन दिखेंगे, जिनमें ब्लॉगर.कॉम, वर्डप्रेस.कॉम, टम्बलर.कॉम, लाइवजर्नल.कॉम, वीब्ली.कॉम इत्यादि प्लेटफॉर्म प्रमुखता से दिखाई देंगे जहाँ आप अपनी ब्लॉगिंग शुरू कर सकते हैं. मेरा सुझाव है कि आप गूगल के प्रोडक्ट ब्लॉगर.कॉम को ही शुरूआती तौर पर चुनें, जो न केवल अपने आप में एक मुकम्मल प्रोडक्ट है, बल्कि बिना किसी खर्च के आपको बाद में यह कमाई का अवसर भी प्रदान करता है. इसे कैसे मैनेज किया जाए, इसकी कुछ मिनट की विडियो आपको यूट्यूब (Blogging for Students, College Guys, Knowledge and Earning, Hindi Article, New, Discipline, Self Study, Academic Excellence Methods, Learning on Youtube) पर मिल जाएँगी, जो आसानी से पोस्ट, लेबल, इमेज इत्यादि का इस्तेमाल सिखा देंगी. फिर मामला आता है 'कंटेंट' का और यह शुरुआत से अंत तक चलने वाला प्रोसिजर है, जिसमें आपकी असल रिसर्च सामने आती है. कोई भी टॉपिक चुनें, उसे पहले समझना आवश्यक है, फिर अगर उसके बारे में आपके टेक्स्टबुक में कोई इनफार्मेशन है तो उसे पढ़ें, समझें फिर उसके बारे में दूसरी जानकारियां इन्टरनेट पर सर्च करें. जानकारियों के साथ उस टॉपिक से रिलेटेड उदाहरण, इमेज या विडियो भी आप अपनी ब्लॉग पोस्ट में डाल सकते हैं, जो बाद में एडिट भी किया जा सकता है. स्कूल या कॉलेज टाइम में अगर आप एक सप्ताह में एक पोस्ट भी डालते हैं तो यह पर्याप्त होगा. और हाँ, जानकारियां कहीं से जुटाएं, किन्तु आपकी कोशिश होनी चाहिए कि उस जानकारी को सीधे-सीधे कॉपी पेस्ट करने के बजाय आप उसे अपनी समझ के अनुसार अपनी भाषा में री-राईट करें! अपनी ओर से आप उदाहरण भी दे सकते हैं, टॉपिक से रिलेटेड अपने अनुभव भी शेयर कर सकते हैं. कहीं से कंटेंट उठाएं तो कर्टसी के तौर पर उसका रिफरेंस भी अवश्य दें.
ब्लॉग पर ट्रैफिक लाना: यह एक और मुख्य कार्य है, जो आपके ब्लॉग की पहुँच को बढ़ाता है और उस पर प्रतिक्रिया के साथ-साथ ब्लॉग को कमाई लाने की ओर भी बढ़ाता है. ट्रैफिक हेतु, अगर संक्षिप्त में बात करें तो आप अपनी ब्लॉग पोस्ट का लिंक अपनी फेसबुक वाल या फेसबुक पेज पर दे सकते हैं तो अगर आप को लगता है कि आपकी पोस्ट कुछ ज्यादा ही दमदार बन गयी है तो अधिक ट्रैफिक के लिए फेसबुक-ग्रुप्स का इस्तेमाल एक बढ़िया विचार है. फेसबुक के अतिरिक्त, ट्विटर, लिंकेडीन, पिनटेरेस्ट इत्यादि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी ट्रैफिक लाने में अच्छी भूमिका निभाते हैं (इस तरह के प्लेटफॉर्म्स की संख्या सैकड़ों में हैं, जो आपको धीरे-धीरे इस्तेमाल करना चाहिए). और हाँ, अपने व्हाट्सएप्प दोस्तों एवं ग्रुप में ब्लॉग-पोस्ट का लिंक नियमित तौर पर शेयर करना न भूलें (Blogging for Students, College Guys, Knowledge and Earning, Hindi Article, New, Sharing Method of Blog Link). सोशल मीडिया के अतिरिक्त, आप आगे सम्बंधित व्यक्तियों, कंपनियों को मेल के जरिये भी अपनी ब्लॉग-पोस्ट के बारे में बता सकते हैं. जैसे-जैसे ब्लॉगिंग में आपका इंटरेस्ट जगता जाएगा, वैसे-वैसे और भी कई टूल्स के बारे में आपको जानकारी मिलती जाएगी, जिसमें फ्री सर्विस देने वाली पुश-नोटिफिकेशन वेबसाइट, मोबाइल एप्स, ऑटो शेयरिंग टूल्स, यूजर-इंगेजमेंट टूल, फीड शेयरिंग, ए बी टेस्टिंग, डिजाईन कस्टमाइजेशन, गूगल एडसेंस इत्यादि के बारे में पता चलता जायेगा और फिर यूट्यूब से इसके मेथड भी पता चलते जायेंगे. हालाँकि, शुरुआत में आप विषय और टॉपिक पर ही ज्यादा कंसन्ट्रेट करें ताकि आपके ब्लॉग के रीडर बढ़ें और फिर सारे ऑप्शन उसके बाद ही खुल सकेंगे. अपने विषय की समझ बढ़ाने के साथ-साथ आप ब्लॉग को बेहतर बनाने का अध्ययन भी करते रहें, जोकि निश्चित रूप से निकट भविष्य में आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है.
तो फिर शुरू हो जाइये, इक्कीसवीं सदी के सर्वोत्तम उपहारों में से एक 'ब्लॉगिंग' करने के लिए और यकीन मानिये, चाहे जिस फिल्ड के हों आप, कोई भी एक्सपर्ट आपके सक्रीय ब्लॉगर बनने के बाद 'आउटडेटिड' होने का ठप्पा आप पर नहीं लगा सकता, किसी हाल में नहीं! हाँ, सावधानी वाली बात यह जरूर है कि इसके लिए स्वाध्याय और अनुशासन का पालन उतना ही जरूरी है, जितना किसी और क्षेत्र में सफल होने के लिए. ... !!
- मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
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